डेनियल डेफ़ो

डेनियल डेफ़ो का जन्म 1660 के आसपास लंदन के एक मध्यमवर्गीय, प्रोटेस्टेंट असंतुष्ट परिवार में हुआ था। उनके जन्म की सटीक तारीख अज्ञात है, लेकिन यह अनुमान लगाया जाता है कि उनका जन्म उसी वर्ष हुआ जब चार्ल्स द्वितीय की इंग्लैंड में वापसी हुई, जिसने देश में राजनीतिक और धार्मिक उथल-पुथल का दौर शुरू किया। यह एक ऐसा समय था जब गैर-एकीरूपवादी प्रोटेस्टेंटों (जो इंग्लैंड के स्थापित चर्च, चर्च ऑफ इंग्लैंड के सिद्धांतों से असहमत थे) को अक्सर भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता था।

उनके पिता, जेम्स फो (बाद में डेनियल ने अपने नाम में “डे” उपसर्ग जोड़ा, संभवतः एक अधिक प्रतिष्ठित ध्वनि के लिए), लंदन के क्रिप्पलेगेट में एक मोमबत्ती बनाने वाले और कसाई थे। यह व्यवसाय दर्शाता है कि परिवार आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर था, हालांकि बहुत धनी नहीं। जेम्स फो एक कट्टर प्रोटेस्टेंट असंतुष्ट थे, और इस धार्मिक पृष्ठभूमि का डेनियल के शुरुआती जीवन और उनके बाद के विश्वदृष्टि पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने असंतुष्टों के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए आजीवन संघर्ष किया, जो उनके लेखन में भी परिलक्षित होता है।

डेनियल डेफ़ो की प्रारंभिक शिक्षा उनके परिवार की धार्मिक मान्यताओं से गहराई से जुड़ी हुई थी। उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड या कैम्ब्रिज जैसे स्थापित विश्वविद्यालयों में भाग नहीं लिया, क्योंकि ये विश्वविद्यालय आमतौर पर चर्च ऑफ इंग्लैंड के सदस्यों के लिए आरक्षित थे। इसके बजाय, उन्हें न्यूिंगटन ग्रीन के एक प्रसिद्ध असंतुष्ट अकादमी में शिक्षित किया गया, जिसका संचालन रेवरेंड चार्ल्स मोर्टन करते थे। यह अकादमी अपनी प्रगतिशील शिक्षा के लिए जानी जाती थी, जहाँ छात्रों को पारंपरिक शास्त्रीय शिक्षा के साथ-साथ व्यावहारिक विषयों जैसे भूगोल, आधुनिक भाषाएँ, राजनीति, अर्थशास्त्र और इतिहास में भी प्रशिक्षित किया जाता था।

यह शिक्षा डेफ़ो के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई। इसने उन्हें एक विस्तृत ज्ञान आधार प्रदान किया और उन्हें स्वतंत्र रूप से सोचने और आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने लैटिन और ग्रीक जैसी शास्त्रीय भाषाओं का अध्ययन किया, लेकिन उन्हें व्यापार और वाणिज्य के सिद्धांतों में भी महारत हासिल थी, जो उनके बाद के व्यापारिक करियर और उनके उपन्यासों में यथार्थवाद के चित्रण के लिए invaluable साबित हुआ। इस अकादमी ने उन्हें केवल विद्वत्तापूर्ण ज्ञान ही नहीं दिया, बल्कि नैतिक और धार्मिक मूल्यों को भी आत्मसात कराया, जो उनके जीवन और लेखन दोनों में एक अंतर्निहित धारा बने रहे। यह प्रारंभिक पृष्ठभूमि ही थी जिसने उन्हें एक लेखक, पत्रकार और सामाजिक टिप्पणीकार के रूप में उनके विशिष्ट मार्ग पर अग्रसर किया।

प्रोटेस्टेंट असंतुष्ट परिवार में जन्म लेने के निहितार्थ और तत्कालीन इंग्लैंड में उनका सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ

डेनियल डेफ़ो का प्रोटेस्टेंट असंतुष्ट परिवार में जन्म लेना उनके जीवन, उनके विचारों और उनके करियर पर एक गहरा और स्थायी प्रभाव डालने वाला कारक था। यह केवल एक धार्मिक पहचान से बढ़कर था; यह एक सामाजिक-राजनीतिक स्थिति थी जिसने उन्हें तत्कालीन इंग्लैंड के जटिल परिदृश्य में एक विशेष स्थान पर रखा।

प्रोटेस्टेंट असंतुष्ट कौन थे?

17वीं शताब्दी के इंग्लैंड में, “असंतुष्ट” (डिसेंटर्स) या “गैर-एकीरूपवादी” (नॉन-कनफ़र्मिस्ट) उन प्रोटेस्टेंटों को संदर्भित करते थे जो इंग्लैंड के स्थापित चर्च, चर्च ऑफ इंग्लैंड के सिद्धांतों और अनुष्ठानों का पालन नहीं करते थे। इनमें प्रेस्बिटेरियन, कांग्रेगेशनललिस्ट, बैपटिस्ट और क्वेकर्स जैसे विभिन्न संप्रदाय शामिल थे। डेफ़ो का परिवार संभवतः प्रेस्बिटेरियन या कांग्रेगेशनललिस्ट पृष्ठभूमि से था।

जन्म के निहितार्थ:

  1. भेदभाव और नागरिक अधिकारों पर प्रतिबंध:
    • असंतुष्टों को 1662 के अधिनियमों जैसे एक्ट ऑफ यूनिफॉर्मिटी (Act of Uniformity) और टेस्ट एक्ट (Test Act) के तहत गंभीर भेदभाव का सामना करना पड़ा।
    • उन्हें ऑक्सफ़ोर्ड और कैम्ब्रिज जैसे विश्वविद्यालयों में प्रवेश की अनुमति नहीं थी (यही कारण है कि डेफ़ो को असंतुष्ट अकादमी में शिक्षा मिली)।
    • उन्हें सार्वजनिक कार्यालयों, सरकारी पदों या सेना और नौसेना में सेवा करने से रोक दिया गया था।
    • यहां तक कि कुछ समय के लिए, उनकी अपनी धार्मिक सभाएँ आयोजित करना भी अवैध था, और उनके पादरियों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।
    • डेफ़ो का परिवार, हालांकि आर्थिक रूप से स्थिर था, इस सामाजिक और राजनीतिक अपवर्जन का अनुभव करता था। यह अनुभव डेफ़ो के न्याय, स्वतंत्रता और सहिष्णुता के विचारों को आकार देगा।
  2. आत्मनिर्भरता और व्यावसायिक नैतिकता:
    • सार्वजनिक क्षेत्र से बाहर रखे जाने के कारण, कई असंतुष्टों ने व्यापार और वाणिज्य में अपनी ऊर्जा लगाई। वे अक्सर मेहनती, मितव्ययी और अनुशासित होते थे – “प्रोटेस्टेंट कार्य नैतिकता” के सिद्धांतों का पालन करते हुए।
    • डेफ़ो के पिता एक मोमबत्ती बनाने वाले और कसाई थे, और डेफ़ो ने स्वयं एक व्यापारी के रूप में करियर बनाने का प्रयास किया। यह पृष्ठभूमि उन्हें व्यापारिक दुनिया और उसके जोखिमों की गहरी समझ प्रदान करती थी, जो उनके यथार्थवादी उपन्यासों, विशेषकर “रॉबिन्सन क्रूसो” में परिलक्षित होता है।
  3. बौद्धिक स्वतंत्रता और आलोचनात्मक सोच:
    • असंतुष्ट अकादमियाँ, जैसे कि डेफ़ो ने भाग लिया, अक्सर पारंपरिक विश्वविद्यालयों की तुलना में अधिक प्रगतिशील और खुले विचारों वाली थीं।
    • उन्होंने शास्त्रीय अध्ययन के साथ-साथ आधुनिक भाषाओं, विज्ञान, अर्थशास्त्र और इतिहास पर भी जोर दिया, जिससे छात्रों को स्वतंत्र रूप से सोचने और स्थापित विचारों पर सवाल उठाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
    • यह बौद्धिक पृष्ठभूमि डेफ़ो को एक तीक्ष्ण आलोचक और विश्लेषक बनाती थी, जो उनके पत्रकारिता और व्यंग्यात्मक लेखन में स्पष्ट थी।
  4. नैतिक और धार्मिक दृढ़ता:
    • असंतुष्टों ने व्यक्तिगत विवेक, बाइबल के सीधे अध्ययन और धार्मिक भक्ति पर जोर दिया।
    • उन्होंने अक्सर सादगी और आडंबरहीनता का जीवन जिया।
    • डेफ़ो के लेखन में, विशेष रूप से “रॉबिन्सन क्रूसो” में, पाप, पश्चाताप, प्रोविडेंस (ईश्वरीय विधान) और नैतिक उत्तरदायित्व के विषयों की प्रबल उपस्थिति उनके धार्मिक पालन-पोषण को दर्शाती है।

तत्कालीन इंग्लैंड का सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ:

डेफ़ो का जीवन 17वीं शताब्दी के अंत और 18वीं शताब्दी की शुरुआत के इंग्लैंड में बीता, जो एक परिवर्तनकारी काल था:

  1. राजशाही की बहाली और धार्मिक तनाव (Restoration and Religious Tensions):
    • 1660 में चार्ल्स द्वितीय की बहाली के साथ, राजशाही और चर्च ऑफ इंग्लैंड की सत्ता को फिर से स्थापित किया गया। इसने असंतुष्टों के लिए दमन का एक दौर शुरू किया, क्योंकि राज्य धार्मिक एकरूपता को लागू करना चाहता था।
    • जेम्स द्वितीय के शासनकाल (1685-1688) के दौरान कैथोलिकवाद की ओर झुकाव ने प्रोटेस्टेंटों, जिसमें असंतुष्ट और चर्च ऑफ इंग्लैंड के सदस्य दोनों शामिल थे, के बीच और चिंताएँ पैदा कीं।
  2. गौरवशाली क्रांति (Glorious Revolution, 1688):
    • यह एक महत्वपूर्ण मोड़ था। जेम्स द्वितीय को अपदस्थ कर विलियम ऑफ ऑरेंज और मैरी द्वितीय को सिंहासन पर बिठाया गया। यह क्रांति रक्तहीन थी और इसने संसदीय प्रभुत्व और सीमित राजशाही की नींव रखी।
    • 1689 का टॉलरेशन एक्ट (Toleration Act) एक बड़ी राहत लाया। इसने असंतुष्टों को अपनी सभाएँ आयोजित करने की अनुमति दी, हालांकि अभी भी उन्हें सार्वजनिक कार्यालयों से बाहर रखा गया था। यह डेफ़ो जैसे असंतुष्टों के लिए अपेक्षाकृत अधिक स्वतंत्रता का काल था, हालांकि अभी भी पूर्ण समानता नहीं थी।
  3. पार्टी राजनीति का उदय (Rise of Party Politics):
    • टोरीज़ (मुख्यतः भूमिगत अभिजात वर्ग और चर्च ऑफ इंग्लैंड के समर्थक) और व्हिग्स (व्यापारी वर्ग, असंतुष्टों और संसदीय अधिकारों के समर्थक) के बीच राजनीतिक विभाजन स्पष्ट हो गया था।
    • डेफ़ो, अपने विचारों और पृष्ठभूमि के कारण, व्हिग्स के प्रति झुकाव रखते थे, हालांकि उन्होंने अक्सर दोनों पक्षों की आलोचना की। उनकी पत्रकारिता इस पार्टी संघर्ष का एक दर्पण थी।
  4. व्यापार और औपनिवेशिक विस्तार (Trade and Colonial Expansion):
    • यह इंग्लैंड के लिए एक आर्थिक विकास का दौर था, जिसमें व्यापार और उपनिवेशवाद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। समुद्री व्यापार फल-फूल रहा था।
    • डेफ़ो की कहानियों में समुद्री यात्रा, व्यापार और नई दुनिया की खोज की थीम इस युग की वास्तविकताओं को दर्शाती है। “रॉबिन्सन क्रूसो” इस वैश्विक व्यापारिक उद्यम का एक साहित्यिक प्रतिबिंब है।
  5. ज्ञानोदय की शुरुआत (Dawn of the Enlightenment):
    • तर्क, कारण और व्यक्तिवाद पर जोर देने वाले विचार आकार ले रहे थे। जॉन लॉक जैसे विचारकों के प्रभाव ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता और प्राकृतिक अधिकारों की अवधारणाओं को बढ़ावा दिया।
    • डेफ़ो का यथार्थवादी लेखन और मानव स्वभाव का अन्वेषण इस नए बौद्धिक माहौल के साथ प्रतिध्वनित होता था।

डेफ़ो का प्रोटेस्टेंट असंतुष्ट परिवार में जन्म लेना उन्हें तत्कालीन इंग्लैंड के सामाजिक-राजनीतिक संघर्षों के केंद्र में रखता था। इसने उन्हें उत्पीड़न का अनुभव दिया, लेकिन साथ ही उन्हें व्यापारिक दुनिया की समझ, एक मजबूत नैतिक कंपास और बौद्धिक स्वतंत्रता की भावना भी प्रदान की। ये सभी तत्व उनके विशिष्ट लेखन शैली, उनकी पत्रकारिता और उनके अमर उपन्यास “रॉबिन्सन क्रूसो” के आधार बने।

एक व्यापारी का जीवन और राजनीतिक उथल-पुथल (जारी)

डेनियल डेफ़ो ने अपने शुरुआती जीवन में एक लेखक या पत्रकार के रूप में करियर बनाने का इरादा नहीं किया था। उनके असंतुष्ट परिवार और उस समय के सामाजिक मानदंडों को देखते हुए, उनके लिए एक “सम्मानजनक” पेशा एक व्यापारी का था। 1680 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने एक व्यापारी के रूप में अपना करियर शुरू किया, लेकिन यह रास्ता उनके लिए वित्तीय सफलता के बजाय लगातार असफलताओं और कर्ज की गहरी खाई की ओर ले गया।

व्यापार में असफल प्रयास:

डेफ़ो ने कई विभिन्न व्यावसायिक उद्यमों में हाथ आजमाया, जो उनकी साहसी, आविष्कारशील लेकिन कभी-कभी अव्यावहारिक प्रकृति को दर्शाते हैं। उन्होंने शराब, तंबाकू, ईंट और यहां तक कि हॉग्स (सूअरों) का व्यापार किया। उन्होंने स्पेन और पुर्तगाल जैसे देशों के साथ भी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में शामिल होने का प्रयास किया।

उनके व्यापारिक जीवन की मुख्य विशेषताएं और असफलता के कारण इस प्रकार थे:

  1. अत्यधिक जोखिम और अटकलें: डेफ़ो एक साहसी व्यापारी थे जो अक्सर बड़े जोखिम लेते थे। उन्होंने तेजी से पैसा बनाने की उम्मीद में सट्टा सौदों में निवेश किया। हालांकि, उन्हें अक्सर बाजार के उतार-चढ़ाव या अप्रत्याशित घटनाओं के कारण नुकसान उठाना पड़ा। उनकी महत्वाकांक्षा अक्सर उनके विवेक पर भारी पड़ जाती थी।
  2. वित्तीय कुप्रबंधन: डेफ़ो की वित्तीय प्रबंधन की समझ बहुत अच्छी नहीं थी। वह अक्सर अपने साधनों से अधिक खर्च करते थे और अपने व्यावसायिक ऋणों को ठीक से प्रबंधित नहीं कर पाते थे। उन्होंने एक बार टिप्पणी की थी कि उन्हें “एक व्यापारी के रूप में उतना सफल नहीं होने का अफसोस” है।
  3. राजनीतिक उथल-पुथल का प्रभाव: इंग्लैंड उस समय एक राजनीतिक रूप से अस्थिर दौर से गुजर रहा था (जैसा कि पिछले अध्याय में चर्चा की गई है)। राजनीतिक अस्थिरता और विद्रोह (जैसे ड्यूक ऑफ मोनमाउथ का विद्रोह जिसमें डेफ़ो ने सक्रिय रूप से भाग लिया था) ने व्यापार और वाणिज्य को बाधित किया। डेफ़ो जैसे व्यापारी, जो अक्सर ऋण पर काम करते थे, इन झटकों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील थे। 1688 की गौरवशाली क्रांति ने, हालांकि अंततः राजनीतिक स्थिरता लाई, लेकिन संक्रमणकालीन अवधि में व्यापार के लिए अनिश्चितता पैदा की।
  4. व्यक्तिगत देनदारियाँ और गारंटर के रूप में कार्य करना: डेफ़ो ने केवल अपने स्वयं के उद्यमों में ही नहीं, बल्कि दूसरों के ऋणों के लिए भी गारंटर के रूप में हस्ताक्षर किए थे। जब वे व्यक्ति दिवालिया हो गए, तो डेफ़ो को उनकी देनदारियों का बोझ उठाना पड़ा, जिससे उनकी अपनी वित्तीय स्थिति और भी खराब हो गई।

कर्ज की चुनौतियाँ और दिवालियापन:

डेफ़ो का व्यापारिक करियर दिवालिएपन और कर्ज के एक सतत चक्र से परिभाषित हुआ।

  1. पहला दिवालियापन (1692): उनके व्यापारिक प्रयासों की सबसे बड़ी विफलता 1692 में हुई जब उन्हें लगभग £17,000 (आज के मानकों के अनुसार एक बहुत बड़ी राशि) का कर्ज चुकाना पड़ा। यह राशि इतनी बड़ी थी कि इसने उन्हें कानूनी रूप से दिवालिया घोषित कर दिया। दिवालियापन उस समय एक गंभीर सामाजिक कलंक था और अक्सर देनदारों को जेल (डेटर्स प्रिज़न) में डाल दिया जाता था। डेफ़ो कुछ समय के लिए गिरफ्तारी से बचने के लिए भागते रहे।
  2. ऋणदाताओं के साथ समझौता: डेफ़ो ने अपनी देनदारियों से पूरी तरह से बचने के बजाय, अपने अधिकांश ऋणदाताओं के साथ एक समझौता करने की कोशिश की, जिसमें उन्होंने आंशिक भुगतान करने का वादा किया। यह उनके चरित्र की एक विशेषता थी कि वे अपने नैतिक दायित्वों को पूरी तरह से त्यागना नहीं चाहते थे, भले ही वे उन्हें चुकाने में असमर्थ थे। हालांकि, यह प्रक्रिया लंबी और दर्दनाक थी।
  3. निरंतर वित्तीय संकट: 1692 के दिवालिएपन के बाद भी, डेफ़ो को अपने शेष जीवन में वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं (जैसे ईंट और टाइल बनाने का कारखाना) में निवेश करके अपनी वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने की कोशिश की, लेकिन अक्सर वे सफल नहीं हुए। कर्ज का भूत हमेशा उन पर मंडराता रहा। उनके पत्रकारिता और साहित्यिक करियर का एक बड़ा हिस्सा उनके वित्तीय संकटों को कम करने या कर्ज चुकाने की आवश्यकता से प्रेरित था।

इन असफल व्यापारिक प्रयासों और कर्ज की चुनौतियों ने डेफ़ो के जीवन को एक निश्चित कड़वाहट दी, लेकिन इसने उन्हें समाज के निचले तबकों, आर्थिक संघर्षों और कानून की जटिलताओं की भी गहरी समझ दी। यह अनुभव उनके लेखन में यथार्थवाद, विस्तार और मानव संघर्ष के चित्रण के लिए invaluable साबित हुआ। यह उनकी रचनाओं में “रॉबिन्सन क्रूसो” जैसे चरित्रों के आत्मनिर्भरता और वित्तीय प्रबंधन के विषयों को भी प्रभावित करेगा।

एक व्यापारी का जीवन और राजनीतिक उथल-पुथल (जारी)

डेनियल डेफ़ो के व्यापारिक असफलताओं और कर्ज की चुनौतियों के बीच ही, उनकी कलम ने एक नया रास्ता खोजा: राजनीतिक पत्रकारिता। यह वह क्षेत्र था जहाँ उनकी तीक्ष्ण बुद्धि, अवलोकन क्षमता और प्रभावशाली लेखन शैली वास्तव में चमक उठी। यह उनके लिए न केवल वित्तीय संकट से उबरने का एक साधन था, बल्कि तत्कालीन ब्रिटिश राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेने का एक मंच भी था।

राजनीतिक पत्रकारिता में प्रवेश:

डेफ़ो का राजनीतिक लेखन में प्रवेश आकस्मिक नहीं था। उनकी असंतुष्ट पृष्ठभूमि, उनकी अकादमी की शिक्षा जिसने उन्हें राजनीति और अर्थशास्त्र की गहरी समझ दी, और उनके व्यक्तिगत अनुभव (जैसे मोनमाउथ विद्रोह में भागीदारी) ने उन्हें सार्वजनिक मामलों पर टिप्पणी करने के लिए तैयार किया था।

  1. शुरुआती पर्चे और पैम्फलेट: 1680 के दशक के अंत और 1690 के दशक की शुरुआत में, डेफ़ो ने गुमनाम रूप से या छद्म नाम से राजनीतिक पर्चे और पैम्फलेट लिखना शुरू किया। ये छोटे, प्रभावशाली प्रकाशन थे जो तत्कालीन राजनीतिक बहस में हस्तक्षेप करते थे। उन्होंने गौरवशाली क्रांति (1688) का समर्थन किया और विलियम तृतीय के शासन के प्रबल समर्थक बन गए।
  2. विलियम तृतीय के सलाहकार: डेफ़ो ने जल्द ही राजा विलियम तृतीय का ध्यान आकर्षित किया, जो एक दूरदर्शी शासक थे और असंतुष्टों के प्रति अपेक्षाकृत सहिष्णु थे। डेफ़ो ने विलियम के लिए एक गुप्त एजेंट और प्रचारक के रूप में काम किया, जिससे उन्हें राजा की नीतियों का बचाव करने और सार्वजनिक राय को प्रभावित करने में मदद मिली। इस अवधि में उन्होंने “द ट्रुबोर्न इंग्लिशमैन” (The True-Born Englishman, 1701) जैसे महत्वपूर्ण व्यंग्यात्मक कविताएँ लिखीं, जिसमें उन्होंने अंग्रेजी पहचान की संकीर्ण धारणाओं पर हमला किया और राष्ट्र की मिश्रित विरासत का जश्न मनाया।

तत्कालीन ब्रिटिश राजनीति में भूमिका:

डेफ़ो की भूमिका एक साधारण टिप्पणीकार से कहीं अधिक थी; वह एक सक्रिय भागीदार थे जो सार्वजनिक बहस को आकार देने की कोशिश कर रहे थे।

  1. व्हिग समर्थक और मध्यमार्गी: डेफ़ो ने व्हिग पार्टी के सिद्धांतों का समर्थन किया, जो संसदीय प्रभुत्व, व्यापारिक हितों और धार्मिक सहिष्णुता के पक्षधर थे। हालांकि, वह एक कट्टरपंथी व्हिग नहीं थे; उन्होंने अक्सर दोनों प्रमुख पार्टियों (व्हिग्स और टोरीज़) के अतिवादों की आलोचना की और एक संतुलित, मध्यमार्गी दृष्टिकोण अपनाने की वकालत की। उनका मानना था कि राष्ट्र के हित पार्टी निष्ठा से ऊपर होने चाहिए।
  2. जनमत निर्माता: डेफ़ो ने अपनी कलम का उपयोग जनमत को प्रभावित करने के लिए किया। उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर लिखा, जिनमें शामिल थे:
    • धार्मिक सहिष्णुता: असंतुष्टों के अधिकारों की वकालत करना और चर्च ऑफ इंग्लैंड के कट्टरपंथियों द्वारा असंतुष्टों के उत्पीड़न का विरोध करना।
    • आर्थिक नीति: व्यापार, ऋण और राष्ट्रीय वित्त पर टिप्पणी करना।
    • यूरोपीय मामले: इंग्लैंड की विदेश नीति और यूरोपीय शक्तियों के साथ उसके संबंधों पर विचार व्यक्त करना।
    • संघ का अधिनियम (Act of Union, 1707): डेफ़ो ने इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच संघ का पुरजोर समर्थन किया और इसे बढ़ावा देने के लिए स्कॉटलैंड में एक गुप्त एजेंट के रूप में भी काम किया। उन्होंने इस ऐतिहासिक घटना पर कई लेख और पर्चे लिखे।
  3. व्यंग्य और विवाद: डेफ़ो ने अक्सर व्यंग्य का उपयोग अपने राजनीतिक विरोधियों पर हमला करने और सामाजिक बुराइयों को उजागर करने के लिए किया। उनके व्यंग्य अक्सर इतने तीखे और यथार्थवादी होते थे कि उन्हें गलत समझा जाता था, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़े। इसका सबसे प्रमुख उदाहरण उनका 1702 का पर्चा “द शॉर्टेस्ट वे विद द डिसेंटर्स” था, जिसे उन्होंने असंतुष्टों के कट्टरपंथी विरोधियों का मज़ाक उड़ाने के लिए लिखा था। विडंबना यह थी कि इस पर्चे को कई लोगों ने गंभीरता से लिया और असंतुष्टों के खिलाफ एक वास्तविक प्रस्ताव के रूप में देखा, जिसके कारण डेफ़ो को गिरफ्तार किया गया और पिलोरी (कालकोठरी) में रखा गया।
  4. एक पेशेवर पत्रकार का उदय: डेफ़ो को अक्सर आधुनिक पत्रकारिता के अग्रदूतों में से एक माना जाता है। उन्होंने न केवल सामयिक पर्चे लिखे, बल्कि नियमित प्रकाशनों की अवधारणा को भी आगे बढ़ाया। उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान “द रिव्यू” (The Review) नामक पत्रिका की स्थापना थी, जिसे उन्होंने 1704 से 1713 तक लगभग एक दशक तक अकेले लिखा और संपादित किया। यह पत्रिका राजनीतिक घटनाओं, व्यापारिक मामलों और सामाजिक मुद्दों पर टिप्पणी करती थी, और इसने नियमित रूप से प्रकाशित होने वाले संपादकीय और विश्लेषण की नींव रखी।

डेफ़ो की राजनीतिक पत्रकारिता में भागीदारी ने उन्हें एक प्रभावशाली लेकिन अक्सर विवादास्पद व्यक्ति बना दिया। उनके लेखन ने उन्हें शक्तिशाली मित्रों और दुश्मनों दोनों को अर्जित किया। उनकी भूमिका ने उन्हें तत्कालीन ब्रिटिश समाज और राजनीति की गहरी समझ दी, जो बाद में उनके उपन्यासों में यथार्थवादी चित्रण और सामाजिक टिप्पणियों के लिए एक समृद्ध पृष्ठभूमि प्रदान करेगी।

उनके कुछ शुरुआती राजनीतिक पर्चे और उनके परिणामस्वरूप हुई परेशानियाँ

डेनियल डेफ़ो ने अपने व्यापारिक संघर्षों के बावजूद, अपनी कलम को राजनीतिक क्षेत्र में एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में प्रयोग करना जारी रखा। उनके शुरुआती राजनीतिक पर्चे न केवल उनके विचारों को दर्शाते थे, बल्कि उन्हें तत्कालीन ब्रिटिश समाज में विवादास्पद शख्सियत भी बनाते थे, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें कई गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ा।

शुरुआती राजनीतिक पर्चे

डेफ़ो की शुरुआती राजनीतिक कृतियों में उनके तीखे व्यंग्य, उनके बुद्धि कौशल और राजनीतिक परिदृश्य की उनकी गहरी समझ स्पष्ट रूप से झलकती थी।

  1. “द ट्रुबोर्न इंग्लिशमैन” (The True-Born Englishman, 1701):
    • यह एक लंबी, व्यंग्यात्मक कविता थी जो 1701 में प्रकाशित हुई। इस कविता में डेफ़ो ने तत्कालीन आम धारणा पर प्रहार किया कि “शुद्ध अंग्रेजी” वंश जैसी कोई चीज़ होती है।
    • उन्होंने तर्क दिया कि अंग्रेज वास्तव में विभिन्न जातियों और संस्कृतियों, विशेषकर नॉर्मन आक्रमणकारियों और अन्य यूरोपीय प्रवासियों के मिश्रण से बने हैं।
    • यह पर्चा किंग विलियम तृतीय का बचाव करने के लिए लिखा गया था, जो एक डच मूल के शासक थे और अक्सर अंग्रेजी पहचान को “विदेशी” होने के लिए टोरीज़ द्वारा आलोचना का सामना करते थे।
    • परिणाम: यह कविता अविश्वसनीय रूप से लोकप्रिय हुई, इसकी लाखों प्रतियां बिकीं (उस समय के लिए एक अभूतपूर्व संख्या)। इसने डेफ़ो को सार्वजनिक रूप से प्रसिद्ध किया और किंग विलियम का विश्वास अर्जित करने में मदद की, जिससे उन्हें एक राजनीतिक प्रचारक के रूप में एक मजबूत foothold मिला। हालांकि, इसने उन्हें कुछ वर्ग के राष्ट्रवादियों का दुश्मन भी बना दिया।
  2. “द शॉर्टेस्ट वे विद द डिसेंटर्स” (The Shortest Way with the Dissenters, 1702):
    • यह डेफ़ो का सबसे कुख्यात और समस्याग्रस्त पर्चा था, जो 1702 के अंत में प्रकाशित हुआ। इसे धार्मिक कट्टरता और असहिष्णुता के खिलाफ एक शक्तिशाली व्यंग्य के रूप में लिखा गया था।
    • इस पर्चे में, डेफ़ो ने एक अति-कट्टरपंथी चर्च ऑफ इंग्लैंड के पादरी का ढोंग किया और सुझाव दिया कि असंतुष्टों (प्रोटेस्टेंट नॉन-कनफ़र्मिस्ट्स) को पूरी तरह से दबा दिया जाना चाहिए या उन्हें निष्कासित कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने विडंबनापूर्ण ढंग से तर्क दिया कि असंतुष्टों को शांत करने का “सबसे छोटा रास्ता” केवल उनका उन्मूलन था।
    • आशय: डेफ़ो का इरादा यह था कि चर्च ऑफ इंग्लैंड के कट्टरपंथी पाठक इस हास्यास्पद और क्रूर प्रस्ताव की अतिशयोक्ति को पहचानें और अपनी ही असहिष्णुता की मूर्खता देखें।
    • गलतफहमी: हालांकि, पर्चा इतना यथार्थवादी और उनके विरोधियों के तर्कों की इतनी सटीक नकल था कि इसे बहुत से लोगों ने, जिनमें असंतुष्ट और कट्टरपंथी दोनों शामिल थे, शाब्दिक रूप से लिया। असंतुष्ट भयभीत हो गए, जबकि कट्टरपंथी उत्साहित हो गए और पर्चे की प्रशंसा करने लगे।

परिणामस्वरूप हुई परेशानियाँ

“द शॉर्टेस्ट वे विद द डिसेंटर्स” का प्रकाशन डेफ़ो के लिए एक पूर्ण आपदा साबित हुआ और इसके गंभीर व्यक्तिगत और वित्तीय परिणाम हुए:

  1. गिरफ्तारी वारंट और छिपना: जब पर्चे का असली व्यंग्यात्मक इरादा सामने आया, तो राजनीतिक और धार्मिक प्रतिष्ठान क्रोधित हो गए। दिसंबर 1702 में, एक गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया। डेफ़ो कुछ समय के लिए लंदन से भागकर छिप गए, लेकिन अंततः उन्हें मार्च 1703 में गिरफ्तार कर लिया गया।
  2. अभियोग और सजा: उन पर राजद्रोही प्रकाशन का आरोप लगाया गया। उन्हें जून 1703 में दोषी ठहराया गया और उन्हें कठोर सजा सुनाई गई:
    • जुर्माना: उन पर भारी जुर्माना लगाया गया।
    • पिलोरी (Pillory): उन्हें लंदन के तीन प्रमुख स्थानों पर, तीन दिनों तक सार्वजनिक रूप से पिलोरी में खड़ा किया गया (एक लकड़ी का ढांचा जिसमें व्यक्ति का सिर और हाथ जकड़ दिए जाते थे)। यह एक शर्मनाक और अक्सर खतरनाक सार्वजनिक दंड था, जहाँ भीड़ अक्सर दोषी पर पत्थर, सड़ी हुई सब्जियाँ और गंदगी फेंकती थी।
    • कारावास: उन्हें अज्ञात अवधि के लिए न्यूगेट जेल में भी डाल दिया गया।
  3. सार्वजनिक अपमान को पलटना: अपनी पिलोरी की सजा के दौरान, डेफ़ो ने असाधारण साहस और चतुराई का प्रदर्शन किया। उन्होंने अपनी खुद की एक कविता, “ए हिम टू द पिलोरी” (A Hymn to the Pillory) लिखी और उसे भीड़ में वितरित करवाया। इस कविता में, उन्होंने पिलोरी को एक सम्मान के बैज के रूप में वर्णित किया और उन लोगों की पाखंडी नैतिकता पर हमला किया जिन्होंने उसे वहाँ रखा था। आश्चर्यजनक रूप से, भीड़, उनकी बहादुरी से प्रभावित हुई, और उन पर फूल फेंके और उनके स्वास्थ्य के लिए शराब पी। यह एक सार्वजनिक अपमान को एक विजय में बदलने का एक उल्लेखनीय उदाहरण था।
  4. वित्तीय बर्बादी: जेल जाने और अदालती खर्चों के कारण डेफ़ो की पहले से ही नाजुक वित्तीय स्थिति पूरी तरह से बर्बाद हो गई। उनका ईंट और टाइल बनाने का कारखाना, जो उनके लिए एक नई वित्तीय शुरुआत की उम्मीद थी, जेल में रहने के दौरान ढह गया, जिससे उन्हें फिर से भारी कर्ज में डुबो दिया गया।
  5. राजनीतिक निर्भरता: जेल से बाहर निकलने के लिए, डेफ़ो को रॉबर्ट हार्ले जैसे शक्तिशाली राजनीतिक हस्तियों की मदद लेनी पड़ी, जो बाद में टोरी सरकार में एक प्रभावशाली मंत्री बने। हार्ले ने डेफ़ो को अपनी सेवाओं के बदले में जेल से रिहा करवाया, लेकिन इसका मतलब था कि डेफ़ो अब हार्ले के राजनीतिक हितों की सेवा करने के लिए बाध्य थे। इससे डेफ़ो की राजनीतिक स्वतंत्रता सीमित हो गई और उन्हें अक्सर ऐसी नीतियों का बचाव करना पड़ा जिनसे वे व्यक्तिगत रूप से सहमत नहीं थे।

ये शुरुआती अनुभव, विशेषकर “द शॉर्टेस्ट वे विद द डिसेंटर्स” के परिणामस्वरूप हुई परेशानियाँ, डेफ़ो के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ थीं। उन्होंने उन्हें सार्वजनिक रूप से लेखन के जोखिमों का अनुभव कराया, लेकिन साथ ही उन्हें जनता की नब्ज और राजनीतिक सत्ता के साथ जुड़ने की उनकी क्षमता का भी एहसास कराया। यह उनके लिए एक लेखक, पत्रकार और जीवित रहने वाले के रूप में सीखने का एक कठोर लेकिन अमूल्य सबक था।

डेनियल डेफ़ो के प्रसिद्ध व्यंग्यपूर्ण पर्चे “द शॉर्टेस्ट वे विद द डिसेंटर्स” (The Shortest Way with the Dissenters) ने उन्हें भारी मुसीबत में डाल दिया और उन्हें इंग्लैंड के इतिहास की सबसे अपमानजनक सार्वजनिक सज़ाओं में से एक का सामना करना पड़ा। यह पर्चा 1702 के अंत में प्रकाशित हुआ था और इसका उद्देश्य कट्टरपंथी चर्च ऑफ इंग्लैंड के सदस्यों के असहिष्णु दृष्टिकोण का मज़ाक उड़ाना था, जो प्रोटेस्टेंट असंतुष्टों (नॉन-कनफ़र्मिस्ट्स) के प्रति बहुत कठोर थे।

डेफ़ो ने पर्चे में एक कट्टरपंथी पादरी की आवाज़ में लिखा, जिसने सुझाव दिया कि असंतुष्टों से निपटने का “सबसे छोटा रास्ता” उन्हें पूरी तरह से नष्ट करना या देश से भगाना है। विडंबना यह थी कि उन्होंने इसे इतनी सटीकता और विश्वास के साथ लिखा कि कई लोगों ने, जिसमें असंतुष्ट और कट्टरपंथी दोनों शामिल थे, इसे गंभीरता से ले लिया। असंतुष्ट भयभीत हो गए, जबकि कट्टरपंथी इसे एक वैध प्रस्ताव मानकर इसकी प्रशंसा करने लगे।

जब व्यंग्य का असली इरादा सामने आया, तो गुस्सा फूट पड़ा। संसद ने इसे एक राजद्रोही प्रकाशन घोषित किया और डेफ़ो की गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया।

डेफ़ो को मिली सज़ा का विवरण:

जुलाई 1703 में, डेफ़ो को उनके अपराध के लिए कठोर सज़ा सुनाई गई, जिसमें कई अपमानजनक और गंभीर दंड शामिल थे:

  1. भारी जुर्माना (Heavy Fine): डेफ़ो पर एक बड़ी राशि का जुर्माना लगाया गया। यह उनके लिए विशेष रूप से विनाशकारी था, क्योंकि वह पहले से ही दिवालियापन और कर्ज के जाल में फंसे हुए थे। इस जुर्माने ने उनकी वित्तीय स्थिति को और भी खराब कर दिया।
  2. पिलोरी (Pillory) की सज़ा: यह सज़ा का सबसे सार्वजनिक और अपमानजनक हिस्सा था। डेफ़ो को तीन अलग-अलग दिनों में, लंदन के प्रमुख स्थानों (न्यूगेट, चियरिंग क्रॉस और रॉयल एक्सचेंज) पर पिलोरी में खड़ा किया गया।
    • पिलोरी क्या थी? यह एक लकड़ी का ढांचा होता था जिसमें दोषी के सिर और हाथों को छेद में फंसा दिया जाता था, जिससे वह स्थिर खड़ा रहे और भीड़ के सामने खुला रहे। यह सार्वजनिक शर्मिंदगी और उपहास के लिए डिज़ाइन किया गया था।
    • सार्वजनिक अपमान: पिलोरी में खड़े होने का मतलब था भीड़ द्वारा उपहास, गालियों और हमलों का सामना करना। दोषी पर अक्सर पत्थर, सड़ी हुई सब्जियां, अंडे या गंदगी फेंकी जाती थी। यह शारीरिक रूप से खतरनाक और मनोवैज्ञानिक रूप से क्रूर अनुभव हो सकता था।
    • डेफ़ो का साहस: हालांकि, डेफ़ो ने इस अपमानजनक सज़ा को एक साहसिक कृत्य में बदल दिया। उन्होंने अपनी खुद की एक कविता, “ए हिम टू द पिलोरी” (A Hymn to the Pillory) लिखी, जिसे उनके समर्थकों ने भीड़ में वितरित किया। इस कविता में, उन्होंने पिलोरी को स्वयं की बदनामी के बजाय उन लोगों की बुराई का प्रतीक बताया जिन्होंने उसे वहाँ रखा था। डेफ़ो की बहादुरी और वाक्पटुता से प्रभावित होकर, भीड़ ने, आश्चर्यजनक रूप से, उन पर फूल फेंके और उनके सम्मान में शराब पी, बजाय इसके कि उन्हें शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाए। यह एक सार्वजनिक शर्मिंदगी को एक अप्रत्याशित विजय में बदलने का एक दुर्लभ उदाहरण था।
  3. अनिश्चितकालीन कारावास (Indefinite Imprisonment): पिलोरी की सज़ा के बाद, डेफ़ो को लंदन की कुख्यात न्यूगेट जेल (Newgate Prison) में अनिश्चित काल के लिए कैद कर लिया गया।
    • जेल की स्थितियाँ: न्यूगेट अपनी अमानवीय और कठोर परिस्थितियों के लिए कुख्यात थी। भीड़भाड़, बीमारी और खराब स्वच्छता आम थी। कैदियों को अक्सर अपनी सुविधाओं के लिए भुगतान करना पड़ता था, और डेफ़ो जैसे दिवालिया लोगों के लिए यह एक अतिरिक्त बोझ था।
    • वित्तीय और व्यक्तिगत बर्बादी: जेल में रहने के दौरान, डेफ़ो का ईंट और टाइल बनाने का लाभकारी व्यवसाय ठप हो गया, जिससे उन्हें भारी वित्तीय नुकसान हुआ और वह फिर से कर्ज में डूब गए। उनका परिवार भी कठिनाइयों में घिर गया।

इस सज़ा ने डेफ़ो के जीवन में एक बड़ा मोड़ ला दिया। इसने उन्हें आर्थिक रूप से बर्बाद कर दिया और उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को खतरे में डाल दिया। हालांकि, यह अनुभव उनके लेखन के लिए एक शक्तिशाली पृष्ठभूमि भी बना। जेल में रहते हुए भी उन्होंने लिखना जारी रखा, और यहीं से उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पत्रिका “द रिव्यू” (The Review) की शुरुआत की, जो उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में एक अग्रणी व्यक्ति के रूप में स्थापित करेगी। इस अवधि में उन्हें राजनीतिक हस्तियों, विशेषकर रॉबर्ट हार्ले (जो बाद में एक प्रमुख मंत्री बने) के साथ संबंध बनाने का भी अवसर मिला, जिन्होंने अंततः उनकी रिहाई का प्रबंध किया, लेकिन बदले में डेफ़ो से उनके राजनीतिक उद्देश्यों के लिए काम करने की अपेक्षा की।

पिलोरी (कालकोठरी) में उनके अनुभव और इस घटना का उनके जीवन पर प्रभाव

डेनियल डेफ़ो के लिए पिलोरी (Pillory) की सज़ा न केवल एक शारीरिक और भावनात्मक परीक्षा थी, बल्कि यह उनके जीवन और सार्वजनिक छवि पर गहरा प्रभाव डालने वाली एक युगांतरकारी घटना भी थी। 1703 की गर्मियों में तीन अलग-अलग दिनों तक, लंदन की भीड़ के सामने इस अपमानजनक उपकरण में खड़े होने का उनका अनुभव, उनके संकल्प, उनकी चतुराई और उनके भविष्य के करियर को आकार देने में महत्वपूर्ण था।

पिलोरी में अनुभव: अपमान को विजय में बदलना

पिलोरी में खड़ा होना तत्कालीन इंग्लैंड में एक क्रूर और अक्सर खतरनाक सार्वजनिक दंड था। दोषियों के सिर और हाथ लकड़ी के एक फ्रेम में जकड़ दिए जाते थे, जिससे वे असहाय होकर घंटों तक भीड़ की दया पर निर्भर रहते थे। भीड़ अक्सर उन पर पत्थर, सड़े हुए अंडे, फल और गंदगी फेंकती थी, और कभी-कभी तो दोषी की मौत भी हो जाती थी। डेफ़ो, जो “द शॉर्टेस्ट वे विद द डिसेंटर्स” नामक अपने व्यंग्यपूर्ण पर्चे के लिए दोषी ठहराए गए थे, को ऐसी ही भीड़ के गुस्से का सामना करना पड़ा।

हालांकि, डेफ़ो ने इस अपमान को एक अनपेक्षित जीत में बदल दिया। अपनी असाधारण वाक्पटुता और साहस का प्रदर्शन करते हुए, उन्होंने अपनी खुद की एक कविता, “ए हिम टू द पिलोरी” (A Hymn to the Pillory) लिखी। इस कविता को उनके समर्थकों ने, जो उन्हें देखने के लिए आए थे, भीड़ में वितरित किया। कविता में, डेफ़ो ने पिलोरी को एक सम्मान के बैज के रूप में चित्रित किया, यह तर्क देते हुए कि वास्तविक शर्म उन लोगों की थी जिन्होंने उन्हें वहाँ रखा था – यानी राजनीतिक और धार्मिक पाखंडियों की। उन्होंने उन लोगों पर हमला किया जिन्होंने “देशभक्ति का दिखावा” किया लेकिन वास्तव में अत्याचार कर रहे थे।

डेफ़ो की निर्भीकता और उनकी कविता की मार्मिकता ने भीड़ पर एक अविश्वसनीय प्रभाव डाला। अपेक्षित आक्रोश और हिंसा के बजाय, भीड़ ने डेफ़ो पर फूल फेंके और उनके स्वास्थ्य के लिए शराब पी। यह एक सार्वजनिक अपमान को जन सहानुभूति और समर्थन में बदलने का एक दुर्लभ उदाहरण था। डेफ़ो ने न केवल शारीरिक नुकसान से खुद को बचाया, बल्कि उन्होंने अपनी नैतिक श्रेष्ठता और अन्याय के खिलाफ खड़े होने की अपनी इच्छा का प्रदर्शन भी किया।

इस घटना का उनके जीवन पर प्रभाव:

पिलोरी का अनुभव डेफ़ो के जीवन के कई पहलुओं पर दूरगामी प्रभाव डालने वाला था:

  1. सार्वजनिक पहचान और प्रतिष्ठा में परिवर्तन: हालांकि उन्हें अपराधी के रूप में सज़ा दी गई थी, पिलोरी में उनके व्यवहार ने उन्हें कुछ वर्गों के बीच एक शहीद और एक साहसी व्यक्ति के रूप में प्रतिष्ठा दिलाई। इसने उनकी सार्वजनिक प्रोफाइल को बढ़ाया और उन्हें एक ऐसे लेखक के रूप में स्थापित किया जो अपनी मान्यताओं के लिए जोखिम उठाने को तैयार था।
  2. वित्तीय बर्बादी और निरंतर संघर्ष: सज़ा के परिणामस्वरूप डेफ़ो को भारी जुर्माना भरना पड़ा और उन्हें न्यूगेट जेल में कैद कर लिया गया। जेल में रहने के दौरान उनका ईंट और टाइल बनाने का लाभकारी व्यवसाय ठप हो गया, जिससे उन्हें भारी वित्तीय नुकसान हुआ और वे फिर से कर्ज के दलदल में धंस गए। इस घटना ने उनके जीवन भर के वित्तीय संघर्षों को और गहरा कर दिया, और उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए लगातार लिखना पड़ा।
  3. राजनीतिक संबंध और स्वतंत्रता का ह्रास: जेल से बाहर निकलने के लिए, डेफ़ो को रॉबर्ट हार्ले जैसे शक्तिशाली राजनेताओं की मदद स्वीकार करनी पड़ी। हार्ले ने उन्हें रिहा करवाने में मदद की, लेकिन बदले में डेफ़ो को एक गुप्त एजेंट और राजनीतिक प्रचारक के रूप में उनकी सेवा करनी पड़ी। इससे डेफ़ो की राजनीतिक स्वतंत्रता काफी हद तक प्रभावित हुई। उन्हें अक्सर ऐसी सरकारों के लिए लिखना पड़ा जिनसे वे पूरी तरह सहमत नहीं थे, जिससे उनकी व्यक्तिगत ईमानदारी पर भी सवाल उठे। यह उनके जीवन का एक जटिल और अक्सर तनावपूर्ण पहलू था।
  4. पत्रकारिता करियर को बढ़ावा: विडंबना यह है कि पिलोरी का अनुभव उनके पत्रकारिता करियर के लिए एक उत्प्रेरक साबित हुआ। जेल में रहते हुए, डेफ़ो ने अपनी प्रसिद्ध साप्ताहिक पत्रिका “द रिव्यू” (The Review) की शुरुआत की, जिसे उन्होंने अकेले लिखा और संपादित किया। इस पत्रिका ने उन्हें एक नियमित और प्रभावशाली पत्रकार के रूप में स्थापित किया, जो तत्कालीन घटनाओं पर टिप्पणी करता था। यह आधुनिक पत्रकारिता के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम था।
  5. लेखन पर प्रभाव: यथार्थवाद और सहानुभूति: पिलोरी में खड़े होने का सीधा और अक्सर क्रूर अनुभव, साथ ही जेल में बिताया गया समय, डेफ़ो के लेखन को गहराई से प्रभावित करेगा। इसने उन्हें मानव स्वभाव, सामाजिक अन्याय, व्यक्तिगत लचीलेपन और अस्तित्व के लिए संघर्ष की गहरी समझ दी। उनके उपन्यासों में, जैसे कि “रॉबिन्सन क्रूसो”, “मॉले फ्लैंडर्स” और “जर्नल ऑफ द प्लेग ईयर”, आप उन व्यक्तियों का यथार्थवादी चित्रण पाते हैं जो बाहरी परिस्थितियों के खिलाफ जीवित रहने के लिए संघर्ष करते हैं, जो उनके अपने अनुभवों से प्रेरित था। यह अनुभव उन्हें समाज के हाशिए पर पड़े लोगों के प्रति अधिक सहानुभूतिपूर्ण बनाता है, जिनके जीवन की झलक उनके कई कार्यों में मिलती है।

पिलोरी में डेफ़ो का अनुभव एक सार्वजनिक अपमान से कहीं अधिक था। यह उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था जिसने उन्हें एक अधिक मजबूत, अधिक जटिल और यथार्थवादी लेखक बनाया। इसने उन्हें अपनी कमजोरियों और ताकतों दोनों का एहसास कराया, और उन्हें एक ऐसी आवाज़ दी जो आने वाली पीढ़ियों के लिए गूंजती रहेगी।

कालकोठरी और ‘एक मुक्तांगन’ (जारी)

डेनियल डेफ़ो के लिए न्यूगेट जेल में बिताया गया समय, हालांकि शारीरिक और वित्तीय रूप से विनाशकारी था, लेकिन यह उनके साहित्यिक करियर के लिए एक अप्रत्याशित उर्वर भूमि साबित हुआ। यह वह अवधि थी जब उन्होंने अपनी रचनात्मक ऊर्जा को एक नए और महत्वपूर्ण दिशा में लगाया, जिससे उनके कुछ सबसे प्रभावशाली कार्य अस्तित्व में आए।

जेल के दिनों में लेखन

जेल की कठोर परिस्थितियों के बावजूद, डेफ़ो ने लिखना बंद नहीं किया। वास्तव में, यह उनकी कलम ही थी जिसने उन्हें अपनी दुर्दशा से निपटने और अपनी आवाज़ को बनाए रखने में मदद की।

  1. “ए हिम टू द पिलोरी” (A Hymn to the Pillory, 1703): जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, यह कविता उनकी पिलोरी की सज़ा के दौरान लिखी गई थी। यह उनके त्वरित बुद्धि और अन्याय को चुनौती देने के उनके दृढ़ संकल्प का एक प्रमाण थी। इस कविता ने सार्वजनिक अपमान को एक नैतिक विजय में बदल दिया और भीड़ की सहानुभूति अर्जित की। यह दर्शाता है कि जेल जाने से पहले ही, डेफ़ो अपनी कलम का उपयोग अपने बचाव और अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए कर रहे थे।
  2. “द कंसोलिडेटर; ऑर, मेमोयर्स ऑफ ट्रांसएक्शन्स फ्रॉम द वर्ल्ड इन द मून” (The Consolidator; or, Memoirs of Sundry Transactions from the World in the Moon, 1705): न्यूगेट जेल में रहते हुए डेफ़ो ने इस व्यंग्यात्मक और राजनीतिक रूप से प्रतीकात्मक उपन्यास पर काम किया। यह एक काल्पनिक यात्रा वृत्तांत है जहाँ नायक चंद्रमा की यात्रा करता है और वहाँ के समाज और राजनीति का अवलोकन करता है। इस कार्य के माध्यम से, डेफ़ो ने तत्कालीन ब्रिटिश राजनीति, विशेषकर पार्टी संघर्षों और धार्मिक असहमतियों पर टिप्पणी की। यह उनके बाद के, अधिक प्रसिद्ध उपन्यासों के लिए एक प्रारंभिक प्रयोग था, जिसमें उन्होंने यथार्थवाद और काल्पनिक कथा को मिलाया।

महत्वपूर्ण कार्यों का उदय: “द रिव्यू” (The Review)

जेल में रहते हुए डेफ़ो का सबसे महत्वपूर्ण और स्थायी योगदान उनकी पत्रिका “द रिव्यू” (The Review) की शुरुआत थी।

  1. “द रिव्यू” का जन्म (1704): अप्रैल 1704 में, न्यूगेट जेल से ही, डेफ़ो ने “ए रिव्यू ऑफ द अफेयर्स ऑफ फ्रांस: विद सम ऑब्जर्वेशन ऑन इंग्लिश ट्रांजैक्शन्स” नामक एक साप्ताहिक पत्रिका शुरू की। बाद में इसे छोटा करके केवल “द रिव्यू” कर दिया गया।
    • अकेले लिखा और संपादित: यह उल्लेखनीय है कि डेफ़ो ने लगभग एक दशक तक (1704 से 1713 तक) इस पत्रिका को लगभग पूरी तरह से अकेले ही लिखा और संपादित किया। यह उनकी असाधारण बौद्धिक ऊर्जा, दृढ़ता और उत्पादकता का प्रमाण है।
    • विषय वस्तु: “द रिव्यू” ने विभिन्न विषयों को कवर किया:
      • राजनीति: तत्कालीन घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक घटनाओं पर टिप्पणी, अक्सर व्हिग विचारों का समर्थन करते हुए लेकिन निष्पक्षता का दावा करते हुए।
      • अर्थशास्त्र और व्यापार: डेफ़ो की व्यापारिक पृष्ठभूमि ने उन्हें आर्थिक मुद्दों पर अधिकार के साथ लिखने में सक्षम बनाया। उन्होंने व्यापार, वित्त और उपनिवेशवाद पर विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किए।
      • सामाजिक मुद्दे: उन्होंने नैतिकता, शिष्टाचार और तत्कालीन समाज की बुराइयों पर भी लिखा।
      • जनमत को आकार देना: “द रिव्यू” ने सार्वजनिक बहस को आकार देने और जनमत को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • आधुनिक पत्रकारिता का अग्रदूत: “द रिव्यू” को अक्सर आधुनिक पत्रकारिता के शुरुआती उदाहरणों में से एक माना जाता है। डेफ़ो ने नियमित संपादकीय, विश्लेषणात्मक लेख और एक विशिष्ट “संपादकीय आवाज़” की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया। उन्होंने सूचना और राय को एक साथ प्रस्तुत करने का एक नया तरीका पेश किया।
  2. जेल से रिहाई और हार्ले का प्रभाव: “द रिव्यू” की शुरुआत ने शक्तिशाली राजनेता रॉबर्ट हार्ले का ध्यान आकर्षित किया, जो उस समय हाउस ऑफ कॉमन्स के अध्यक्ष थे और बाद में लॉर्ड ट्रेजरर बने। हार्ले, जो डेफ़ो की साहित्यिक प्रतिभा और उनके जनमत को प्रभावित करने की क्षमता को पहचानते थे, ने उन्हें न्यूगेट जेल से रिहा करवाने में मदद की।
    • बदले में सेवा: हार्ले की मदद के बदले में, डेफ़ो को उनके लिए एक गुप्त एजेंट और प्रचारक के रूप में काम करना पड़ा। इसका मतलब था कि उन्हें हार्ले की नीतियों का समर्थन करना था, भले ही वे हमेशा उनसे सहमत न हों। यह उनके जीवन का एक जटिल पहलू था, जिसने उनकी राजनीतिक स्वतंत्रता को सीमित कर दिया।

प्रभाव और महत्व

डेफ़ो के जेल के दिनों का लेखन और “द रिव्यू” का उदय उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ था:

  • व्यापार से लेखन की ओर पूर्ण परिवर्तन: इस अवधि ने डेफ़ो को एक असफल व्यापारी से एक सफल और प्रभावशाली लेखक और पत्रकार के रूप में पूरी तरह से बदल दिया।
  • अनुभवों का उपयोग: जेल और पिलोरी के अनुभव ने उन्हें मानव संघर्ष, सामाजिक अन्याय और अस्तित्व की चुनौतियों की गहरी समझ दी, जो उनके बाद के उपन्यासों में यथार्थवादी चित्रण के लिए एक समृद्ध स्रोत साबित हुई।
  • पत्रकारिता का विकास: “द रिव्यू” ने ब्रिटिश पत्रकारिता के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया और डेफ़ो को इस क्षेत्र में एक अग्रणी व्यक्ति के रूप में स्थापित किया।
  • राजनीतिक प्रभाव: अपनी पत्रिका और अन्य पर्चों के माध्यम से, डेफ़ो ने तत्कालीन राजनीतिक बहस में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, सरकारों की नीतियों का बचाव किया और जनमत को प्रभावित करने की कोशिश की।

पत्रकारिता और ‘रिव्यू’ का उदय

डेनियल डेफ़ो की जेल से रिहाई और रॉबर्ट हार्ले के साथ उनके संबंधों ने उनके जीवन को एक नया मोड़ दिया, जिससे वे एक पेशेवर पत्रकार के रूप में उभरे और उनकी प्रतिष्ठा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। इस प्रक्रिया में उनकी पत्रिका “द रिव्यू” (The Review) की स्थापना और उसका संचालन केंद्रीय भूमिका निभाता है।

एक पत्रकार के रूप में बढ़ती प्रतिष्ठा

जेल से निकलने के बाद, डेफ़ो को अपने कर्ज और परिवार का भरण-पोषण करने के लिए आय की सख्त जरूरत थी। उनकी लेखन प्रतिभा और राजनीतिक मामलों की गहरी समझ ने उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में एक अद्वितीय स्थान दिलाया।

  1. राजनीतिक एजेंट और प्रचारक: रॉबर्ट हार्ले के संरक्षण में, डेफ़ो ने एक गुप्त एजेंट और राजनीतिक प्रचारक के रूप में काम करना शुरू किया। उन्हें अक्सर विभिन्न क्षेत्रों में भेजा जाता था, जैसे कि स्कॉटलैंड, जहाँ उन्होंने 1707 के एक्ट ऑफ यूनियन (इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के संघ) के लिए जनमत तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन यात्राओं ने उन्हें देश की नब्ज, विभिन्न वर्गों के विचारों और स्थानीय राजनीति की गहरी समझ दी, जो उनके लेखन में यथार्थवाद को बढ़ाएगी।
  2. सरकार के लिए लेखन: डेफ़ो ने सरकार की नीतियों का बचाव करने और सार्वजनिक राय को प्रभावित करने के लिए कई पर्चे और लेख लिखे। हालांकि, यह उनके लिए एक जटिल स्थिति थी, क्योंकि उन्हें अक्सर ऐसी नीतियों का समर्थन करना पड़ता था जिनसे वे व्यक्तिगत रूप से सहमत नहीं थे। इससे उनकी ईमानदारी पर सवाल भी उठे, लेकिन इसने उन्हें एक प्रभावशाली राजनीतिक लेखक के रूप में स्थापित किया।
  3. विविध विषयों पर लेखन: उनकी प्रतिष्ठा केवल राजनीतिक लेखन तक ही सीमित नहीं थी। उन्होंने व्यापार, अर्थशास्त्र, नैतिकता और सामाजिक सुधारों पर भी लिखा। उनकी कलम बहुमुखी थी और वे किसी भी विषय पर अधिकार के साथ लिख सकते थे।

“रिव्यू” पत्रिका की स्थापना और उसका महत्व

डेफ़ो की पत्रकारिता की प्रतिष्ठा का शिखर उनकी पत्रिका “द रिव्यू” (The Review) थी, जिसे उन्होंने अप्रैल 1704 में न्यूगेट जेल से ही शुरू किया था। यह पत्रिका लगभग एक दशक तक, 1704 से 1713 तक चली, और इसने डेफ़ो को अंग्रेजी पत्रकारिता के अग्रदूतों में से एक के रूप में स्थापित किया।

  1. अद्वितीय स्वरूप और सामग्री:
    • एकल लेखक द्वारा: “द रिव्यू” की सबसे उल्लेखनीय विशेषता यह थी कि इसे लगभग पूरी तरह से डेनियल डेफ़ो ने स्वयं लिखा और संपादित किया था। यह एक व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता, समर्पण और उत्पादकता का एक अविश्वसनीय प्रदर्शन था।
    • नियमितता: यह एक साप्ताहिक प्रकाशन के रूप में शुरू हुआ, और बाद में सप्ताह में तीन बार प्रकाशित होने लगा। इस नियमितता ने इसे पाठकों के लिए एक विश्वसनीय सूचना स्रोत बना दिया।
    • विषय वस्तु का विस्तार: “द रिव्यू” ने केवल राजनीतिक समाचारों से कहीं अधिक विषयों को कवर किया। इसमें शामिल थे:
      • घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति: तत्कालीन राजनीतिक घटनाओं, युद्धों और संधियों पर गहन विश्लेषण और टिप्पणी।
      • व्यापार और वाणिज्य: डेफ़ो की व्यापारिक पृष्ठभूमि के कारण, पत्रिका ने आर्थिक मुद्दों, व्यापारिक नीतियों और उपनिवेशवाद पर विस्तृत लेख प्रकाशित किए। यह उस समय के व्यापारियों और निवेशकों के लिए एक मूल्यवान संसाधन था।
      • सामाजिक और नैतिक मुद्दे: डेफ़ो ने समाज की बुराइयों, नैतिकता, शिष्टाचार और सांस्कृतिक प्रवृत्तियों पर भी टिप्पणी की। उन्होंने अक्सर “स्कैंडल क्लब” नामक एक काल्पनिक अनुभाग का उपयोग करके सामाजिक आलोचना की।
      • जनमत का निर्माण: “द रिव्यू” का उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं था, बल्कि जनमत को आकार देना और पाठकों को महत्वपूर्ण मुद्दों पर सोचने के लिए प्रेरित करना भी था।
  2. आधुनिक पत्रकारिता में योगदान: “द रिव्यू” को अक्सर आधुनिक पत्रकारिता के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है:
    • संपादकीय लेखन का विकास: डेफ़ो ने एक विशिष्ट “संपादकीय आवाज़” की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया, जो घटनाओं का विश्लेषण करती थी और राय प्रस्तुत करती थी।
    • विश्लेषणात्मक पत्रकारिता: उन्होंने केवल तथ्यों को रिपोर्ट करने के बजाय, घटनाओं के पीछे के कारणों और प्रभावों का विश्लेषण करने पर जोर दिया।
    • नियमित प्रकाशन: साप्ताहिक या त्रि-साप्ताहिक प्रकाशन की नियमितता ने पाठकों के साथ एक संबंध स्थापित किया और उन्हें लगातार जानकारी प्रदान की।
    • जनता के लिए सुलभ: डेफ़ो की लेखन शैली सीधी, स्पष्ट और आकर्षक थी, जिससे यह आम जनता के लिए सुलभ थी, न कि केवल विद्वानों के लिए।
  3. प्रभाव और विरासत: “द रिव्यू” ने डेफ़ो को एक प्रभावशाली सार्वजनिक बुद्धिजीवी के रूप में स्थापित किया। इसने उन्हें तत्कालीन राजनीतिक और सामाजिक बहस में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना दिया। हालांकि यह पत्रिका अंततः 1713 में बंद हो गई (मुख्यतः राजनीतिक संरक्षण में बदलाव के कारण), इसने डेफ़ो के लिए एक मंच प्रदान किया जिसने उनकी लेखन क्षमताओं को निखारा और उन्हें एक पेशेवर लेखक के रूप में उनकी पहचान को मजबूत किया। “द रिव्यू” का अनुभव उनके बाद के उपन्यासों में यथार्थवादी विवरण, सामाजिक टिप्पणियों और कथात्मक कौशल के लिए एक आधार प्रदान करेगा।

“द रिव्यू” केवल एक पत्रिका नहीं थी; यह डेफ़ो की पत्रकारिता प्रतिभा का एक प्रतीक था और अंग्रेजी साहित्य और पत्रकारिता के इतिहास में एक महत्वपूर्ण नवाचार था, जिसने उन्हें एक प्रभावशाली सार्वजनिक आवाज़ के रूप में स्थापित किया।

तत्कालीन घटनाओं पर उनकी टिप्पणियाँ और उनकी लेखन शैली का विकास

डेनियल डेफ़ो की पहचान केवल एक पत्रकार के रूप में ही नहीं, बल्कि एक ऐसे कुशल लेखक के रूप में भी हुई, जिनकी टिप्पणियाँ तत्कालीन ब्रिटिश समाज और राजनीति की गहरी समझ दर्शाती थीं। उनकी लेखन शैली समय के साथ विकसित हुई, जिसने उन्हें यथार्थवाद और एक विशिष्ट कथात्मक स्वर के अग्रणी के रूप में स्थापित किया।

तत्कालीन घटनाओं पर उनकी टिप्पणियाँ

अपनी पत्रिका “द रिव्यू” और अनगिनत पर्चों के माध्यम से, डेफ़ो ने अपने समय की लगभग हर महत्वपूर्ण घटना पर टिप्पणी की। उनकी टिप्पणियाँ केवल सूचनात्मक नहीं थीं, बल्कि अक्सर विश्लेषणात्मक, शिक्षाप्रद और कभी-कभी व्यंग्यात्मक भी होती थीं।

  1. राजनीतिक उथल-पुथल:
    • पार्टी संघर्ष: डेफ़ो ने व्हिग्स और टोरीज़ के बीच चल रहे कड़वे पार्टी संघर्षों पर लगातार लिखा। हालांकि वह व्यक्तिगत रूप से व्हिग्स के प्रति झुकाव रखते थे, उन्होंने अक्सर दोनों पार्टियों के पाखंड और संकीर्णता की आलोचना की। उनका मानना था कि पार्टी हित राष्ट्रीय हित से ऊपर नहीं होने चाहिए।
    • विलियम और ऐनी का शासन: उन्होंने किंग विलियम तृतीय के शासन का पुरजोर समर्थन किया और उनकी नीतियों का बचाव किया। बाद में, क्वीन ऐनी के शासनकाल के दौरान, उन्होंने सरकार के लिए एक प्रचारक के रूप में काम किया, अक्सर सार्वजनिक राय को सरकार की नीतियों के पक्ष में मोड़ने की कोशिश करते थे।
    • उत्तराधिकार और संवैधानिक मुद्दे: उन्होंने उत्तराधिकार के प्रश्न और संसदीय प्रभुत्व के विकास जैसे महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दों पर भी टिप्पणी की, जिससे राष्ट्र के राजनीतिक भविष्य को आकार देने में मदद मिली।
  2. धार्मिक सहिष्णुता और असंतोष:
    • अपनी असंतुष्ट पृष्ठभूमि के कारण, डेफ़ो धार्मिक सहिष्णुता के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने चर्च ऑफ इंग्लैंड के कट्टरपंथियों द्वारा असंतुष्टों के प्रति अपनाए गए भेदभावपूर्ण रवैये की लगातार आलोचना की।
    • “द शॉर्टेस्ट वे विद द डिसेंटर्स” जैसा उनका व्यंग्य भले ही उनके लिए परेशानी का सबब बना, लेकिन इसने धार्मिक असहिष्णुता के खतरे को उजागर किया। वह धार्मिक सद्भाव और व्यक्तिगत विवेक के अधिकार के लिए तर्क देते रहे।
  3. आर्थिक मामले और व्यापार:
    • एक असफल व्यापारी होने के बावजूद, डेफ़ो को व्यापार और वित्त की गहरी समझ थी। उन्होंने राष्ट्रीय ऋण, बैंकिंग प्रणाली के विकास और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीतियों पर बड़े पैमाने पर लिखा।
    • वह एक मजबूत नौसेना और औपनिवेशिक विस्तार के समर्थक थे, यह मानते हुए कि ये इंग्लैंड की आर्थिक समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण थे। उन्होंने व्यापारियों की चुनौतियों और अवसरों का यथार्थवादी चित्रण प्रस्तुत किया।
    • वह अक्सर वाणिज्यिक मामलों पर सरकार को सलाह देते थे, यह दर्शाता है कि उनकी टिप्पणियों को गंभीरता से लिया जाता था।
  4. स्कॉटलैंड के साथ संघ (Act of Union 1707):
    • यह डेफ़ो के करियर की सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक थी। उन्होंने स्कॉटलैंड में कई वर्षों तक एक गुप्त एजेंट के रूप में काम किया, स्कॉटिश अभिजात वर्ग और आम जनता के साथ बातचीत की।
    • उन्होंने इस संघ के आर्थिक और राजनीतिक लाभों को बढ़ावा देने के लिए अनगिनत लेख और पर्चे लिखे, और स्कॉटिश आपत्तियों को संबोधित करने की कोशिश की। उनके प्रयास इस ऐतिहासिक घटना को सफल बनाने में महत्वपूर्ण थे।
  5. सामाजिक मुद्दे और नैतिकता:
    • डेफ़ो ने केवल राजनीति और अर्थशास्त्र पर ही नहीं लिखा, बल्कि उन्होंने सामाजिक नैतिकता, अपराध, गरीबी और वेश्यावृत्ति जैसे मुद्दों पर भी टिप्पणी की।
    • उन्होंने अक्सर समाज की बुराइयों की आलोचना की और नैतिक सुधारों का आह्वान किया। उनकी टिप्पणियों में समाज के निचले तबकों के लिए एक निश्चित सहानुभूति झलकती थी, जो उनके अपने अनुभवों से आई थी।

उनकी लेखन शैली का विकास

डेफ़ो की लेखन शैली को यथार्थवाद, सादगी और प्रेरक शक्ति के लिए जाना जाता है। समय के साथ, यह शैली और भी परिष्कृत होती गई, जिससे वे अंग्रेजी उपन्यास के विकास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए।

  1. सीधी और स्पष्ट भाषा: डेफ़ो ने जटिल शब्दावली या अलंकारिक भाषा के बजाय सीधी, स्पष्ट और सुलभ भाषा का प्रयोग किया। उनका लक्ष्य व्यापक पाठक वर्ग तक पहुंचना और अपने विचारों को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करना था, न कि केवल विद्वानों को प्रभावित करना। यह शैली “द रिव्यू” के लिए विशेष रूप से उपयुक्त थी।
  2. यथार्थवाद और विस्तार: उनकी सबसे विशिष्ट शैलीगत विशेषताओं में से एक यथार्थवाद पर उनका जोर था। वे घटनाओं, स्थानों और अनुभवों का ऐसा विस्तृत और विश्वसनीय चित्रण प्रस्तुत करते थे कि पाठक को लगता था कि वे वास्तविक घटनाओं को पढ़ रहे हैं। यह विशेषता उनके उपन्यासों में सबसे स्पष्ट रूप से दिखाई देगी, जहां वे काल्पनिक घटनाओं को भी वास्तविक घटनाओं की तरह प्रस्तुत करते हैं (जैसे “रॉबिन्सन क्रूसो” में)।
  3. व्यापक शोध और तथ्य-आधारित प्रस्तुति (या उसका आभास): डेफ़ो अक्सर अपने लेखन में आंकड़े, तथ्य और विशिष्ट विवरण शामिल करते थे, जिससे उनकी टिप्पणियों को आधिकारिकता मिलती थी। यहां तक कि जब वे कल्पना लिखते थे, तब भी वे इसे इतने विश्वासोत्पादक ढंग से प्रस्तुत करते थे कि वह एक सच्ची कहानी लगती थी। यह उनकी पत्रकारिता की पृष्ठभूमि से आया था।
  4. व्यंग्य और विडंबना का उपयोग: जैसा कि “द शॉर्टेस्ट वे विद द डिसेंटर्स” में देखा गया, डेफ़ो व्यंग्य और विडंबना के स्वामी थे। उन्होंने अक्सर सामाजिक और राजनीतिक बुराइयों पर प्रहार करने के लिए इन उपकरणों का उपयोग किया, हालांकि कभी-कभी इसका परिणाम उनके लिए महंगा साबित होता था।
  5. व्यक्तिगत आवाज़ और कथात्मक स्वर का विकास: “द रिव्यू” में उन्होंने एक विशिष्ट व्यक्तिगत आवाज़ विकसित की, जो एक विश्वसनीय टिप्पणीकार की थी। यह अनुभव उन्हें एक कथाकार के रूप में अपने कौशल को निखारने में मदद करेगा। उनके बाद के उपन्यासों में, यह “वास्तविक” आवाज़ ही थी जिसने उनके कार्यों को इतना विश्वसनीय और आकर्षक बना दिया। उनके पात्र अक्सर पहली-व्यक्ति के दृष्टिकोण से अपनी कहानियाँ सुनाते हैं, जिससे पाठक उनके अनुभवों से सीधे जुड़ पाते हैं।
  6. नैतिक और व्यावहारिक उपदेश: डेफ़ो के लेखन में अक्सर एक अंतर्निहित नैतिक या व्यावहारिक उपदेश होता था। वह केवल मनोरंजन नहीं करना चाहते थे, बल्कि अपने पाठकों को शिक्षित और बेहतर बनाना चाहते थे। उनके उपन्यास भी अक्सर नैतिक पाठों या व्यवहारिक सलाह से भरे होते थे।

डेफ़ो की तत्कालीन घटनाओं पर टिप्पणियाँ उनकी गहरी अंतर्दृष्टि और इंग्लैंड के प्रति उनके समर्पण को दर्शाती हैं। उनकी लेखन शैली, यथार्थवाद, स्पष्टता और प्रेरक शक्ति से चिह्नित, उनके समय के लिए क्रांतिकारी थी और इसने पत्रकारिता और उपन्यास दोनों के विकास में एक स्थायी छाप छोड़ी।

एक प्रभावशाली सार्वजनिक आवाज़ के रूप में उनकी पहचान

डेनियल डेफ़ो ने अपनी पत्रकारिता, राजनीतिक गतिविधियों और अद्वितीय लेखन शैली के माध्यम से 18वीं सदी के शुरुआती इंग्लैंड में खुद को एक अत्यंत प्रभावशाली सार्वजनिक आवाज़ के रूप में स्थापित किया। उनकी यह पहचान कई कारकों का परिणाम थी, जिन्होंने उन्हें तत्कालीन समाज और राजनीति में एक विशिष्ट स्थान दिलाया।

सार्वजनिक बहस में सक्रिय भागीदारी

डेफ़ो केवल घटनाओं के दर्शक नहीं थे; वे उनमें सक्रिय भागीदार थे। उनकी कलम एक ऐसा शक्तिशाली हथियार थी जिसका उपयोग वे:

  • राजनीतिक दलों का समर्थन या आलोचना करने के लिए करते थे।
  • सरकारी नीतियों की व्याख्या और बचाव करने के लिए करते थे, विशेषकर जब वे रॉबर्ट हार्ले जैसे प्रभावशाली राजनेताओं के लिए काम कर रहे थे।
  • विभिन्न सामाजिक और आर्थिक सुधारों की वकालत करने के लिए करते थे।
  • राष्ट्रीय पहचान और ब्रिटिश हितों पर बहस को आकार देने के लिए करते थे, जैसा कि उनके “द ट्रुबोर्न इंग्लिशमैन” और स्कॉटलैंड के साथ संघ के समर्थन में देखा गया।

“द रिव्यू” का केंद्रीय महत्व

उनकी साप्ताहिक पत्रिका “द रिव्यू” (The Review) इस प्रभावशाली आवाज़ का केंद्र बिंदु थी। लगभग दस वर्षों तक, डेफ़ो ने इस पत्रिका को अकेले लिखा, जिससे उन्हें लगभग हर महत्वपूर्ण समकालीन मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करने का एक मंच मिला।

  • नियमितता और विश्वसनीयता: “द रिव्यू” की नियमितता ने पाठकों के बीच एक विश्वास स्थापित किया। लोग इसकी प्रतीक्षा करते थे और डेफ़ो के विश्लेषणों पर भरोसा करते थे।
  • विविध विषय-वस्तु: राजनीति और अर्थशास्त्र से लेकर सामाजिक शिष्टाचार और नैतिकता तक, विषयों की व्यापकता ने सुनिश्चित किया कि उनकी आवाज़ समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुँचे।
  • सीधी और सुलभ शैली: डेफ़ो की सीधी-सादी, अनौपचारिक लेखन शैली ने जटिल मुद्दों को आम पाठक के लिए सुलभ बनाया। उन्होंने पंडितों के लिए नहीं, बल्कि आम लोगों के लिए लिखा, जिससे उनकी पहुँच और प्रभाव में वृद्धि हुई।

जनमत को आकार देने की क्षमता

डेफ़ो की सबसे बड़ी ताकत जनमत को आकार देने की उनकी अद्वितीय क्षमता थी। उन्होंने लोगों को सोचने पर मजबूर किया, स्थापित धारणाओं पर सवाल उठाए और उन्हें एक विशेष दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया।

  • तर्क और प्रति-तर्क: वे अपने तर्कों को सावधानी से गढ़ते थे, अक्सर विरोधी दृष्टिकोणों को तोड़कर अपने स्वयं के तर्कों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करते थे।
  • व्यंग्य का प्रभावी उपयोग: “द शॉर्टेस्ट वे विद द डिसेंटर्स” जैसा व्यंग्य, भले ही उनके लिए महंगा साबित हुआ, लेकिन इसने दिखाया कि वे कितनी कुशलता से विडंबना का उपयोग करके सामाजिक और राजनीतिक पाखंड को उजागर कर सकते थे।
  • जानकारी और विश्लेषण का संयोजन: उन्होंने केवल समाचार नहीं दिए, बल्कि उनका विश्लेषण भी किया, जिससे पाठकों को घटनाओं के पीछे के कारणों और निहितार्थों को समझने में मदद मिली।

विश्वसनीयता और विवाद का मिश्रण

उनकी सार्वजनिक आवाज़ विश्वसनीयता और विवाद का एक दिलचस्प मिश्रण थी। एक ओर, उन्हें उनकी तीक्ष्ण बुद्धि, व्यापक ज्ञान और स्पष्ट लेखन के लिए सम्मान दिया जाता था। दूसरी ओर, उनकी असंतुष्ट पृष्ठभूमि, उनके कर्ज और उनके राजनीतिक गुरुओं के लिए गुप्त एजेंट के रूप में काम करने ने उन्हें विवादास्पद भी बनाया। इसके बावजूद, उनकी आवाज़ को अनदेखा नहीं किया जा सकता था। वह बहस के केंद्र में थे, चाहे लोग उनसे सहमत हों या असहमत।

डेनियल डेफ़ो एक ऐसे युग में एक अनिवार्य सार्वजनिक आवाज़ बन गए जहाँ विचारों का आदान-प्रदान तेज़ी से बढ़ रहा था। उन्होंने पत्रकारिता के एक नए रूप का बीड़ा उठाया जिसने न केवल सूचना दी बल्कि शिक्षा दी, मनोरंजन किया और जनमत को सक्रिय रूप से प्रभावित किया। यह उनके “रॉबिन्सन क्रूसो” जैसे अमर उपन्यासों के प्रकाशन से बहुत पहले, उनकी एक प्रमुख पहचान बन चुकी थी।

उपन्यास की ओर पहला कदम: यथार्थवाद की नींव

डेनियल डेफ़ो को मुख्य रूप से उनके अमर उपन्यास “रॉबिन्सन क्रूसो” के लिए जाना जाता है, लेकिन यह उनका एकमात्र कार्य नहीं था। “रॉबिन्सन क्रूसो” के प्रकाशन (1719) से पहले भी, डेफ़ो ने कई अन्य गद्य कृतियाँ लिखी थीं जिनमें उपन्यास के तत्व मौजूद थे, या जिन्हें आधुनिक अर्थों में proto-novel (आद्य-उपन्यास) कहा जा सकता है। ये कृतियाँ उनकी साहित्यिक यात्रा में महत्वपूर्ण कदम थीं और उन्होंने यथार्थवाद, कथात्मक विश्वसनीयता और चरित्र-चित्रण के उन गुणों की नींव रखी जो उनके बाद के और अधिक प्रसिद्ध उपन्यासों में निखर कर सामने आएंगे।

प्रारंभिक उपन्यासिक कृतियों का परिचय

ये कृतियाँ अक्सर काल्पनिक संस्मरण, यात्रा वृत्तांत या जीवनी के रूप में प्रस्तुत की जाती थीं, जिससे पाठक को यह विश्वास हो कि वे वास्तविक घटनाओं को पढ़ रहे हैं।

  1. “द ट्रू-बॉर्न इंग्लिशमैन” (The True-Born Englishman, 1701): हालांकि यह एक व्यंग्यात्मक कविता थी, न कि उपन्यास, इसने डेफ़ो की क्षमता को दिखाया कि वे एक विस्तृत और विश्वसनीय कहानी गढ़ सकते हैं जो सामाजिक टिप्पणी प्रदान करती है। इसमें वास्तविक घटनाओं और लोगों का संदर्भ दिया गया, जिससे इसमें एक दस्तावेजी गुणवत्ता आ गई।
  2. “द कंसोलिडेटर; ऑर, मेमोयर्स ऑफ ट्रांसएक्शन्स फ्रॉम द वर्ल्ड इन द मून” (The Consolidator; or, Memoirs of Sundry Transactions from the World in the Moon, 1705): न्यूगेट जेल में रहते हुए लिखी गई यह कृति, विज्ञान-कथा और राजनीतिक व्यंग्य का एक प्रारंभिक उदाहरण है। इसमें नायक “चंद्रमा” की यात्रा करता है और वहाँ के समाज, धर्म और राजनीति का वर्णन करता है, जो वास्तव में तत्कालीन इंग्लैंड पर एक टिप्पणी है।
    • उपन्यास के तत्व: इसमें एक काल्पनिक यात्रा और एक केंद्रीय कथावाचक है, जो इसे एक प्रारंभिक उपन्यास का रूप देता है। यह यथार्थवादी विवरणों का उपयोग करके एक अविश्वसनीय कहानी को विश्वसनीय बनाने का डेफ़ो का एक शुरुआती प्रयास था।
  3. “ए ट्रू रिलेशन ऑफ द एपैरिशन ऑफ वन मिसेज वील एट द टाइम ऑफ हर डेथ, टू वन मिसेज बारग्रेव एट केंटरबरी” (A True Relation of the Apparition of One Mrs. Veal at the Time of Her Death, to One Mrs. Bargrave at Canterbury, 1706): यह एक भूत की कहानी है जिसे डेफ़ो ने इस तरह से प्रस्तुत किया जैसे कि यह एक सच्ची घटना हो, जिसमें विश्वसनीय गवाहों और विवरणों का उल्लेख हो।
    • उपन्यास के तत्व: यह छोटी सी कहानी उनके यथार्थवाद की कला को प्रदर्शित करती है। डेफ़ो ने पाठक को यह विश्वास दिलाने के लिए कि वे एक तथ्यात्मक रिपोर्ट पढ़ रहे हैं, सभी विवरणों (नाम, स्थान, बातचीत) को इतनी सावधानी से गढ़ा कि यह एक पत्रकारिता संबंधी रिपोर्ट के समान लगे। यह तकनीक उनके बाद के उपन्यासों में भी प्रमुखता से दिखाई देगी।
  4. “द हिस्ट्री ऑफ द यूनियन ऑफ ग्रेट ब्रिटेन” (The History of the Union of Great Britain, 1709): हालांकि यह एक ऐतिहासिक कार्य था, डेफ़ो ने इसे स्कॉटलैंड में अपने व्यक्तिगत अनुभवों और टिप्पणियों के साथ जोड़ा। इसमें उन्होंने विस्तृत विवरण, व्यक्तिगत उपाख्यानों और यहां तक कि काल्पनिक संवादों का भी उपयोग किया, जिससे यह केवल एक शुष्क ऐतिहासिक खाता नहीं रह गया बल्कि एक जीवंत कथा बन गया।
  5. “द लाइफ एंड एडवेंचर्स ऑफ मिस्टर डंकन कैम्पबेल” (The Life and Adventures of Mr. Duncan Campbell, 1720): यह “रॉबिन्सन क्रूसो” के ठीक बाद प्रकाशित हुई, लेकिन इसकी प्रकृति “क्रूसो” से पहले की उनकी शैली से काफी मिलती-जुलती थी। यह एक वास्तविक व्यक्ति (एक बहरे और गूंगे स्कॉटिश भविष्यवक्ता) के काल्पनिक संस्मरणों के रूप में प्रस्तुत की गई थी। डेफ़ो ने कैम्पबेल के जीवन की घटनाओं का वर्णन किया, जिसमें उनके असाधारण “ज्ञान” और लोगों की समस्याओं को हल करने की उनकी क्षमता पर जोर दिया गया।
    • उपन्यास के तत्व: यह एक वास्तविक व्यक्ति के बारे में एक विस्तृत काल्पनिक जीवनी का उदाहरण है, जिसमें डेफ़ो ने अपने यथार्थवादी विवरणों और विश्वसनीयता की शैली का उपयोग किया।

इन कृतियों में यथार्थवाद और व्यक्तिगत अनुभव के तत्व

कथात्मक विश्वसनीयता (Narrative Verisimilitude): डेफ़ो का सबसे महत्वपूर्ण योगदान यह था कि उन्होंने अपनी काल्पनिक कहानियों को ऐसे प्रस्तुत किया जैसे वे सच्ची हों। वे अक्सर दावा करते थे कि उनके नायक के दस्तावेज़ या संस्मरण “प्रकाशक” द्वारा खोजे गए थे। यह पाठकों को कहानी की प्रामाणिकता पर विश्वास करने के लिए प्रोत्साहित करता था, जिससे कथा अधिक आकर्षक और प्रभावशाली बनती थी।

  1. विस्तृत और ठोस विवरण: उनके लेखन में स्थान, समय, वस्तुओं और घटनाओं का अत्यधिक विस्तृत विवरण मिलता है। यह विस्तार पाठक को कहानी में डूबने में मदद करता है और उसे एक वास्तविक अनुभव का एहसास कराता है। यह विशेषता उनके पत्रकारिता के अनुभव से विकसित हुई थी, जहाँ तथ्यों और विवरणों पर जोर दिया जाता था।
  2. प्रथम-पुरुष कथावाचक (First-Person Narrator): उनकी कई प्रारंभिक कृतियों में एक प्रथम-पुरुष कथावाचक (I/मैं) का उपयोग किया गया था। यह दृष्टिकोण पाठक और कहानी के नायक के बीच एक सीधा और अंतरंग संबंध बनाता है, जिससे कहानी अधिक व्यक्तिगत और विश्वसनीय लगती है। यह पाठक को नायक के अनुभवों और विचारों को सीधे साझा करने की अनुमति देता है।
  3. सामाजिक टिप्पणियाँ और मानव स्वभाव का चित्रण: भले ही ये कहानियाँ काल्पनिक थीं, डेफ़ो ने उनका उपयोग तत्कालीन समाज की समस्याओं, मानव स्वभाव की जटिलताओं, नैतिक दुविधाओं और व्यक्तिगत संघर्षों पर टिप्पणी करने के लिए किया। वे मानव व्यवहार, प्रेरणाओं और विभिन्न सामाजिक वर्गों के जीवन का अवलोकन करते थे।

ये प्रारंभिक कार्य डेफ़ो के लेखन कौशल के विकास के लिए एक प्रशिक्षण मैदान थे। उन्होंने इन कृतियों के माध्यम से यथार्थवादी कथा कहने की कला में महारत हासिल की, जिससे वे “रॉबिन्सन क्रूसो” जैसे अपने बाद के महान उपन्यासों के लिए तैयार हुए, जहाँ इन तकनीकों को पूर्णता के साथ नियोजित किया गया।

डेनियल डेफ़ो की प्रारंभिक उपन्यासिक कृतियाँ, भले ही वे “रॉबिन्सन क्रूसो” जैसी प्रसिद्ध न हों, उनके लेखन में यथार्थवाद (Realism) और व्यक्तिगत अनुभव (Personal Experience) के तत्वों पर उनके गहरे ज़ोर को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं। ये तत्व ही थे जिन्होंने उन्हें अपने समय के कथाकारों से अलग किया और उन्हें आधुनिक उपन्यास के अग्रदूतों में से एक बना दिया।

यथार्थवाद पर ज़ोर

डेफ़ो ने अपनी कहानियों को पाठक के लिए अविश्वसनीय रूप से विश्वसनीय बनाने पर ध्यान केंद्रित किया, भले ही उनकी सामग्री काल्पनिक क्यों न हो। यह यथार्थवाद कई तरीकों से प्रकट होता है:

  1. “सच्ची कहानी” का दावा (Claim of “True Story”): डेफ़ो अक्सर अपनी काल्पनिक कृतियों को सच्ची घटनाओं या वास्तविक संस्मरणों के रूप में प्रस्तुत करते थे। उदाहरण के लिए, “ए ट्रू रिलेशन ऑफ द एपैरिशन ऑफ वन मिसेज वील” को एक तथ्यात्मक रिपोर्ट के रूप में प्रस्तुत किया गया था, जिसमें नाम, तारीखें और स्थानों का सटीक विवरण दिया गया था। यह उनकी कहानियों को एक दस्तावेजी गुणवत्ता प्रदान करता था, जिससे पाठक यह मानने को मजबूर हो जाता था कि वे इतिहास या जीवनी पढ़ रहे हैं। यह तकनीक उनके सबसे प्रसिद्ध उपन्यास “रॉबिन्सन क्रूसो” में भी प्रमुखता से दिखाई देगी, जिसे एक वास्तविक व्यक्ति के संस्मरण के रूप में प्रकाशित किया गया था।
  2. विस्तृत और ठोस विवरण (Detailed and Concrete Descriptions): डेफ़ो अपनी कहानियों में अत्यधिक विस्तृत और ठोस विवरणों का उपयोग करते थे। चाहे वह किसी स्थान का वर्णन हो, किसी घटना का क्रम हो, या किसी वस्तु का उल्लेख हो, वे उसे इतनी बारीकी से चित्रित करते थे कि पाठक को लगता था कि वह उस दृश्य को स्वयं देख रहा है। यह विवरण कहानी को मूर्त और विश्वसनीय बनाता था। उनकी पत्रकारिता की पृष्ठभूमि ने उन्हें तथ्यों को इकट्ठा करने और उन्हें प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने में मदद की, और उन्होंने इस कौशल को अपनी काल्पनिक कृतियों में भी लागू किया।
  3. आम लोगों और उनके जीवन का चित्रण (Depiction of Ordinary People and Their Lives): डेफ़ो के पात्र अक्सर महान अभिजात वर्ग या राजा-रानी नहीं होते थे, बल्कि वे आम व्यापारी, अपराधी, साहसी या वे लोग होते थे जो समाज के हाशिये पर थे। उन्होंने इन पात्रों के दैनिक जीवन, उनके संघर्षों, उनकी चिंताओं और उनकी आकांक्षाओं का यथार्थवादी चित्रण किया। यह दृष्टिकोण उनके समय के लिए क्रांतिकारी था, जब अधिकांश साहित्य पौराणिक कथाओं, नायकों या उच्च वर्ग के लोगों पर केंद्रित होता था।
  4. भौतिक और आर्थिक वास्तविकताएँ (Material and Economic Realities): डेफ़ो के लेखन में भौतिक दुनिया और आर्थिक वास्तविकताएँ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं। उनके पात्र अक्सर वित्तीय कठिनाइयों, व्यापारिक जोखिमों और जीवन यापन के लिए संघर्ष से जूझते थे। “रॉबिन्सन क्रूसो” में नायक को द्वीप पर जीवित रहने के लिए व्यावहारिक कौशल और संसाधन प्रबंधन का उपयोग करना पड़ता है, जो डेफ़ो की अपनी व्यापारिक पृष्ठभूमि से प्रेरित है।

व्यक्तिगत अनुभव के तत्वों पर ज़ोर

डेफ़ो की अपनी जीवन यात्रा, जिसमें व्यापारिक सफलताएँ और असफलताएँ, राजनीतिक उथल-पुथल, जेल का अनुभव और एक एजेंट के रूप में यात्राएँ शामिल थीं, ने उनके लेखन को गहराई से प्रभावित किया। उनके व्यक्तिगत अनुभवों के तत्व उनके लेखन में कई तरीकों से परिलक्षित होते हैं:

  1. आर्थिक संघर्षों की समझ (Understanding of Economic Struggles): डेफ़ो ने स्वयं कई बार दिवालिएपन और कर्ज का अनुभव किया था। यह व्यक्तिगत अनुभव उन्हें अपने पात्रों (जैसे “मॉले फ्लैंडर्स” में) के वित्तीय संकटों और जीवन यापन के लिए उनके संघर्षों को यथार्थवादी और सहानुभूतिपूर्ण ढंग से चित्रित करने में सक्षम बनाता था। वे पैसे की कमी, व्यापार के जोखिमों और सामाजिक गतिशीलता की चुनौतियों को अच्छी तरह समझते थे।
  2. कानून और न्याय प्रणाली का ज्ञान (Knowledge of Law and Justice System): उनकी अपनी गिरफ्तारी, मुकदमा और जेल का अनुभव उन्हें तत्कालीन कानूनी प्रणाली, अदालतों और जेलों की कठोर वास्तविकताओं की गहरी समझ देता था। उनके कुछ पात्रों को भी कानूनी समस्याओं या कारावास का सामना करना पड़ता है, और डेफ़ो इन स्थितियों का बहुत सटीक और विस्तृत वर्णन करते हैं।
  3. यात्रा और साहसिक कार्य का आकर्षण (Appeal of Travel and Adventure): एक व्यापारी और राजनीतिक एजेंट के रूप में उनकी व्यापक यात्राओं ने उन्हें विभिन्न स्थानों, संस्कृतियों और समुद्री यात्राओं के खतरों का प्रत्यक्ष ज्ञान दिया। यह अनुभव उनके उपन्यासों में रोमांच और खोज के तत्वों को जीवंत करता है, जिनमें से “रॉबिन्सन क्रूसो” इसका सबसे अच्छा उदाहरण है।
  4. नैतिक और धार्मिक विचार (Moral and Religious Reflections): डेफ़ो की प्रोटेस्टेंट असंतुष्ट पृष्ठभूमि ने उनके लेखन में एक मजबूत नैतिक और धार्मिक धारा को जन्म दिया। उनके पात्र अक्सर पाप, पश्चाताप, प्रोविडेंस (ईश्वरीय विधान) और आत्म-परीक्षण के मुद्दों से जूझते हैं। यह उनके अपने विश्वासों और अनुभवों का प्रतिबिंब था, विशेषकर जब उन्हें व्यक्तिगत संकटों का सामना करना पड़ा।
  5. अकेलेपन और अलगाव की भावना (Sense of Isolation and Solitude): डेफ़ो ने अपने जीवन में सार्वजनिक अपमान, कारावास और राजनीतिक अलगाव का अनुभव किया था। यह भावना उनके कई पात्रों में, विशेष रूप से “रॉबिन्सन क्रूसो” में परिलक्षित होती है, जो एक सुनसान द्वीप पर अकेले जीवित रहने के लिए संघर्ष करता है। यह व्यक्तिगत अनुभव डेफ़ो को ऐसे पात्रों की मनोवैज्ञानिक स्थिति को अधिक गहराई से समझने में मदद करता था।

डेफ़ो की प्रारंभिक उपन्यासिक कृतियाँ उनके यथार्थवाद के प्रति जुनून और उनके व्यक्तिगत अनुभवों की गहरी छाप को दर्शाती हैं। उन्होंने काल्पनिक कथाओं को विश्वसनीय बनाने के लिए विस्तार, तथ्यात्मकता और आम लोगों के जीवन के चित्रण का उपयोग किया। उनके अपने जीवन के संघर्षों और यात्राओं ने उन्हें ऐसे विषय-वस्तु और भावनात्मक गहराई प्रदान की जिसने उनके लेखन को अद्वितीय और आकर्षक बना दिया। ये सभी गुण “रॉबिन्सन क्रूसो” में पूरी तरह से विकसित होंगे, जिससे यह उपन्यास उस समय के लिए एक क्रांतिकारी कार्य बन जाएगा।

सामाजिक टिप्पणियों और मानव स्वभाव के चित्रण में उनकी दक्षता

डेनियल डेफ़ो की पहचान केवल एक कुशल कहानीकार के रूप में ही नहीं, बल्कि एक पैनी सामाजिक टिप्पणीकार और मानव स्वभाव के गहरे पारखी के रूप में भी थी। उनकी प्रारंभिक कृतियों से लेकर उनके प्रसिद्ध उपन्यासों तक, उन्होंने लगातार अपने समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया और मनुष्य के आंतरिक workings को दर्शाया। यह दक्षता उनकी पत्रकारिता की आदत और अपने स्वयं के जीवन के कठिन अनुभवों से विकसित हुई थी।

सामाजिक टिप्पणियों में दक्षता

डेफ़ो ने अपने लेखन को तत्कालीन ब्रिटिश समाज की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने और उन पर टिप्पणी करने के लिए एक मंच के रूप में इस्तेमाल किया। उनकी टिप्पणियाँ अक्सर आलोचनात्मक, व्यावहारिक और सुधारोन्मुखी होती थीं।

  1. सामाजिक पदानुक्रम और वर्ग भेद: डेफ़ो ने समाज के विभिन्न वर्गों के जीवन को चित्रित किया – मध्यवर्गीय व्यापारी, अपराधी, गरीब और कभी-कभी अभिजात वर्ग भी। उन्होंने इन वर्गों के बीच के तनाव, आकांक्षाओं और सीमाओं को उजागर किया। उदाहरण के लिए, उनके कई पात्र सामाजिक सीढ़ी पर चढ़ने का प्रयास करते हैं, जो उस समय की सामाजिक गतिशीलता और उसकी चुनौतियों को दर्शाता है।
  2. कानून और न्याय प्रणाली की आलोचना: अपने स्वयं के कानूनी संघर्षों और जेल के अनुभव के कारण, डेफ़ो ने उस समय की न्याय प्रणाली की कमियों और कठोरता पर टिप्पणी की। उन्होंने अक्सर दिखाया कि कैसे कानून गरीबों और शक्तिहीन लोगों के लिए कठोर हो सकता है, जबकि धनी और प्रभावशाली लोग बच निकलते हैं।
  3. आर्थिक व्यवहार और नैतिकता: एक व्यापारी के रूप में अपने अनुभव के कारण, डेफ़ो आर्थिक व्यवहार, कर्ज, सट्टा और वित्तीय धोखाधड़ी पर बारीक टिप्पणियाँ करते थे। उन्होंने अक्सर व्यापारिक दुनिया की नैतिक दुविधाओं और धन की खोज के परिणामों पर विचार किया। उनके लेखन में अक्सर वित्तीय विवेक और परिश्रम पर जोर दिया जाता था, लेकिन वे धोखाधड़ी और गरीबी के कारण होने वाली मजबूरियों को भी समझते थे।
  4. शहर और ग्रामीण जीवन का चित्रण: विशेष रूप से लंदन जैसे शहर के जीवन पर उनकी टिप्पणियाँ बहुत विस्तृत होती थीं। उन्होंने शहरों की भीड़भाड़, अवसर, लेकिन साथ ही उसके खतरे, अपराध और गुमनामी को भी दर्शाया। ग्रामीण जीवन की झलकियाँ भी उनके लेखन में मिलती थीं, जिससे पाठकों को उस समय के इंग्लैंड की व्यापक तस्वीर मिलती थी।
  5. महिलाओं की स्थिति और लैंगिक भूमिकाएँ: हालांकि उनके समय के मानकों के अनुसार, डेफ़ो ने महिलाओं की स्थिति पर कुछ प्रगतिशील टिप्पणियाँ कीं। उन्होंने अक्सर ऐसी महिला पात्रों को चित्रित किया जो अपनी बुद्धि और दृढ़ता से सामाजिक बाधाओं को पार करने की कोशिश करती थीं (जैसे कि “मॉले फ्लैंडर्स” में)। उन्होंने शिक्षा में महिलाओं के लिए अवसरों की कमी और उनकी सीमित विकल्पों की आलोचना की।

मानव स्वभाव के चित्रण में दक्षता

डेफ़ो ने मनुष्य के मनोवैज्ञानिक पहलुओं, उनकी प्रेरणाओं, संघर्षों और जीवित रहने की इच्छा को गहराई से समझा और चित्रित किया।

  1. अस्तित्व का संघर्ष और लचीलापन (Resilience): डेफ़ो के कई चरित्रों को प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। “रॉबिन्सन क्रूसो” इसका प्रमुख उदाहरण है, जहाँ नायक को एक सुनसान द्वीप पर अपने संसाधनों और बुद्धि का उपयोग करके खुद को बनाए रखना होता है। यह मनुष्य की अदम्य भावना और अनुकूलनशीलता को दर्शाता है। डेफ़ो ने यह दिखाया कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में मनुष्य अपनी छिपी हुई ताकतों को खोजता है।
  2. पाप, पश्चाताप और नैतिक दुविधाएँ: अपनी गहरी धार्मिक पृष्ठभूमि के कारण, डेफ़ो ने मानव स्वभाव के नैतिक और आध्यात्मिक पहलुओं को चित्रित किया। उनके पात्र अक्सर पाप, अपराधबोध और पश्चाताप से जूझते हैं। वे अक्सर नैतिक पसंद करते हैं और उन विकल्पों के परिणामों का सामना करते हैं। डेफ़ो ने दिखाया कि कैसे परिस्थितियाँ लोगों को नैतिक रूप से संदिग्ध कार्य करने के लिए मजबूर कर सकती हैं, लेकिन साथ ही कैसे वे मुक्ति या सुधार की तलाश करते हैं।
  3. अकेलापन और अलगाव: डेफ़ो ने व्यक्तिगत अलगाव और अकेलेपन के मनोवैज्ञानिक प्रभावों को दर्शाने में महारत हासिल की। रॉबिन्सन क्रूसो का द्वीप पर अकेलापन या मॉले फ्लैंडर्स का समाज से कटा हुआ महसूस करना, मानव अनुभव के इस मौलिक पहलू को उजागर करता है। डेफ़ो ने दिखाया कि कैसे मनुष्य सामाजिक प्राणी होने के बावजूद, अक्सर आंतरिक या बाहरी कारणों से अकेलेपन का अनुभव करते हैं।
  4. धोखा, महत्वाकांक्षा और अवसरवाद: डेफ़ो के पात्र अक्सर मानवीय लालच, महत्वाकांक्षा और अवसरवाद के उदाहरण होते हैं। उन्होंने यह दिखाने में संकोच नहीं किया कि कैसे लोग अपने स्वार्थ के लिए धोखा देते हैं या दूसरों का फायदा उठाते हैं। यह मानव स्वभाव का एक अधिक Cynical लेकिन यथार्थवादी चित्रण था।
  5. आत्म-चिंतन और आत्म-मूल्यांकन: डेफ़ो के प्रथम-पुरुष कथावाचक अक्सर अपने स्वयं के कार्यों, प्रेरणाओं और अनुभवों पर आत्म-चिंतन करते हैं। यह उन्हें पात्रों की आंतरिक दुनिया को उजागर करने और पाठकों को उनकी सोच प्रक्रिया में अंतर्दृष्टि प्रदान करने की अनुमति देता है। यह आत्म-मूल्यांकन पाठक को पात्रों के साथ अधिक गहराई से जुड़ने में मदद करता है।

डेनियल डेफ़ो की सामाजिक टिप्पणियों और मानव स्वभाव के चित्रण में दक्षता ने उन्हें केवल एक कहानीकार के बजाय एक समाजशास्त्री और मनोवैज्ञानिक के रूप में स्थापित किया। उन्होंने अपने लेखन में अपने समय की जटिलताओं को दर्शाया और मानव हृदय और आत्मा की गहरी समझ प्रदान की, जिसने उनके उपन्यासों को सार्वभौमिक और कालातीत बना दिया। यह कौशल ही था जिसने उनके बाद के उपन्यासों को साहित्यिक इतिहास में एक अद्वितीय स्थान दिलाया।

‘रॉबिन्सन क्रूसो’ का जन्म: प्रेरणा और पृष्ठभूमि

1719 में प्रकाशित डेनियल डेफ़ो का उपन्यास “द लाइफ एंड स्ट्रेंज सरप्राइजिंग एडवेंचर्स ऑफ रॉबिन्सन क्रूसो, ऑफ यॉर्क, मरिनर” (The Life and Strange Surprizing Adventures of Robinson Crusoe, of York, Mariner), जिसे आमतौर पर “रॉबिन्सन क्रूसो” के नाम से जाना जाता है, अंग्रेजी साहित्य के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ। यह उपन्यास न केवल एक रोमांचक कहानी थी, बल्कि एक साहित्यिक प्रयोग भी था जिसने उपन्यास विधा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस कालजयी कृति को लिखने के पीछे कई प्रेरणाएँ और पृष्ठभूमि कारक थे, जिनमें से स्कॉटिश नाविक अलेक्जेंडर सेल्किर्क की सच्ची कहानी का प्रभाव सबसे प्रमुख था।

“रॉबिन्सन क्रूसो” लिखने की प्रेरणा

डेफ़ो के पास “रॉबिन्सन क्रूसो” लिखने के लिए कई प्रेरणाएँ थीं, जो उनके स्वयं के जीवन के अनुभवों, तत्कालीन सामाजिक-राजनीतिक माहौल और उनके लेखन कौशल के विकास से उपजी थीं:

  1. यथार्थवाद और प्रामाणिकता की खोज: डेफ़ो हमेशा अपनी काल्पनिक कथाओं को विश्वसनीय बनाने के लिए प्रयासरत रहते थे, जैसा कि उनकी प्रारंभिक कृतियों में देखा गया। “रॉबिन्सन क्रूसो” के माध्यम से, उन्होंने एक काल्पनिक जीवनी को इस तरह से प्रस्तुत करने की अपनी क्षमता को चरम पर पहुँचाया कि पाठक को वह पूरी तरह से प्रामाणिक लगे। वे चाहते थे कि पाठक यह विश्वास करे कि वे वास्तव में एक जीवित बचे हुए व्यक्ति के संस्मरण पढ़ रहे हैं।
  2. साहसिक यात्राओं के प्रति जुनून: डेफ़ो स्वयं एक व्यापारी और एजेंट के रूप में व्यापक यात्रा कर चुके थे। उन्हें समुद्री यात्राओं, विदेशी भूमि और अज्ञात क्षेत्रों की खोज में गहरी रुचि थी। यह जुनून “रॉबिन्सन क्रूसो” में परिलक्षित होता है, जहाँ नायक यात्रा और रोमांच की तीव्र इच्छा से प्रेरित होता है।
  3. व्यक्तिगत लचीलापन और आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन: डेफ़ो ने अपने जीवन में कई वित्तीय और व्यक्तिगत आपदाओं का सामना किया था। दिवालियापन, जेल और राजनीतिक संघर्षों ने उन्हें जीवित रहने और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपनी पहचान बनाए रखने का अनुभव दिया था। रॉबिन्सन क्रूसो का चरित्र, जो एक सुनसान द्वीप पर अकेले जीवित रहने के लिए अपनी बुद्धि, कौशल और दृढ़ता का उपयोग करता है, डेफ़ो के अपने लचीलेपन और आत्मनिर्भरता की भावना का साहित्यिक प्रतिरूप है।
  4. प्रोटेस्टेंट नैतिकता और नैतिक शिक्षा: डेफ़ो एक कट्टर प्रोटेस्टेंट असंतुष्ट थे, और उनके लेखन में अक्सर एक मजबूत नैतिक या धार्मिक संदेश होता था। “रॉबिन्सन क्रूसो” के माध्यम से, उन्होंने श्रम, मितव्ययिता, पश्चाताप, प्रोविडेंस (ईश्वरीय विधान) और मनुष्य के ईश्वर के साथ संबंधों के मूल्यों को उजागर किया। क्रूसो का द्वीप पर आध्यात्मिक जागरण और अपने पापों पर पश्चाताप करना इन धार्मिक प्रेरणाओं को दर्शाता है।
  5. उपनिवेशवाद और साम्राज्य विस्तार का युग: 18वीं शताब्दी की शुरुआत ब्रिटिश साम्राज्य के तेजी से विस्तार का समय था। खोज, व्यापार और नए क्षेत्रों पर नियंत्रण की इच्छा समाज में व्याप्त थी। क्रूसो का द्वीप पर “प्रभुत्व” स्थापित करना, उसे उपनिवेश बनाना और अपनी “छोटी दुनिया” का शासक बनना, तत्कालीन यूरोपीय औपनिवेशिक मानसिकता और उसके निहितार्थों का प्रतीक है।

अलेक्जेंडर सेल्किर्क की कहानी का संभावित प्रभाव

“रॉबिन्सन क्रूसो” की प्रेरणा के स्रोतों में से एक सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध अलेक्जेंडर सेल्किर्क (Alexander Selkirk) की सच्ची कहानी है। सेल्किर्क एक स्कॉटिश नाविक था जिसकी कहानी व्यापक रूप से ज्ञात थी और जिसने डेफ़ो की कल्पना को निश्चित रूप से प्रेरित किया।

अलेक्जेंडर सेल्किर्क कौन था?

  • पृष्ठभूमि: अलेक्जेंडर सेल्किर्क का जन्म 1676 में स्कॉटलैंड के फायफ़ में हुआ था। वह एक निजी जहाज (प्राइवेटियर) ‘सिंक पोर्ट्स’ में नौकायन मास्टर (Sailing Master) था।
  • मारून होने की घटना: 1704 में, प्रशांत महासागर में एक अभियान के दौरान, सेल्किर्क का अपने कप्तान थॉमस स्ट्रैडलिंग से तीखी बहस हुई। सेल्किर्क ने जहाज की खराब स्थिति के बारे में शिकायत की और उसने स्वेच्छा से उसे एक निर्जन द्वीप पर छोड़ने का अनुरोध किया। कप्तान ने उसकी बात मान ली और उसे जुआन फर्नांडीज द्वीप समूह (जो आज चिली के तट पर स्थित है) के एक द्वीप, जिसे अब ‘रॉबिन्सन क्रूसो द्वीप’ के नाम से जाना जाता है, पर छोड़ दिया।
  • अकेले जीवित रहना: सेल्किर्क इस द्वीप पर चार साल और चार महीने तक पूरी तरह से अकेला रहा। उसने अपनी सरलता, शिकार (बकरियों का), और द्वीप के संसाधनों का उपयोग करके खुद को बनाए रखा। उसने दो झोपड़ियाँ बनाईं, आग जलाने की तकनीक विकसित की और खुद को मानसिक रूप से स्थिर रखा।
  • बचाव और वापसी: फरवरी 1709 में, वुड्स रोजर्स के नेतृत्व में एक ब्रिटिश निजी जहाज ‘ड्यूक’ द्वारा उसे बचाया गया। रोजर्स ने अपनी यात्रा वृत्तांत में सेल्किर्क की कहानी का वर्णन किया, जो 1712 में प्रकाशित हुआ और व्यापक रूप से पढ़ा गया। रिचर्ड स्टील ने भी 1713 में “द इंग्लिशमैन” नामक अपने निबंध में सेल्किर्क की कहानी प्रकाशित की।

सेल्किर्क की कहानी का प्रभाव:

  • कथा का मूल विचार: सेल्किर्क की कहानी ने डेफ़ो को एक ऐसे व्यक्ति का केंद्रीय विचार प्रदान किया जो एक सुनसान द्वीप पर अकेला फंस गया है और उसे अपनी बुद्धि और संसाधनों के बल पर जीवित रहना है। यह “रॉबिन्सन क्रूसो” की मूल कहानी का सीधा आधार बना।
  • यथार्थवादी विवरणों के लिए प्रेरणा: सेल्किर्क के जीवित रहने के विवरण – जैसे कि बकरियों का शिकार करना, आश्रय बनाना, और उपकरण बनाना – ने डेफ़ो को अपने उपन्यास में यथार्थवादी और ठोस विवरण जोड़ने के लिए प्रेरित किया। डेफ़ो ने अपने पत्रकारिता कौशल का उपयोग करके इन विवरणों को और भी विश्वसनीय बनाया।
  • मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलू: सेल्किर्क के अकेलेपन, भय, और धीरे-धीरे द्वीप पर अपने जीवन को अपनाने के मनोवैज्ञानिक संघर्ष ने डेफ़ो को क्रूसो के चरित्र के आंतरिक जीवन और उसके आध्यात्मिक विकास को गहराई से चित्रित करने का अवसर दिया।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि डेफ़ो ने सेल्किर्क की कहानी को केवल कॉपी नहीं किया। उन्होंने इसे अपनी रचनात्मक कल्पना और अपने व्यक्तिगत अनुभवों (जैसे उनकी अपनी व्यापारिक यात्राएँ, कर्ज और नैतिक संघर्ष) के साथ मिलाया। “रॉबिन्सन क्रूसो” एक सच्ची कहानी की रिपोर्ट से कहीं अधिक है; यह मनुष्य की अस्तित्व की इच्छा, औपनिवेशिक उद्यम और व्यक्तिगत मोचन पर एक गहरा विचारशील कार्य है। इस प्रकार, सेल्किर्क की कहानी ने एक स्प्रिंगबोर्ड का काम किया, जिससे डेफ़ो ने अंग्रेजी साहित्य के एक नए युग की नींव रखी।

उपन्यास के लिए उनकी शोध प्रक्रिया और तत्कालीन समुद्री यात्राओं का ज्ञान

डेनियल डेफ़ो की “रॉबिन्सन क्रूसो” को सिर्फ एक कल्पना की उड़ान कहना उचित नहीं होगा। इस उपन्यास की विश्वसनीयता और यथार्थवाद का एक बड़ा हिस्सा उनकी गहन शोध प्रक्रिया और तत्कालीन समुद्री यात्राओं के व्यापक ज्ञान से उपजा था। डेफ़ो एक पत्रकार थे, और पत्रकार की तरह ही उन्होंने अपने उपन्यास को तथ्यात्मक सटीकता का आभास देने के लिए कड़ी मेहनत की।

उपन्यास के लिए उनकी शोध प्रक्रिया

डेफ़ो ने “रॉबिन्सन क्रूसो” के लिए कोई पारंपरिक, अकादमिक शोध नहीं किया होगा जैसा कि हम आज समझते हैं। इसके बजाय, उनकी शोध प्रक्रिया उनके जीवन के अनुभवों, उनके पत्रकारिता कौशल और उनके समय में उपलब्ध जानकारी के संयोजन पर आधारित थी:

  1. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अनुभव:
    • स्वयं की यात्राएँ: डेफ़ो स्वयं एक व्यापारी और सरकारी एजेंट के रूप में इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के भीतर व्यापक यात्रा कर चुके थे। हालांकि उन्होंने रॉबिन्सन क्रूसो जितनी लंबी समुद्री यात्राएँ नहीं कीं, लेकिन उन्हें यात्रा की लॉजिस्टिक्स, उसके जोखिमों और विभिन्न स्थानों के बारे में firsthand जानकारी थी।
    • व्यापारी पृष्ठभूमि: एक व्यापारी के रूप में उनके अनुभव ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मार्गों, जहाजों के प्रकार, माल ढुलाई और समुद्री वाणिज्य से जुड़ी शब्दावली और प्रक्रियाओं की गहरी समझ दी।
    • जेल के अनुभव: जेल में रहते हुए, उन्हें विभिन्न प्रकार के लोगों, जिसमें नाविक और यात्री भी शामिल थे, से मिलने का अवसर मिला होगा, जिनकी कहानियों ने उनकी कल्पना को समृद्ध किया होगा।
  2. समकालीन स्रोतों का उपयोग:
    • अलेक्जेंडर सेल्किर्क की कहानी: जैसा कि पहले बताया गया है, सेल्किर्क की वास्तविक कहानी (जिसके बारे में वुड्स रोजर्स और रिचर्ड स्टील जैसे लेखकों ने लिखा था) ने डेफ़ो को मुख्य प्रेरणा दी। डेफ़ो ने सेल्किर्क के द्वीप पर अकेले जीवित रहने के अनुभवों से कई विवरण और विचार प्राप्त किए होंगे।
    • यात्रा वृत्तांत (Travelogues): 17वीं और 18वीं शताब्दी खोज और उपनिवेशीकरण का युग था। इस दौरान नाविकों, खोजकर्ताओं और व्यापारियों द्वारा लिखे गए यात्रा वृत्तांत (Travelogues) और डायरियाँ बहुत लोकप्रिय थीं। डेफ़ो इन वृत्तांतों के शौकीन पाठक थे और उन्होंने इनसे समुद्री जीवन, विदेशी स्थानों के भूगोल, पौधों और जानवरों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की होगी। उन्होंने संभवतः कैरेबियन, ब्राजील और अफ्रीकी तटों के बारे में उपलब्ध नक्शों और विवरणों का अध्ययन किया होगा।
    • मानचित्र और नौवहन चार्ट (Maps and Navigation Charts): एक व्यापारी के रूप में, डेफ़ो को नक्शों और समुद्री चार्टों की जानकारी होनी चाहिए थी। इससे उन्हें क्रूसो की यात्रा के भौगोलिक विवरण और उसके द्वीप की स्थिति को विश्वसनीय बनाने में मदद मिली होगी।
    • लॉगबुक्स और शिप के रिकॉर्ड: यह संभव है कि उन्होंने वास्तविक लॉगबुक्स या जहाज के रिकॉर्ड का अध्ययन किया हो, जिससे उन्हें जहाजों के संचालन, समुद्री यात्रा की दिनचर्या और जहाज पर जीवन के बारे में यथार्थवादी विवरण प्राप्त हुए हों।
  3. पत्रकारिता का दृष्टिकोण: एक पत्रकार के रूप में डेफ़ो की आदत थी कि वे अपने लेखन में तथ्यात्मक विवरण और विश्वसनीयता पर जोर दें। उन्होंने इस दृष्टिकोण को अपने उपन्यास में लागू किया। उन्होंने काल्पनिक घटनाओं को भी इस तरह से प्रस्तुत किया जैसे कि वे सच्ची हों, जिसमें विशिष्ट तिथियाँ, समय और विस्तृत कार्यप्रणाली शामिल थी (उदाहरण के लिए, क्रूसो द्वारा अपने दिनों को चिह्नित करने का तरीका)।

तत्कालीन समुद्री यात्राओं का ज्ञान

डेफ़ो के युग में समुद्री यात्राएँ सिर्फ व्यापार या खोज का साधन नहीं थीं, बल्कि वे जीवन का एक मूलभूत पहलू थीं जिसने ब्रिटिश अर्थव्यवस्था, राजनीति और कल्पना को आकार दिया। डेफ़ो का इन यात्राओं का ज्ञान उन्हें “रॉबिन्सन क्रूसो” में निम्नलिखित तरीके से परिलक्षित हुआ:

  1. जहाज का जीवन और संचालन:
    • डेफ़ो ने जहाज पर जीवन का यथार्थवादी चित्रण किया है, जिसमें नाविकों की दिनचर्या, उनके कर्तव्य और समुद्री यात्रा की कठोरता शामिल है।
    • उन्होंने जहाज के विभिन्न हिस्सों, पाल और रिगिंग की शब्दावली का उपयोग किया, जिससे कहानी प्रामाणिक लगती है।
    • समुद्री तूफानों और जहाजों के डूबने का उनका वर्णन बेहद ज्वलंत और सटीक है, जो बताता है कि उन्हें इन खतरों की गहरी समझ थी।
  2. नौवहन (Navigation) और समुद्री मार्ग:
    • उपन्यास में क्रूसो की यात्राएँ वास्तविक समुद्री मार्गों का पालन करती हैं, जैसे कि अफ्रीका के पश्चिमी तट से लेकर ब्राजील और फिर कैरेबियन तक। यह दर्शाता है कि डेफ़ो को इन भौगोलिक स्थानों और व्यापारिक मार्गों का अच्छा ज्ञान था।
    • उन्होंने मौसम के पैटर्न, व्यापारिक हवाओं (trade winds) और समुद्री धाराओं के महत्व को भी समझा।
  3. समुद्री खतरे और चुनौतियाँ:
    • पायरेसी (समुद्री डकैती) उस समय एक वास्तविक खतरा था, और क्रूसो की मोरक्को के समुद्री डाकुओं द्वारा पकड़े जाने की कहानी इस वास्तविकता को दर्शाती है।
    • तूफान, जहाज का मलबा और बीमारी समुद्री यात्रा के सामान्य खतरे थे, और डेफ़ो ने इन चुनौतियों को कहानी में प्रभावी ढंग से शामिल किया।
  4. उपनिवेशवाद और व्यापारिक उद्यम:
    • डेफ़ो के समय में, समुद्री यात्राएँ ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार और व्यापारिक उद्यमों के लिए महत्वपूर्ण थीं। क्रूसो का ब्राजील में वृक्षारोपण शुरू करने और फिर दास व्यापार में शामिल होने का प्रयास (जो कि एक खतरनाक लेकिन आकर्षक व्यवसाय था) तत्कालीन आर्थिक वास्तविकताओं का प्रतिबिंब है।
    • द्वीप पर क्रूसो का “शासन” स्थापित करना और उसे अपने छोटे से उपनिवेश में बदलना भी तत्कालीन औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है।
  5. संसाधनशीलता और आत्मनिर्भरता: समुद्री यात्राओं पर जीवित रहने के लिए नाविकों को अत्यधिक साधन संपन्न होना पड़ता था। डेफ़ो ने क्रूसो के चरित्र में इस आत्मनिर्भरता को दर्शाया, जिसने द्वीप पर अपने अस्तित्व के लिए जहाज के मलबे से बचे हुए सामान का उपयोग किया और अपनी आवश्यकतानुसार नए उपकरण और संरचनाएँ बनाईं। यह उस समय के नाविकों और बसने वालों के लिए आवश्यक कौशल का एक विस्तार था।

डेनियल डेफ़ो ने “रॉबिन्सन क्रूसो” को केवल कल्पना के आधार पर नहीं लिखा। उन्होंने पत्रकारिता की कठोरता और अपने समय के समुद्री और व्यापारिक दुनिया के व्यापक ज्ञान का उपयोग किया। यह सावधानीपूर्वक शोध और यथार्थवाद का समावेश ही था जिसने उपन्यास को इतनी विश्वसनीयता प्रदान की और उसे ब्रिटिश साहित्य में एक क्रांतिकारी कार्य बना दिया।

अध्याय 6: ‘रॉबिन्सन क्रूसो’ का जन्म: प्रेरणा और पृष्ठभूमि (जारी)

डेनियल डेफ़ो ने “रॉबिन्सन क्रूसो” जैसा एक ऐसा कार्य लिखने का उद्देश्य रखा था जो केवल मनोरंजन न दे, बल्कि एक ही समय में यथार्थवाद, रोमांच और नैतिक शिक्षा के तत्वों को प्रभावी ढंग से मिश्रित करे। यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य था जिसने उपन्यास को अपने समय के लिए अद्वितीय बनाया और इसे अंग्रेजी साहित्य में एक स्थायी स्थान दिलाया।

1. यथार्थवाद (Realism)

डेफ़ो के लिए यथार्थवाद केवल एक साहित्यिक शैली नहीं थी, बल्कि एक उपकरण था जिसके माध्यम से वे अपनी कहानियों को विश्वसनीय और प्रभावशाली बना सकते थे।

  • प्रेरणा: डेफ़ो स्वयं एक पत्रकार थे और उनके जीवन में आर्थिक उतार-चढ़ाव, सामाजिक संघर्ष और राजनीतिक उथल-पुथल का अनुभव रहा था। उन्होंने हमेशा अपने लेखन में ‘सच्चाई’ का आभास देने की कोशिश की, भले ही सामग्री काल्पनिक हो।
  • उद्देश्य:
    • विश्वसनीयता स्थापित करना: डेफ़ो चाहते थे कि पाठक यह विश्वास करे कि रॉबिन्सन क्रूसो की कहानी एक वास्तविक व्यक्ति के सच्चे संस्मरण हैं। यह विश्वसनीयता पाठक को कहानी में गहराई से जोड़ती है और उसे पात्र के अनुभवों पर विश्वास करने पर मजबूर करती है।
    • मानव अनुभव को प्रतिबिंबित करना: यथार्थवाद के माध्यम से, डेफ़ो ने मानव अस्तित्व की कठोर वास्तविकताओं – जीवित रहने के संघर्ष, संसाधनों की कमी, और प्रतिकूल परिस्थितियों में अनुकूलन – को दर्शाया। उन्होंने दिखाया कि कैसे एक साधारण व्यक्ति (एक व्यापारी) असाधारण परिस्थितियों में भी अपनी बुद्धि और दृढ़ता से जीवित रह सकता है।
    • सामाजिक और आर्थिक पहलुओं को उजागर करना: उपन्यास में व्यापार, उपनिवेशवाद, दासता और संसाधनों के प्रबंधन जैसे आर्थिक और सामाजिक पहलुओं का यथार्थवादी चित्रण किया गया है, जो तत्कालीन ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार और उसकी आर्थिक गतिविधियों को दर्शाता है।

2. रोमांच (Adventure)

“रॉबिन्सन क्रूसो” मूल रूप से एक रोमांचक कहानी है जिसमें यात्रा, खोज और अस्तित्व के लिए संघर्ष शामिल है।

  • प्रेरणा: डेफ़ो को स्वयं यात्रा और समुद्री खोजों में गहरी रुचि थी। उनका युग भी महान खोजों और नए विश्व के उपनिवेशीकरण का था, जिसमें साहसिक यात्राओं की कहानियाँ बहुत लोकप्रिय थीं। अलेक्जेंडर सेल्किर्क की कहानी ने उन्हें एक निर्जन द्वीप पर फंसे व्यक्ति के रोमांचक अनुभवों को चित्रित करने का एक ठोस आधार दिया।
  • उद्देश्य:
    • पाठकों का मनोरंजन करना: उपन्यास का एक प्राथमिक उद्देश्य पाठकों को एक रोमांचक और मनोरंजक कहानी प्रदान करना था। समुद्री यात्राएँ, जहाज का मलबा, द्वीप पर अकेले रहना, जंगली जानवरों से निपटना, और आदिवासियों तथा नरभक्षियों का सामना करना – ये सभी तत्व पाठक को बांधे रखते थे।
    • मानव साहस और दृढ़ता का प्रदर्शन: रोमांच के माध्यम से, डेफ़ो ने दिखाया कि कैसे मनुष्य विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानता, नए कौशल सीखता है, और जीवित रहने के लिए संघर्ष करता है। क्रूसो की रचनात्मकता और साधन संपन्नता एक प्रेरक गुण के रूप में सामने आती है।
    • खोज और उपनिवेशीकरण के उत्साह को प्रतिबिंबित करना: उपन्यास में नए स्थानों की खोज और उन पर “नियंत्रण” स्थापित करने का विचार तत्कालीन औपनिवेशिक मानसिकता के रोमांच को दर्शाता है।

3. नैतिक शिक्षा (Moral Instruction)

डेफ़ो एक प्रोटेस्टेंट असंतुष्ट थे, और उनके अधिकांश लेखन में एक अंतर्निहित नैतिक या धार्मिक संदेश होता था। “रॉबिन्सन क्रूसो” भी इससे अछूता नहीं था।

  • प्रेरणा: डेफ़ो का मानना था कि साहित्य को न केवल मनोरंजन करना चाहिए बल्कि पाठकों को नैतिक और आध्यात्मिक रूप से शिक्षित भी करना चाहिए। उनके अपने जीवन के संघर्षों ने उन्हें पाप, पश्चाताप और ईश्वर के विधान में विश्वास के महत्व पर विचार करने के लिए मजबूर किया था।
  • उद्देश्य:
    • पाप और पश्चाताप का संदेश: क्रूसो अपनी प्रारंभिक लापरवाहियों और अपने पिता की सलाह को न मानने के कारण खुद को द्वीप पर फंसा हुआ पाता है। यह उसके “मूल पाप” का प्रतीक है। द्वीप पर उसका समय उसके आध्यात्मिक जागरण और पश्चाताप की यात्रा बन जाता है, जहाँ वह ईश्वर से जुड़ता है और अपने जीवन को फिर से निर्देशित करता है। यह पाठक को अपने स्वयं के नैतिक आचरण पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है।
    • परिश्रम और आत्म-निर्भरता के गुण: उपन्यास श्रम, मितव्ययिता, धैर्य और आत्मनिर्भरता के प्रोटेस्टेंट मूल्यों को बढ़ावा देता है। क्रूसो को जीवित रहने के लिए अपनी मेहनत पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे उसे अपने परिश्रम का मूल्य समझ आता है। यह एक महत्वपूर्ण नैतिक शिक्षा थी जो तत्कालीन मध्यम वर्ग के लिए प्रासंगिक थी।
    • प्रोविडेंस (ईश्वरीय विधान) में विश्वास: डेफ़ो ने यह दिखाने की कोशिश की कि कैसे ईश्वर का हाथ क्रूसो के जीवन में, यहां तक कि उसकी सबसे कठिन परिस्थितियों में भी, काम कर रहा था। क्रूसो अक्सर अपनी मुक्ति को ईश्वरीय कृपा के रूप में देखता है, जो पाठकों को ईश्वरीय विधान में विश्वास बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करता है।
    • कृतज्ञता और संतोष का महत्व: द्वीप पर रहकर, क्रूसो सीखता है कि उसके पास जो कुछ भी है, उसके लिए आभारी होना चाहिए, भले ही वह कितना भी कम क्यों न हो। यह उपभोगवाद और भौतिकवादी लालच पर एक टिप्पणी थी।

इन तीनों तत्वों को मिलाकर, डेफ़ो ने एक ऐसा उपन्यास बनाया जो न केवल पाठक को एक रोमांचक यात्रा पर ले जाता है, बल्कि उसे मानव स्वभाव, समाज और नैतिकता के बारे में सोचने पर भी मजबूर करता है। यह “रॉबिन्सन क्रूसो” की स्थायी अपील और साहित्यिक महत्व का एक प्रमुख कारण है।

रेगिस्तानी द्वीप का नायक: ‘रॉबिन्सन क्रूसो’ का विश्लेषण

डेनियल डेफ़ो का अमर उपन्यास “रॉबिन्सन क्रूसो” न केवल एक साहसिक कथा है, बल्कि मनुष्य की दृढ़ता, आत्म-खोज और सभ्यता के सार पर एक गहरा चिंतन भी है। इसकी मुख्य कहानी एक व्यक्ति के अकेलेपन, अस्तित्व के लिए संघर्ष और अंततः मोचन की यात्रा पर केंद्रित है, जबकि रॉबिन्सन क्रूसो का चरित्र स्वयं मानव स्वभाव की जटिलताओं का एक शक्तिशाली प्रतीक बन जाता है।

उपन्यास की मुख्य कहानी: एक अस्तित्व की गाथा

“रॉबिन्सन क्रूसो” की कहानी यॉर्क के एक युवा व्यक्ति रॉबिन्सन क्रूसो के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने आरामदायक मध्यमवर्गीय घर को छोड़कर समुद्री रोमांच की तलाश में निकल पड़ता है। अपने पिता की सलाह और सुरक्षित जीवन की उपेक्षा करके, वह एक नाविक बनता है और कई असफलताओं तथा दुर्घटनाओं का सामना करता है।

मुख्य घटनाक्रम:

  1. प्रारंभिक अवज्ञा और समुद्री यात्राएँ: क्रूसो अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि (एक व्यापारी बनने की) को अस्वीकार कर देता है और समुद्री रोमांच के लिए निकल पड़ता है। उसकी शुरुआती यात्राएँ चुनौतियों से भरी होती हैं, जिसमें समुद्री डाकुओं द्वारा उसका अपहरण कर दास बनाया जाना और बाद में ब्राजील में एक वृक्षारोपण मालिक के रूप में उसका सफल लेकिन बेचैन जीवन शामिल है।
  2. जहाज का मलबा और द्वीप पर अकेलापन: 1659 में, जब वह अफ्रीका से ब्राजील के लिए दास खरीदने जा रहा होता है, एक भयानक तूफान उसके जहाज को डुबो देता है। रॉबिन्सन क्रूसो जहाज का एकमात्र उत्तरजीवी होता है और खुद को दक्षिण अमेरिका के तट से दूर एक निर्जन द्वीप पर पाता है।
  3. अस्तित्व के लिए संघर्ष और आत्म-निर्माण: द्वीप पर शुरुआती हताशा के बाद, क्रूसो अपनी साधन संपन्नता और बुद्धि का उपयोग करके जीवित रहने का निश्चय करता है। वह डूबते हुए जहाज के मलबे से हथियार, उपकरण, भोजन और अन्य उपयोगी वस्तुएँ निकालता है। वह एक आवास बनाता है, खेती करना सीखता है, बकरियों को पालतू बनाता है, टोकरियाँ बुनता है और मिट्टी के बर्तन बनाता है। वह अपनी दिनचर्या को अनुशासित करता है, एक कैलेंडर रखता है, और अपनी बाइबल पढ़ता है।
  4. आध्यात्मिक जागरण: शुरुआती निराशा और भौतिक संघर्षों के बीच, क्रूसो बीमार पड़ता है। इस दौरान वह अपनी लापरवाह जीवन शैली पर पछतावा करता है और ईश्वर से प्रार्थना करता है। यह उसके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ होता है, जहाँ वह अपनी आध्यात्मिक कमजोरियों को पहचानता है और ईश्वर के विधान में विश्वास विकसित करता है। वह अपने अकेलेपन को दंड के रूप में स्वीकार करता है लेकिन इसे मोचन के अवसर के रूप में भी देखता है।
  5. मानव उपस्थिति के निशान: कई वर्षों के बाद, क्रूसो को द्वीप पर मानव पैरों के निशान और नरभक्षकों द्वारा छोड़े गए मानव अवशेष मिलते हैं। यह खोज उसे भयभीत करती है और उसके अकेलेपन की शांति भंग कर देती है।
  6. फ्राइडे का आगमन: अंततः, वह एक नरभक्षी समूह से एक कैदी को बचाता है, जिसे वह “फ्राइडे” नाम देता है। फ्राइडे उसका वफादार साथी और नौकर बन जाता है। क्रूसो फ्राइडे को अंग्रेजी सिखाता है और उसे ईसाई धर्म में परिवर्तित करता है। फ्राइडे की कंपनी क्रूसो के जीवन में एक नई मानवीय आयाम लाती है।
  7. बचाव और वापसी: द्वीप पर 28 साल, 2 महीने और 19 दिन बिताने के बाद, क्रूसो और फ्राइडे एक अंग्रेजी जहाज को बचाने में मदद करते हैं, जिस पर विद्रोहियों ने कब्ज़ा कर लिया था। विद्रोहियों को वश में करने के बाद, कप्तान क्रूसो को इंग्लैंड वापस ले जाता है। वह एक धनी व्यक्ति के रूप में लौटता है (उसके ब्राजील के वृक्षारोपण से हुई कमाई के कारण) लेकिन उसकी प्राथमिकताएँ बदल चुकी होती हैं।

रॉबिन्सन क्रूसो के चरित्र का गहरा विश्लेषण

रॉबिन्सन क्रूसो का चरित्र आधुनिक व्यक्ति के संघर्ष और लचीलेपन का एक शक्तिशाली प्रतीक है। वह कई विरोधाभासों का प्रतीक है, जो उसे एक गहरा और बहुआयामी व्यक्ति बनाते हैं।

  1. उत्साही लेकिन लापरवाह युवा (Ambitious yet Reckless Youth): शुरुआत में, क्रूसो एक महत्वाकांक्षी लेकिन अनुभवहीन युवा है, जो अपने पिता की मध्यमवर्गीय स्थिरता की सलाह को ठुकरा देता है। वह एडवेंचर और त्वरित धन की तलाश में है, जो उसकी अधीरता और आत्म-इच्छा को दर्शाता है। उसकी शुरुआती गलतियाँ और नैतिक चूक उसे द्वीप पर लाती हैं, जिसे वह अपने पापों के लिए ईश्वरीय दंड के रूप में देखता है।
  2. साधन संपन्न और अनुकूली (Resourceful and Adaptive): यह क्रूसो के चरित्र की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है। एक बार जब वह द्वीप पर फंस जाता है, तो वह जीवित रहने के लिए अपनी बुद्धि और कौशल का उपयोग करता है। वह जहाज के मलबे से संसाधनों का प्रबंधन करता है, बुनियादी उपकरणों का आविष्कार करता है, खेती और पशुपालन सीखता है। वह प्रकृति के साथ बातचीत करना सीखता है और उसे अपने लाभ के लिए उपयोग करता है। यह उसकी आत्मनिर्भरता और मानव मन की अदम्य रचनात्मकता का प्रतीक है।
  3. आध्यात्मिक और नैतिक रूप से विकसित (Spiritually and Morally Evolving): द्वीप पर अकेलापन क्रूसो को आत्म-चिंतन और आध्यात्मिक विकास का अवसर देता है। शुरुआती निराशा और बीमारी के बाद, वह बाइबल पढ़ता है और अपने जीवन पर ईश्वर के विधान पर विचार करता है। वह अपने पिछले पापों पर पश्चाताप करता है और एक गहरा धार्मिक विश्वास विकसित करता है। यह बदलाव उसे द्वीप पर अपने जीवन को एक उद्देश्य देता है और उसे मानसिक रूप से स्थिर रखता है।
  4. उपनिवेशवादी और प्रभुत्वशाली (Colonizer and Dominant): क्रूसो न केवल द्वीप पर जीवित रहता है, बल्कि वह उस पर “अपना साम्राज्य” स्थापित करता है। वह खुद को द्वीप का “राजा” या “संप्रभु” मानता है। वह बकरियों को पालतू बनाता है, खेती करता है, और अंततः फ्राइडे को अपना नौकर और शिष्य बनाता है। यह उसकी पश्चिमी, औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है जो प्राकृतिक दुनिया और अन्य संस्कृतियों पर प्रभुत्व स्थापित करना चाहता है। फ्राइडे को “सभ्य” बनाने का उसका प्रयास भी इसी मानसिकता का हिस्सा है।
  5. अकेला लेकिन सामाजिक प्राणी (Lonely yet Social Being): क्रूसो का अधिकांश समय द्वीप पर अकेले बीतता है, जो उसे गहरे अकेलेपन और हताशा का अनुभव कराता है। वह मानवीय संपर्क के लिए तरसता है। फ्राइडे के आने से उसकी दुनिया पूरी तरह बदल जाती है, और यह मानव साथी की मौलिक आवश्यकता को दर्शाता है। फ्राइडे के साथ उसका रिश्ता दयालुता, निर्भरता और सत्ता गतिशीलता का मिश्रण है।
  6. प्रैक्टिकल और यथार्थवादी (Practical and Realistic): भावनात्मक और आध्यात्मिक परिवर्तनों के बावजूद, क्रूसो एक अत्यंत व्यावहारिक व्यक्ति बना रहता है। वह अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखता है और अपने अस्तित्व के लिए आवश्यक ठोस कार्यों पर ध्यान केंद्रित करता है। वह अपनी स्थिति का मूल्यांकन करता है, योजनाएँ बनाता है और उन्हें क्रियान्वित करता है। यह विशेषता ही उसे विपरीत परिस्थितियों में जीवित रहने में मदद करती है।

रॉबिन्सन क्रूसो का चरित्र, उसके अनुभवों और विकास के माध्यम से, डेफ़ो की मानव स्वभाव और समाज पर गहरी समझ को दर्शाता है। वह एक साहसी, साधन संपन्न व्यक्ति है जो अपनी गलतियों से सीखता है और आध्यात्मिक रूप से विकसित होता है, लेकिन वह अपने समय की औपनिवेशिक और पदानुक्रमित मानसिकता का भी उत्पाद है। यही जटिलताएँ उसे एक चिरस्थायी साहित्यिक नायक बनाती हैं जो सदियों से पाठकों को मोहित करता रहा है।

रेगिस्तानी द्वीप का नायक: ‘रॉबिन्सन क्रूसो’ का विश्लेषण (जारी)

रॉबिन्सन क्रूसो का निर्जन द्वीप पर 28 वर्षों से अधिक का प्रवास उसके अस्तित्व के लिए एक गहन संघर्ष था, जिसने उसकी सरलता को परखा और उसे गहरे आध्यात्मिक विकास की ओर अग्रसर किया। यह अवधि उसके जीवन का निर्णायक मोड़ थी, जहाँ वह प्रकृति के सामने अपनी कमजोरियों को पहचानता है और भीतर से मजबूत होता है।

द्वीप पर उसके संघर्ष

द्वीप पर क्रूसो का आगमन एक भयावह जहाज के मलबे के साथ होता है, जहाँ वह खुद को पूर्णतः अकेला और असहाय पाता है। उसके संघर्ष बहुआयामी थे:

  1. अकेलेपन और मानसिक पीड़ा: सबसे पहला और शायद सबसे कठिन संघर्ष गहन अकेलापन था। अपने जहाज के चालक दल के एकमात्र उत्तरजीवी के रूप में, क्रूसो को मानव संगति की अनुपस्थिति का सामना करना पड़ता है। शुरुआती दिनों में वह निराशा और हताशा से घिरा रहता है, अपने भाग्य को कोसता है और आत्महत्या के विचार भी उसके मन में आते हैं। इस मानसिक संघर्ष को दूर करना उसकी पहली बड़ी चुनौती थी। वह अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित करके, काम में खुद को व्यस्त रखकर और एक डायरी लिखकर इस पर काबू पाने की कोशिश करता है।
  2. प्राकृतिक तत्वों से संघर्ष: द्वीप पर जीवित रहने के लिए उसे प्रकृति की कठोरता से जूझना पड़ता है। उसे तूफानों, अनिश्चित मौसम, जंगली जानवरों (विशेष रूप से तेंदुए और अन्य शिकारी) और अज्ञात खतरों से खुद को बचाना होता है। उसे आश्रय बनाने, भोजन और पानी सुरक्षित करने और जंगली पर्यावरण में नेविगेट करने की आवश्यकता होती है।
  3. संसाधनों की कमी और उपकरणों का अभाव: क्रूसो के पास जीवित रहने के लिए कोई पूर्व-निर्मित उपकरण या तैयार संसाधन नहीं होते। उसे शुरुआत में केवल जहाज के मलबे से मिली सीमित वस्तुओं पर निर्भर रहना पड़ता है। उसे आग जलाने, खेती करने, शिकार करने और कपड़े बनाने जैसे बुनियादी कार्यों के लिए उपकरणों का अभाव होता है, और उसे ये सब खरोंच से सीखना पड़ता है या improvisational तरीके से बनाना पड़ता है।
  4. बीमारी और चोट: द्वीप पर चिकित्सीय सुविधाओं की अनुपस्थिति में, बीमारी या चोट का मतलब मौत हो सकता था। क्रूसो एक बार गंभीर रूप से बीमार पड़ जाता है, और इस दौरान ही उसका आध्यात्मिक जागरण शुरू होता है। यह दर्शाता है कि द्वीप पर उसका अस्तित्व कितना नाजुक था।

उसकी सरलता (Ingenuity)

क्रूसो की सरलता उसके संघर्षों पर विजय पाने की कुंजी थी। वह अपनी बुद्धि और उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके असंभव को संभव बनाता है:

  1. उपकरण और औजारों का निर्माण: जहाज के मलबे से बचाए गए औजारों का कुशलता से उपयोग करके, क्रूसो नए उपकरण बनाता है। वह पेड़ों को काटकर लकड़ियाँ तैयार करता है, उनसे बाड़ बनाता है, और अपने आवास को मजबूत करता है। वह मिट्टी के बर्तन बनाना सीखता है, जिससे उसे भोजन पकाने और पानी जमा करने में मदद मिलती है। वह एक छोटी डोंगी (canoe) भी बनाता है, हालांकि वह इसका उपयोग करने में विफल रहता है।
  2. कृषि और पशुपालन: वह जहाज से लाए गए कुछ अनाज (जौ और चावल) के दानों को गलती से उगता हुआ देखकर खेती करना सीखता है। वह जंगली बकरियों को पकड़ता है, उन्हें पालतू बनाता है और एक स्थिर खाद्य आपूर्ति के लिए उनका प्रजनन करता है। यह उसकी आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
  3. आवास और किलेबंदी: क्रूसो दो मुख्य आवास बनाता है – एक गुफा में और दूसरा एक मजबूत किलेनुमा संरचना में – जो उसे जंगली जानवरों और बाद में नरभक्षकों से सुरक्षा प्रदान करता है। वह अपनी सुरक्षा के लिए मजबूत बाड़ और अलार्म सिस्टम भी विकसित करता है।
  4. समय और व्यवस्था का प्रबंधन: अकेलेपन और अनिश्चितता के बावजूद, क्रूसो अपनी दिनचर्या में अनुशासन बनाए रखता है। वह एक नॉचड स्टिक (notched stick) का उपयोग करके समय का हिसाब रखता है, एक जर्नल लिखता है, और अपने दैनिक कार्यों (शिकार, खेती, अन्वेषण) को व्यवस्थित करता है। यह व्यवस्था उसे मानसिक रूप से स्थिर रहने और अपने लक्ष्यों पर केंद्रित रहने में मदद करती है।

आध्यात्मिक विकास का चित्रण

क्रूसो के द्वीप पर बिताए गए वर्ष उसके आध्यात्मिक विकास की एक गहन यात्रा का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो उसके जीवन में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाता है:

  1. शुरुआती लापरवाही और पश्चाताप: कहानी की शुरुआत में, क्रूसो एक लापरवाह युवक है जो अपने माता-पिता की धार्मिक शिक्षाओं की उपेक्षा करता है और केवल रोमांच और धन की तलाश में रहता है। द्वीप पर उसके आगमन को अक्सर उसके पापों (विशेषकर अपने पिता की इच्छा की अवज्ञा) के लिए ईश्वरीय दंड के रूप में देखा जाता है।
  2. बीमारी और आध्यात्मिक जागरण: द्वीप पर अपने जीवन के शुरुआती चरण में, क्रूसो गंभीर रूप से बीमार पड़ता है। यह शारीरिक संकट उसे पहली बार अपनी नश्वरता और ईश्वर से अपनी दूरी का एहसास कराता है। बुखार की स्थिति में, वह एक भयानक सपने का अनुभव करता है जहाँ एक आकृति उसे उसके पापों के लिए दंडित करती है। इस अनुभव के बाद, वह अपनी बाइबिल पढ़ना शुरू करता है, जो उसे जहाज के मलबे से मिली थी।
  3. ईश्वर से संबंध की बहाली: बाइबल पढ़ने और आत्म-चिंतन के माध्यम से, क्रूसो धीरे-धीरे ईश्वर के प्रति अपने विश्वास को फिर से स्थापित करता है। वह ईश्वर की कृपा और प्रोविडेंस (ईश्वरीय विधान) में विश्वास करना सीखता है। वह अपने जीवन की घटनाओं को ईश्वर की इच्छा के रूप में देखना शुरू करता है और अपनी दुर्दशा को अपने पापों के लिए एक अनुशासनात्मक पाठ के रूप में स्वीकार करता है। यह आध्यात्मिक बदलाव उसे अकेलेपन और हताशा से निपटने की आंतरिक शक्ति देता है।
  4. कृतज्ञता और संतोष: एक बार जब वह अपनी आध्यात्मिक शांति प्राप्त कर लेता है, तो क्रूसो अपने पास मौजूद चीज़ों के लिए कृतज्ञता विकसित करता है, भले ही वह कितनी भी कम क्यों न हो। वह अब अपनी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, उन आशीषों को गिनता है जो उसके पास हैं (जैसे उसका जीवन बचना, जहाज के मलबे से मिली वस्तुएँ)। यह उसे भौतिकवादी लालच से दूर ले जाता है और उसे संतोष सिखाता है।
  5. नैतिक उत्तरदायित्व और प्रभुत्व: उसका आध्यात्मिक विकास उसे अपने आसपास की दुनिया के प्रति एक नैतिक उत्तरदायित्व की भावना भी देता है। वह द्वीप पर अपनी स्थिति को ईश्वर द्वारा प्रदत्त “प्रभुत्व” के रूप में देखता है, जिसका अर्थ है कि उसे संसाधनों का प्रबंधन करना है और अंततः फ्राइडे को ईसाई धर्म और “सभ्यता” सिखाना है।

रॉबिन्सन क्रूसो का द्वीप पर संघर्ष उसके शारीरिक और मानसिक लचीलेपन की कहानी है, जबकि उसकी सरलता मानव नवाचार और अनुकूलनशीलता की क्षमता का प्रदर्शन है। इन दोनों के साथ उसका आध्यात्मिक विकास, जो उसकी आंतरिक शांति और उद्देश्य की भावना का स्रोत बनता है, उपन्यास को केवल एक साहसिक कहानी से कहीं अधिक, मनुष्य की अस्तित्वगत और नैतिक यात्रा का एक शक्तिशाली रूपक बनाता है।

रेगिस्तानी द्वीप का नायक: ‘रॉबिन्सन क्रूसो’ का विश्लेषण (जारी)

डेनियल डेफ़ो का “रॉबिन्सन क्रूसो” एक साहसिक कहानी से कहीं अधिक है; यह अकेलेपन, अस्तित्व (survival) और मानव लचीलेपन (resilience) के सार्वभौमिक विषयों का एक गहन अन्वेषण है। द्वीप पर क्रूसो का 28 वर्षों से अधिक का प्रवास इन मानव अनुभवों के केंद्र को छूता है, जिससे उपन्यास कालातीत और प्रासंगिक बन जाता है।

1. अकेलेपन (Loneliness) का गहरा अनुभव

क्रूसो की कहानी का एक केंद्रीय और मार्मिक विषय अकेलापन है। जहाज के मलबे से बचने के बाद, वह खुद को एक विशाल और निर्जन द्वीप पर पूरी तरह से अकेला पाता है।

  • शुरुआती सदमा और हताशा: शुरुआत में, क्रूसो को अकेलेपन का तीव्र सदमा लगता है। वह मानव आवाज सुनने के लिए तरसता है, उसकी दुनिया में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं होता जिससे वह बात कर सके, अपने विचारों को साझा कर सके, या सांत्वना पा सके। यह अकेलापन उसे निराशा, अवसाद और कभी-कभी मानसिक अस्थिरता की ओर धकेलता है। वह अपनी स्थिति को “निराशा और अकेलेपन का जीवन” बताता है।
  • दैनिक जीवन पर प्रभाव: अकेलेपन का उसके दैनिक जीवन पर भी प्रभाव पड़ता है। उसे अपने कार्यों में कोई प्रेरणा नहीं मिलती क्योंकि कोई उसकी प्रशंसा करने वाला नहीं है। उसके पास कोई नहीं है जिसके लिए वह काम करे या जिसके साथ वह अपनी उपलब्धियों का जश्न मनाए। उसके द्वारा बनाई गई हर चीज़ का मूल्य केवल उसके अपने उपयोग तक सीमित है।
  • समायोजन और अनुकूलन: धीरे-धीरे, क्रूसो अकेलेपन के साथ समायोजन करना सीखता है। वह खुद को व्यस्त रखने के लिए एक सख्त दिनचर्या बनाता है, अपने विचारों को एक डायरी में लिखता है, और प्रकृति में सांत्वना पाता है। उसका आध्यात्मिक विकास उसे एक नए साथी – ईश्वर – से जोड़ता है, जिससे उसका अकेलापन कम होता है। हालांकि, इंसानी संपर्क की चाहत कभी पूरी तरह खत्म नहीं होती, जैसा कि फ्राइडे के आगमन पर उसकी खुशी से पता चलता है। क्रूसो का अकेलापन मानवीय सामाजिकता की मूलभूत आवश्यकता को दर्शाता है।

2. अस्तित्व (Survival) का संघर्ष

उपन्यास का एक और प्रमुख विषय अस्तित्व के लिए क्रूसो का अथक संघर्ष है। द्वीप पर उसके पास सभ्यता के उपकरण, समर्थन या सुरक्षा कुछ भी नहीं होता। उसे अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खरोंच से सब कुछ बनाना पड़ता है।

  • भौतिक अस्तित्व: क्रूसो को भोजन, पानी, आश्रय और सुरक्षा के लिए लगातार प्रयास करना पड़ता है। वह जहाज के मलबे से सामान बचाता है, खेती करना सीखता है (जौ और चावल उगाता है), जानवरों का शिकार करता है और उन्हें पालतू बनाता है (बकरियाँ), और मिट्टी के बर्तन बनाता है। यह मनुष्य की उस क्षमता को दर्शाता है कि वह सबसे बुनियादी स्तर पर जीवित रहने के लिए अपने पर्यावरण का उपयोग कैसे कर सकता है।
  • मानसिक और भावनात्मक अस्तित्व: केवल भौतिक अस्तित्व ही पर्याप्त नहीं है। क्रूसो को अपने मानसिक स्वास्थ्य को भी बनाए रखना होता है। वह अपनी दिनचर्या में अनुशासन, समय का ट्रैक रखना, और एक पत्रिका लिखना जैसी चीजें करता है ताकि वह पागल न हो जाए। यह दर्शाता है कि अस्तित्व केवल शरीर को जीवित रखने से कहीं अधिक है; इसमें मन और आत्मा को भी बनाए रखना शामिल है।
  • “आदिम” स्थिति में वापसी: द्वीप पर, क्रूसो को अपने अस्तित्व के लिए लगभग आदिम अवस्था में लौटना पड़ता है। उसे प्रकृति से सीधे संवाद करना पड़ता है और अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अपने हाथों का उपयोग करना पड़ता है। यह सभ्यता के पतले आवरण को हटाकर मनुष्य के सबसे बुनियादी instincts और क्षमताओं को उजागर करता है।

3. मानव लचीलेपन (Human Resilience)

क्रूसो की कहानी का सबसे प्रेरणादायक पहलू उसका अदम्य लचीलापन (resilience) है। यह विपरीत परिस्थितियों में मनुष्य की ठीक होने, अनुकूलन करने और आगे बढ़ने की क्षमता को दर्शाता है।

  • अनुकूलनशीलता (Adaptability): एक व्यापारी से एक द्वीप के निवासी बनने तक, क्रूसो लगातार नई परिस्थितियों के अनुकूल ढल जाता है। वह नई कौशल सीखता है, नए तरीके अपनाता है, और अपने पर्यावरण से अधिकतम लाभ उठाता है। वह शिकायत करने के बजाय समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • समस्या-समाधान कौशल: क्रूसो एक उत्कृष्ट समस्या-समाधानकर्ता है। जब उसे भोजन पकाने के लिए बर्तन की आवश्यकता होती है, तो वह मिट्टी के बर्तन बनाना सीखता है। जब उसे सुरक्षा की आवश्यकता होती है, तो वह एक मजबूत किले का निर्माण करता है। उसकी सरलता और रचनात्मकता उसकी लचीलेपन का एक प्रमुख घटक है।
  • दृढ़ता और आशा (Perseverance and Hope): द्वीप पर इतने लंबे समय तक अकेले जीवित रहने के लिए अदम्य दृढ़ता की आवश्यकता होती है। कई बार निराशा के बावजूद, क्रूसो कभी भी पूरी तरह से हार नहीं मानता। वह हमेशा एक रास्ता खोजने और अपनी मुक्ति की उम्मीद बनाए रखने की कोशिश करता है। उसकी आध्यात्मिक यात्रा इस आशा को और मजबूत करती है कि उसे बचाया जाएगा या उसके जीवन का एक उद्देश्य है।
  • पुनर्जन्म और परिवर्तन: क्रूसो का द्वीप पर का अनुभव उसे पूरी तरह से बदल देता है। वह एक लापरवाह और अवज्ञाकारी युवा से एक आत्म-निर्भर, साधन संपन्न, धार्मिक और परिपक्व व्यक्ति में बदल जाता है। यह परिवर्तन मानव लचीलेपन का अंतिम प्रमाण है – न केवल जीवित रहना, बल्कि अनुभव के माध्यम से बेहतर और मजबूत बनना।

“रॉबिन्सन क्रूसो” इन तीन शक्तिशाली विषयों को एक साथ बुनता है ताकि एक ऐसी कहानी बन सके जो मानव अनुभव के मूल में प्रवेश करती है। यह हमें सिखाता है कि अकेलेपन की गहरी खाई में भी, मनुष्य में जीवित रहने की अविश्वसनीय शक्ति होती है, और सबसे कठिन परिस्थितियों में भी, वह अनुकूलन कर सकता है, सीख सकता है और एक बेहतर व्यक्ति के रूप में उभर सकता है।

साहित्यिक सफलता और आलोचना

25 अप्रैल 1719 को प्रकाशित होने के बाद, डेनियल डेफ़ो के उपन्यास “द लाइफ एंड स्ट्रेंज सरप्राइजिंग एडवेंचर्स ऑफ रॉबिन्सन क्रूसो, ऑफ यॉर्क, मरिनर” को अभूतपूर्व और तत्काल अपार लोकप्रियता और व्यावसायिक सफलता मिली। यह अंग्रेजी साहित्यिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण था, जिसने उपन्यास विधा के लिए एक नया मानदंड स्थापित किया।

“रॉबिन्सन क्रूसो” को मिली अपार लोकप्रियता

उपन्यास को पाठकों के एक बड़े वर्ग द्वारा तुरंत अपनाया गया, और इसकी लोकप्रियता के कई कारण थे:

  1. यथार्थवाद और प्रामाणिकता का भ्रम: डेफ़ो ने उपन्यास को एक वास्तविक समुद्री यात्री रॉबिन्सन क्रूसो द्वारा लिखे गए सच्चे संस्मरणों के रूप में प्रस्तुत किया। पहले संस्करण के शीर्षक पृष्ठ पर लेखक के रूप में स्वयं रॉबिन्सन क्रूसो का नाम था, जिसने कई पाठकों को यह विश्वास दिलाया कि यह एक गैर-काल्पनिक यात्रा वृत्तांत था। यह “सच्चाई” का आभास उस समय के पाठकों के लिए अत्यंत आकर्षक था, जो अक्सर यात्रा वृत्तांतों और डायरियों को पसंद करते थे। इस तकनीक ने उपन्यास को तुरंत विश्वसनीय और प्रामाणिक बना दिया।
  2. मनोरंजक और रोमांचक कहानी: कहानी में समुद्री यात्रा, जहाज का मलबा, एक निर्जन द्वीप पर जीवित रहने का संघर्ष, नरभक्षकों का सामना, और फ्राइडे जैसे चरित्रों के साथ दोस्ती जैसे तत्व थे, जो पाठकों के लिए अत्यधिक मनोरंजक और रोमांचक थे। यह तत्कालीन समय की लोकप्रिय साहसिक कथाओं और यात्रा वृत्तांतों की भूख को शांत करता था।
  3. सार्वभौमिक विषय-वस्तु: उपन्यास में अकेलेपन, अस्तित्व, मानव लचीलापन, आत्म-निर्भरता, और आध्यात्मिक विकास जैसे सार्वभौमिक विषय शामिल थे। ये विषय विभिन्न पृष्ठभूमियों के पाठकों के साथ प्रतिध्वनित हुए और कहानी को केवल एक साहसिक कार्य से कहीं अधिक बना दिया।
  4. मध्यम वर्ग के लिए अपील: डेफ़ो ने मध्यम वर्ग के पाठकों को ध्यान में रखते हुए लिखा। क्रूसो एक सामान्य मध्यमवर्गीय व्यक्ति था जो परिश्रम, विवेक और साधन संपन्नता से जीवन में आगे बढ़ता है। उसके संघर्ष और सफलता की कहानी मध्यम वर्ग के मूल्यों और आकांक्षाओं के अनुरूप थी, जिसने इस वर्ग के बीच उपन्यास को बहुत लोकप्रिय बनाया।
  5. सीधी और सुलभ लेखन शैली: डेफ़ो की सीधी, स्पष्ट और बोलचाल की लेखन शैली ने जटिल विचारों को भी आम पाठक के लिए सुलभ बना दिया। उन्होंने जटिल वाक्य-विन्यास या साहित्यिक अलंकरणों से परहेज किया, जिससे कहानी पढ़ना आसान और आकर्षक बन गई। यह शैली उनकी पत्रकारिता पृष्ठभूमि से विकसित हुई थी।

व्यावसायिक सफलता

“रॉबिन्सन क्रूसो” की लोकप्रियता तुरंत व्यावसायिक सफलता में बदल गई:

  1. तेज पुनर्मुद्रण (Rapid Editions): प्रकाशन के कुछ ही महीनों के भीतर, उपन्यास के चार से अधिक संस्करण प्रकाशित हुए। यह उस समय के लिए एक असाधारण उपलब्धि थी और इसकी भारी मांग को दर्शाता है।
  2. sequel (अनुवर्ती) का प्रकाशन: उपन्यास की अपार सफलता को देखते हुए, डेफ़ो ने उसी वर्ष, 1719 में, एक sequel, “द फर्दर एडवेंचर्स ऑफ रॉबिन्सन क्रूसो” (The Farther Adventures of Robinson Crusoe) भी प्रकाशित किया। यह भी लोकप्रिय हुआ, हालांकि मूल उपन्यास जितनी नहीं।
  3. अनुवाद और अंतर्राष्ट्रीय प्रसार: “रॉबिन्सन क्रूसो” का यूरोपीय महाद्वीप में तुरंत अनुवाद किया गया। इसने जल्द ही एक अंतरराष्ट्रीय बेस्टसेलर का दर्जा प्राप्त कर लिया और दुनिया भर में सबसे अधिक अनुवादित पुस्तकों में से एक बन गया (कुछ दावों के अनुसार, बाइबिल के बाद दूसरा)।
  4. “रॉबिन्सनेड” (Robinsonade) शैली का जन्म: उपन्यास की सफलता ने इतनी व्यापक नकल को प्रेरित किया कि एक नई साहित्यिक शैली का जन्म हुआ जिसे “रॉबिन्सनेड” कहा जाने लगा। इस शैली में ऐसी कहानियाँ शामिल थीं जहाँ एक व्यक्ति (या समूह) एक सुनसान जगह पर फंस जाता है और उसे जीवित रहने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इसने उपन्यास विधा पर डेफ़ो के स्थायी प्रभाव को रेखांकित किया।
  5. वित्तीय लाभ: इस व्यावसायिक सफलता ने डेफ़ो को, जो जीवन भर वित्तीय कठिनाइयों से जूझते रहे थे, कुछ हद तक राहत प्रदान की। इसने उन्हें अपने कर्ज चुकाने और एक लेखक के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने में मदद की।

“रॉबिन्सन क्रूसो” को मिली अपार लोकप्रियता और व्यावसायिक सफलता एक संयोग नहीं थी। यह डेफ़ो की कहानी कहने की महारत, उनके यथार्थवाद का अभिनव उपयोग, उनके रोमांचक विषय-वस्तु और उनके समय की सांस्कृतिक और सामाजिक आवश्यकताओं की उनकी समझ का परिणाम था। यह उपन्यास न केवल एक बेस्टसेलर बना, बल्कि इसने आधुनिक उपन्यास के विकास का मार्ग भी प्रशस्त किया।

साहित्यिक सफलता और आलोचना (जारी)

“रॉबिन्सन क्रूसो” को भले ही अपार लोकप्रियता और व्यावसायिक सफलता मिली, लेकिन तत्कालीन साहित्यिक हलकों से इसे केवल प्रशंसा ही नहीं, बल्कि कुछ महत्वपूर्ण आलोचनाएँ भी मिलीं। यह उस समय के साहित्यिक मानदंडों और उपन्यास विधा के विकास में इसकी अनूठी स्थिति को दर्शाता है।

साहित्यिक हलकों से मिली प्रशंसा

उपन्यास को इसकी नवीनता और प्रभाव के लिए कई स्तरों पर सराहा गया:

  1. यथार्थवाद और प्रामाणिकता: सबसे बड़ी प्रशंसा डेफ़ो के यथार्थवाद की कला के लिए थी। आलोचकों ने इस बात की सराहना की कि कैसे डेफ़ो ने एक काल्पनिक कहानी को इतनी विश्वसनीयता के साथ प्रस्तुत किया कि यह एक वास्तविक जीवन का वृत्तांत लगता था। उनके विस्तृत और ठोस विवरण, प्रथम-पुरुष कथावाचक का उपयोग, और रोजमर्रा के जीवन के पहलुओं पर ध्यान देने ने इसे एक अनूठी प्रामाणिकता प्रदान की। जॉन वेस्ट केल जैसे विद्वानों ने बाद में डेफ़ो को “उपन्यास का जनक” कहा, जो उनके यथार्थवादी चित्रण के लिए था।
  2. नैतिक और धार्मिक संदेश: उपन्यास में निहित नैतिक और धार्मिक शिक्षाएँ (जैसे पश्चाताप, प्रोविडेंस में विश्वास, परिश्रम का महत्व) तत्कालीन धार्मिक रूप से सचेत समाज के लिए विशेष रूप से आकर्षक थीं। डेफ़ो की अपनी असंतुष्ट पृष्ठभूमि के कारण, उपन्यास में प्रोटेस्टेंट नैतिकता का गहरा प्रभाव था, जिसकी कई धार्मिक नेताओं और विद्वानों ने सराहना की।
  3. मनोरंजक और विचारोत्तेजक: कहानी की साहसिक प्रकृति और इसकी विचारोत्तेजक विषय-वस्तु (मनुष्य का प्रकृति से संबंध, सभ्यता का सार, अकेलेपन का मनोविज्ञान) को भी सराहा गया। इसने पाठकों को न केवल मनोरंजन दिया बल्कि उन्हें गहरे दार्शनिक और मनोवैज्ञानिक प्रश्नों पर विचार करने के लिए भी प्रेरित किया।
  4. लोकप्रियता और प्रभाव: उपन्यास की अभूतपूर्व लोकप्रियता ने इसे साहित्यिक बहस का केंद्र बिंदु बना दिया। भले ही कुछ आलोचक इसकी “शैली” पर बहस करते रहे, इसकी व्यापक पहुँच और इसने जिस “रॉबिन्सनेड” शैली को जन्म दिया, वह इसकी साहित्यिक शक्ति का प्रमाण था।

तत्कालीन साहित्यिक हलकों से मिली आलोचना

“रॉबिन्सन क्रूसो” को मिली कुछ आलोचनाएँ उस समय के साहित्यिक स्वाद और उपन्यास विधा की अभी तक पूरी तरह से स्थापित न होने के कारण थीं:

  1. “कच्ची” या अनगढ़ शैली (Lack of “High Style”): उस समय, कई साहित्यिक आलोचक क्लासिकल और नियोक्लासिकल शैली की अपेक्षा करते थे, जिसमें परिष्कृत भाषा, जटिल वाक्य-विन्यास और साहित्यिक अलंकरण शामिल थे। डेफ़ो की सीधी, पत्रकारिता जैसी, बोलचाल की लेखन शैली को कुछ लोगों ने “कच्ची,” “अनगढ़” या “साहित्यिक रूप से हीन” माना। उन्हें लगा कि इसमें “उच्च साहित्य” की गरिमा का अभाव है।
  2. गद्य का “नीचा” रूप: 18वीं शताब्दी की शुरुआत में, उपन्यास अभी भी एक नवजात विधा थी और इसे कविताओं या नाटकों की तुलना में “निम्न” साहित्यिक रूप माना जाता था। “रॉबिन्सन क्रूसो” जैसी कहानियों को अक्सर “फिक्शन” या “रोमांस” के रूप में देखा जाता था, जिसे समय बिताने का एक साधन माना जाता था, न कि गंभीर साहित्य के रूप में। आलोचकों ने इसकी कथा को यथार्थवादी माना लेकिन इसे उच्च कलात्मक योग्यता का नहीं माना।
  3. “सच्ची कहानी” का भ्रम और साहित्यिक धोखाधड़ी का आरोप: कुछ आलोचकों ने डेफ़ो पर पाठकों को धोखा देने का आरोप लगाया, क्योंकि उन्होंने उपन्यास को एक सच्चे संस्मरण के रूप में प्रस्तुत किया था। जब यह स्पष्ट हो गया कि यह एक काल्पनिक रचना है, तो कुछ साहित्यिक हस्तियों ने इसे एक प्रकार की साहित्यिक धोखाधड़ी के रूप में देखा। उदाहरण के लिए, कवि जॉन गे ने 1719 में एक पत्र में लिखा था कि डेफ़ो की पुस्तक “असाधारण रूप से मनोरंजक” है, लेकिन यह भी कहा कि यह “पूरी तरह से एक कल्पना” है और इस पर “एक शब्द भी विश्वास नहीं किया जा सकता।”
  4. कथा में पुनरावृत्ति और शिथिल संरचना: कुछ आलोचकों ने कहानी की पुनरावृत्ति और इसकी शिथिल संरचना पर टिप्पणी की। उन्हें लगा कि क्रूसो के द्वीप पर जीवन के कुछ विवरण अनावश्यक रूप से लंबे और दोहराव वाले थे, और कहानी में एक मजबूत, एकीकृत कथानक की कमी थी जो क्लासिकल नाटकों या कविताओं में पाई जाती थी।
  5. नैतिक द्वेष या पाखंड का आरोप (Hypocrisy): डेफ़ो पर, जिन्होंने “द शॉर्टेस्ट वे विद द डिसेंटर्स” के लिए सज़ा काटी थी और जिन्हें एक राजनीतिक एजेंट के रूप में काम करने के लिए जाना जाता था, कुछ लोगों ने पाखंडी होने का आरोप लगाया। उन्होंने सोचा कि नैतिक शिक्षा पर उनका जोर एक ऐसे व्यक्ति के लिए बेईमान था जिसका अपना रिकॉर्ड संदिग्ध था।

“रॉबिन्सन क्रूसो” को तत्कालीन साहित्यिक हलकों में एक मिश्रित प्रतिक्रिया मिली। इसकी लोकप्रियता और नवीनता को सराहा गया, विशेष रूप से इसके यथार्थवाद और नैतिक संदेश के लिए। हालांकि, इसकी शैलीगत सरलता और साहित्यिक विधा के रूप में उपन्यास की निचली स्थिति के कारण इसे कुछ आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। यह आलोचना, हालांकि, इसके दीर्घकालिक महत्व को कम नहीं कर सकी, और बाद की पीढ़ियों ने इसे आधुनिक उपन्यास के विकास में एक मौलिक कार्य के रूप में मान्यता दी।

साहित्यिक सफलता और आलोचना (जारी)

डेनियल डेफ़ो का “रॉबिन्सन क्रूसो” अंग्रेजी साहित्य के इतिहास में एक ऐसा महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ जिसने न केवल उपन्यास विधा को आकार दिया, बल्कि इसके बाद के साहित्यिक परिदृश्य पर भी गहरा प्रभाव डाला। इसकी स्थायी विरासत इसके अभिनव दृष्टिकोण और इसके द्वारा स्थापित किए गए मानदंडों में निहित है।

इस उपन्यास का अंग्रेजी साहित्य के इतिहास में महत्व

“रॉबिन्सन क्रूसो” को अंग्रेजी साहित्य में कई कारणों से एक मौलिक और क्रांतिकारी कार्य माना जाता है:

  1. आधुनिक अंग्रेजी उपन्यास का जन्म: “रॉबिन्सन क्रूसो” को व्यापक रूप से पहला आधुनिक अंग्रेजी उपन्यास (First Modern English Novel) माना जाता है। जबकि इससे पहले भी लंबी गद्य कथाएँ मौजूद थीं, डेफ़ो ने उन्हें एक नया रूप दिया:
    • यथार्थवाद पर जोर: इसने काल्पनिक कथाओं को ‘सच्ची कहानी’ के रूप में प्रस्तुत करने की परंपरा को स्थापित किया, जिससे पाठक के लिए कहानी अधिक विश्वसनीय बन गई।
    • व्यक्तिगत अनुभव और आंतरिक जीवन: उपन्यास ने एक व्यक्ति के आंतरिक जीवन, उसके विचारों, भावनाओं और मनोवैज्ञानिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया, जो पहले के रोमांस या महाकाव्यों में अनुपस्थित था।
    • मध्यमवर्गीय नायक: इसने एक साधारण, मध्यमवर्गीय व्यक्ति को नायक बनाया, जिसके संघर्ष और सफलताएँ आम पाठकों के लिए अधिक प्रासंगिक थीं।
    • सीधी और सुलभ भाषा: इसकी सीधी, बोलचाल की शैली ने साहित्य को आम जनता के लिए अधिक सुलभ बनाया।
  2. यथार्थवादी परंपरा की स्थापना: डेफ़ो ने अपने विस्तृत विवरणों, तथ्यात्मक परिशुद्धता के भ्रम और ‘दस्तावेजी’ शैली के माध्यम से अंग्रेजी उपन्यास में यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी। उनके बाद के उपन्यासकार, जैसे हेनरी फील्डिंग, सैमुअल रिचर्डसन और जेन ऑस्टेन, ने इस यथार्थवाद को और विकसित किया, हालांकि अपनी-अपनी शैलियों में।
  3. पहला व्यक्ति कथावाचन का प्रभाव: क्रूसो की कहानी को पहले व्यक्ति (First-Person Narrative) में सुनाया जाना क्रांतिकारी था। इसने पाठक और नायक के बीच एक अंतरंग संबंध स्थापित किया, जिससे कहानी अधिक व्यक्तिगत और विश्वसनीय लगी। यह तकनीक बाद के कई उपन्यासों में मानक बन गई।
  4. मनुष्य और प्रकृति के संबंधों का अन्वेषण: उपन्यास ने मनुष्य को सभ्यता के बाहर, प्रकृति से सीधे मुठभेड़ करते हुए दिखाया। इसने मनुष्य की संसाधनशीलता, अनुकूलनशीलता और जीवित रहने की इच्छा पर जोर दिया, जो बाद के साहसिक और अस्तित्व-विषयक साहित्य के लिए एक खाका बन गया।
  5. नैतिक और दार्शनिक विषयों की गहराई: “रॉबिन्सन क्रूसो” ने पाप, पश्चाताप, ईश्वर के विधान, श्रम के मूल्य, उपनिवेशवाद और सभ्यता के सार जैसे गहरे दार्शनिक और नैतिक प्रश्नों पर विचार किया। इसने उपन्यास को केवल मनोरंजन से कहीं अधिक बना दिया, जिससे यह एक गंभीर चिंतन का विषय भी बन गया।

उसके बाद के प्रभाव (Lasting Impacts)

“रॉबिन्सन क्रूसो” का प्रभाव अंग्रेजी साहित्य तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर फैल गया और विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया:

  1. “रॉबिन्सनेड” शैली का जन्म: उपन्यास की अपार लोकप्रियता ने एक पूरी नई साहित्यिक शैली को जन्म दिया जिसे “रॉबिन्सनेड” (Robinsonade) कहा जाता है। इस शैली में ऐसी कहानियाँ शामिल हैं जहाँ एक व्यक्ति या व्यक्तियों का एक समूह एक सुनसान या अलग-थलग स्थान पर फंस जाता है और उसे जीवित रहने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। विलियम गोल्डिंग का “लॉर्ड ऑफ द फ्लाइज” और आर.एम. बेलेंटाइन का “द कोरल आइलैंड” इसके प्रमुख उदाहरण हैं। आधुनिक अस्तित्ववादी फिल्में और टेलीविजन शो (जैसे “कास्ट अवे” या “लॉस्ट”) भी इसी परंपरा में आते हैं।
  2. बच्चों के साहित्य पर प्रभाव: “रॉबिन्सन क्रूसो” बच्चों के साहित्य के लिए एक क्लासिक बन गया है। इसकी साहसिक कहानी, आत्मनिर्भरता का संदेश और रचनात्मकता ने इसे युवा पाठकों के लिए एक पसंदीदा बना दिया है। इसके अनगिनत अनुकूलन, सरलीकृत संस्करण और चित्र-पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं।
  3. उपन्यास विधा का मानकीकरण: “रॉबिन्सन क्रूसो” ने उपन्यास को एक वैध और लोकप्रिय साहित्यिक रूप के रूप में स्थापित करने में मदद की। इसने दिखाया कि गद्य कथाएँ भी गहन, विचारोत्तेजक और व्यावसायिक रूप से सफल हो सकती हैं, जिससे बाद के लेखकों के लिए इस विधा में प्रयोग करने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
  4. आर्थिक और औपनिवेशिक चिंतन पर प्रभाव: उपन्यास ने आर्थिक सिद्धांतों, श्रम, पूंजी और संपत्ति के निर्माण पर भी टिप्पणी की। क्रूसो का द्वीप पर एक लघु अर्थव्यवस्था स्थापित करना और दास व्यापार में उसकी भागीदारी ने तत्कालीन औपनिवेशिक विस्तार और आर्थिक विचारधाराओं पर बहस को बढ़ावा दिया।
  5. दार्शनिक और मनोवैज्ञानिक अन्वेषण: रॉबिन्सन क्रूसो का अकेलापन, मानसिक संघर्ष और आध्यात्मिक यात्रा ने बाद के दार्शनिकों और मनोवैज्ञानिकों को भी आकर्षित किया है, जिन्होंने मानव अस्तित्व, अलगाव और पहचान के मुद्दों पर विचार किया है।
  6. विश्व साहित्य में प्रभाव: “रॉबिन्सन क्रूसो” का अनुवाद अनगिनत भाषाओं में किया गया है और यह दुनिया भर में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तकों में से एक है। इसने विश्व साहित्य में एक स्थायी छाप छोड़ी है और विभिन्न संस्कृतियों के लेखकों को प्रेरित किया है।

“रॉबिन्सन क्रूसो” केवल एक लोकप्रिय कहानी नहीं थी, बल्कि एक ऐसी साहित्यिक शक्ति थी जिसने अंग्रेजी उपन्यास को परिभाषित किया। इसने यथार्थवाद की नींव रखी, प्रथम-पुरुष कथावाचन को लोकप्रिय बनाया, और मनुष्य के अस्तित्व, लचीलेपन और सभ्यता के सार पर गहन चिंतन प्रस्तुत किया, जिससे यह आज भी प्रासंगिक बना हुआ है।

“रॉबिन्सन क्रूसो” के बाद डेफो की अन्य महत्वपूर्ण कृतियों का अवलोकन, जैसे “मॉले फ्लैंडर्स” और “जर्नल ऑफ द प्लेग ईयर”।

बाद के वर्ष और अन्य महत्वपूर्ण कार्य

“रॉबिन्सन क्रूसो” की अपार सफलता (1719) ने डेनियल डेफ़ो को 60 वर्ष की आयु के करीब, एक स्थापित और प्रसिद्ध लेखक के रूप में स्थापित किया। हालांकि यह उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति बनी हुई है, डेफ़ो ने इसके बाद भी कई महत्वपूर्ण उपन्यास और गैर-काल्पनिक कृतियाँ लिखना जारी रखा, जिन्होंने अंग्रेजी उपन्यास के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इनमें से “मॉले फ्लैंडर्स” और “जर्नल ऑफ द प्लेग ईयर” विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं, जो उनकी यथार्थवादी शैली और सामाजिक अंतर्दृष्टि को प्रदर्शित करते हैं।

“मॉले फ्लैंडर्स” (Moll Flanders, 1722)

“द फॉर्च्यून्स एंड मिसफॉर्च्यून्स ऑफ द फेमस मॉले फ्लैंडर्स” (The Fortunes and Misfortunes of the Famous Moll Flanders), जिसे आमतौर पर “मॉले फ्लैंडर्स” के नाम से जाना जाता है, डेफ़ो का एक और प्रभावशाली उपन्यास है जो “रॉबिन्सन क्रूसो” के तीन साल बाद प्रकाशित हुआ। यह एक महिला की आत्मकथात्मक कहानी है जो समाज के निचले तबके से आती है और जीवित रहने के लिए संघर्ष करती है।

  • मुख्य कहानी और चरित्र: मॉले फ्लैंडर्स एक ऐसी महिला है जिसका जन्म न्यूगेट जेल में हुआ था। वह अपने जीवन में गरीबी, वेश्यावृत्ति, चोरी, शादी और यहां तक कि अमेरिकी उपनिवेशों में परिवहन (एक कैदी के रूप में) सहित कई भाग्य परिवर्तन और नैतिक दुविधाओं से गुजरती है। कहानी उसके खुद के शब्दों में सुनाई गई है, जो उसके अनुभवों और नैतिक विचारों पर एक अंतरंग दृष्टिकोण प्रदान करती है।
  • यथार्थवाद और सामाजिक टिप्पणियाँ:
    • महिला की स्थिति: यह उपन्यास 18वीं सदी के इंग्लैंड में एक महिला के लिए उपलब्ध सीमित विकल्पों का एक कठोर और यथार्थवादी चित्रण प्रस्तुत करता है, खासकर जब वह गरीबी में पैदा हुई हो और उसके पास कोई सामाजिक सहारा न हो। यह दिखाता है कि कैसे समाज की संरचनाएँ महिलाओं को जीवित रहने के लिए संदिग्ध नैतिक विकल्प चुनने पर मजबूर कर सकती हैं।
    • अपराध और सामाजिक असमानता: डेफ़ो ने अपराध की दुनिया, लंदन के अंडरवर्ल्ड और गरीबी के दबाव में लोगों द्वारा किए गए नैतिक compromises (समझौतों) का विस्तृत विवरण दिया है। यह समाज की असमानताओं और कमजोरों पर उनके प्रभावों पर एक टिप्पणी है।
    • वित्तीय संघर्ष: मॉले का जीवन लगातार वित्तीय अस्थिरता से भरा है। वह सुरक्षित रहने और जीवित रहने के लिए धन और संपत्ति के महत्व को समझती है। यह डेफ़ो के अपने वित्तीय अनुभवों और उस समय के समाज में पैसे की भूमिका को दर्शाता है।
  • नैतिक जटिलता: मॉले एक विरोधाभासी चरित्र है – वह अक्सर अनैतिक कार्य करती है लेकिन साथ ही पश्चाताप और बेहतर जीवन की इच्छा भी रखती है। डेफ़ो ने उसके नैतिक द्वंद्वों को सहानुभूतिपूर्वक चित्रित किया, जिससे पाठकों को उसके कार्यों पर विचार करने का अवसर मिला।

“जर्नल ऑफ द प्लेग ईयर” (A Journal of the Plague Year, 1722)

“जर्नल ऑफ द प्लेग ईयर” उसी वर्ष प्रकाशित हुआ जिस वर्ष “मॉले फ्लैंडर्स” प्रकाशित हुआ। यह पुस्तक 1665 में लंदन में आए महान प्लेग (Great Plague of London) के बारे में एक काल्पनिक, प्रथम-पुरुष खाता है। डेफ़ो स्वयं उस समय केवल पांच वर्ष के थे, इसलिए यह उनके प्रत्यक्ष अनुभव पर आधारित नहीं था, बल्कि गहन शोध, सरकारी अभिलेखों और जीवित बचे लोगों की कहानियों पर आधारित था।

  • मुख्य कहानी और चरित्र: कहानी एच.एफ. नामक एक व्यक्ति द्वारा बताई गई है, जो लंदन का एक सैडलर (काठी बनाने वाला) है और जिसने प्लेग के पूरे समय शहर में रहने का फैसला किया। वह महामारी के दौरान अपने स्वयं के अनुभवों और आसपास की घटनाओं का विस्तृत, दिन-प्रतिदिन का विवरण देता है।
  • यथार्थवाद और ऐतिहासिक सटीकता का भ्रम:
    • तथ्यात्मक विवरण: डेफ़ो ने मृत्यु दर के आँकड़े, विशिष्ट गलियों और मुहल्लों के नाम, सरकारी आदेशों का विवरण और प्लेग से पीड़ित लोगों के अनुभवों सहित अनगिनत तथ्यात्मक विवरणों का उपयोग किया। इससे पुस्तक इतनी विश्वसनीय लगती है कि कई पाठक इसे एक वास्तविक ऐतिहासिक दस्तावेज़ मानते हैं।
    • मानवीय प्रतिक्रियाएँ: पुस्तक प्लेग के सामने मानवीय प्रतिक्रियाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को दर्शाती है: भय, घबराहट, धार्मिक उन्माद, वीरता, परोपकारिता, और कठोरता। यह दिखाता है कि कैसे लोग महामारी के सामने अलग-अलग तरीकों से व्यवहार करते हैं – कुछ शहर छोड़कर भाग जाते हैं, कुछ लूटपाट करते हैं, और कुछ दूसरों की मदद करने के लिए रहते हैं।
    • महामारी का मनोविज्ञान: यह पुस्तक एक महामारी के दौरान समाज के मनोविज्ञान का एक मार्मिक चित्रण है। डेफ़ो ने भय, अफवाहों और सार्वजनिक व्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण किया।
  • पत्रकारिता और कथा का मिश्रण: “जर्नल ऑफ द प्लेग ईयर” डेफ़ो के पत्रकारिता कौशल और कथा कहने की उनकी क्षमता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों को एक मार्मिक और आकर्षक कथा में बदल दिया।

अन्य महत्वपूर्ण कृतियाँ और डेफ़ो की बहुमुखी प्रतिभा

“रॉबिन्सन क्रूसो”, “मॉले फ्लैंडर्स” और “जर्नल ऑफ द प्लेग ईयर” के अलावा, डेफ़ो ने अन्य उपन्यास भी लिखे जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाते हैं:

  • “कर्नल जैक” (Colonel Jack, 1722): यह एक अन्य “अपराधी जीवनी” है जो एक अनाथ लड़के की कहानी बताती है जो एक चोर बनता है और बाद में अमेरिकी उपनिवेशों में एक सम्मानजनक जीवन जीता है। यह भी सामाजिक गतिशीलता और नैतिक मोचन के विषयों पर केंद्रित है।
  • “लेडी रॉक्सना” (Roxana: The Fortunate Mistress, 1724): यह एक अन्य महिला-केंद्रित उपन्यास है जो एक ऐसी महिला की कहानी है जो अपनी बुद्धिमत्ता और सुंदरता का उपयोग करके वित्तीय सुरक्षा प्राप्त करती है, लेकिन अक्सर नैतिक रूप से संदिग्ध साधनों से। यह भी समाज में महिलाओं की स्थिति और पैसे की भूमिका पर टिप्पणी है।
  • “अ कम्प्लीट इंग्लिश ट्रेड्समैन” (A Compleat English Tradesman, 1726): यह एक गैर-काल्पनिक कार्य है जो व्यापारिक नैतिकता, व्यावसायिक प्रथाओं और एक सफल व्यापारी बनने के लिए आवश्यक गुणों पर सलाह देता है। यह डेफ़ो के अपने व्यापारिक अनुभवों और उस समय के बढ़ते व्यापारी वर्ग के लिए उनकी व्यावहारिक अंतर्दृष्टि को दर्शाता है।

इन बाद की कृतियों ने डेफ़ो को एक विपुल और प्रभावशाली लेखक के रूप में स्थापित किया। उन्होंने यथार्थवाद, प्रथम-पुरुष कथावाचन और सामाजिक टिप्पणी के अपने अभिनव उपयोग को जारी रखा, जिससे अंग्रेजी उपन्यास के विकास में उनकी जगह और मजबूत हुई। उनके कार्य उस समय के समाज का एक अनूठा और विस्तृत चित्रण प्रस्तुत करते हैं, साथ ही मानव स्वभाव की सार्वभौमिक सच्चाइयों का भी अन्वेषण करते हैं।

बाद के वर्ष और अन्य महत्वपूर्ण कार्य (जारी)

डेनियल डेफ़ो की साहित्यिक प्रतिभा का एक और महत्वपूर्ण पहलू उनके लेखन में असाधारण विविधता (versatility) और विभिन्न शैलियों में उनकी महारत (mastery of various genres) थी। एक prolific लेखक के रूप में, उन्होंने न केवल उपन्यास लिखे, बल्कि पत्रकारिता, राजनीति, अर्थशास्त्र, नैतिकता और इतिहास जैसे विविध क्षेत्रों में भी अपनी कलम चलाई। उनकी यह बहुमुखी प्रतिभा ही उन्हें अपने युग के सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली लेखकों में से एक बनाती है।

उनके लेखन में विविधता

डेफ़ो ने अपने लंबे और उत्पादक साहित्यिक करियर के दौरान विषयों और शैलियों की एक विस्तृत श्रृंखला को छुआ:

  1. उपन्यास और काल्पनिक आत्मकथाएँ (Novels and Fictional Autobiographies): यह उनकी सबसे प्रसिद्ध शैली है। “रॉबिन्सन क्रूसो,” “मॉले फ्लैंडर्स,” “कर्नल जैक,” और “लेडी रॉक्सना” जैसे उपन्यासों में, उन्होंने प्रथम-पुरुष कथावाचन का उपयोग करके काल्पनिक जीवन को इतनी विश्वसनीयता के साथ प्रस्तुत किया कि वे वास्तविक प्रतीत होते थे। इन कृतियों में उन्होंने मानव अनुभव के गहरे पहलुओं – अस्तित्व, नैतिकता, अपराध, पश्चाताप और सामाजिक गतिशीलता – का अन्वेषण किया।
  2. पत्रकारिता और सामयिक लेख (Journalism and Periodical Essays): डेफ़ो को अक्सर आधुनिक पत्रकारिता का जनक माना जाता है। उनकी पत्रिका “द रिव्यू” (जो लगभग एक दशक तक चली) इसका प्रमुख उदाहरण है। इसमें उन्होंने तत्कालीन राजनीतिक घटनाओं, आर्थिक मुद्दों, सामाजिक नैतिकता और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर नियमित रूप से टिप्पणी की। उन्होंने संपादकीय, समाचार विश्लेषण और व्यंग्य को मिलाकर एक नई पत्रकारिता शैली विकसित की।
  3. राजनीतिक पर्चे और व्यंग्य (Political Pamphlets and Satires): अपने शुरुआती दिनों से ही, डेफ़ो एक तीखे राजनीतिक टिप्पणीकार थे। “द ट्रुबोर्न इंग्लिशमैन” (कविता) और “द शॉर्टेस्ट वे विद द डिसेंटर्स” (व्यंग्यपूर्ण पर्चा) जैसे कार्यों के माध्यम से, उन्होंने राजनीतिक विवादों में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने पार्टी की राजनीति, धार्मिक असहिष्णुता और राष्ट्रीय पहचान जैसे मुद्दों पर लिखा, अक्सर विडंबना और व्यंग्य का उपयोग करते हुए।
  4. आर्थिक और व्यापारिक ग्रंथ (Economic and Trade Treatises): एक असफल व्यापारी होने के बावजूद, डेफ़ो को अर्थव्यवस्था और व्यापार की गहरी समझ थी। उन्होंने “एन एसे अपॉन प्रोजेक्ट्स” (An Essay upon Projects) और “अ कम्प्लीट इंग्लिश ट्रेड्समैन” (A Compleat English Tradesman) जैसे कार्यों में व्यापारिक नैतिकता, बैंकिंग, बीमा, सड़क सुधार और दिवालियापन जैसे विषयों पर व्यावहारिक सलाह और विचार प्रस्तुत किए। ये कार्य उनके समय की आर्थिक चिंताओं को दर्शाते हैं और व्यापारिक वर्ग के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक थे।
  5. इतिहास और अर्ध-ऐतिहासिक खाते (History and Semi-Historical Accounts): “अ जर्नल ऑफ द प्लेग ईयर” इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जहाँ डेफ़ो ने 1665 के लंदन प्लेग के बारे में एक विस्तृत और विश्वसनीय (हालांकि काल्पनिक) ऐतिहासिक खाता प्रस्तुत किया। उन्होंने “द हिस्ट्री ऑफ द यूनियन ऑफ ग्रेट ब्रिटेन” जैसे वास्तविक ऐतिहासिक कार्यों पर भी काम किया, जिसमें उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों और शोध को मिलाया।
  6. नैतिक और धार्मिक ग्रंथ (Moral and Religious Works): उनकी प्रोटेस्टेंट पृष्ठभूमि ने उनके लेखन में एक मजबूत नैतिक और धार्मिक धारा को जन्म दिया। “फैमिली इंस्ट्रक्टर” (Family Instructor) जैसी कृतियों में उन्होंने पारिवारिक जीवन, धार्मिक कर्तव्य और ईसाई नैतिकता पर उपदेश दिए। उनके उपन्यासों में भी अक्सर पाप, पश्चाताप और ईश्वर के विधान के विषय प्रमुखता से सामने आते थे।

विभिन्न शैलियों में उनकी महारत

डेफ़ो की महारत केवल विषयों की विविधता तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि उनकी क्षमता में भी थी कि वे प्रत्येक शैली की आवश्यकताओं के अनुसार अपनी लेखन शैली को ढाल सकें:

  1. पत्रकारिता की स्पष्टता और प्रत्यक्षता: “द रिव्यू” में, उनकी शैली सीधी, स्पष्ट और सूचनात्मक थी, जिसका उद्देश्य पाठकों को सूचित करना और समझाना था। उन्होंने जटिल राजनीतिक और आर्थिक विचारों को आसानी से समझने योग्य भाषा में प्रस्तुत किया।
  2. उपन्यासों का यथार्थवादी विवरण: उनके उपन्यासों में, उन्होंने असाधारण रूप से विस्तृत और ठोस विवरणों का उपयोग किया, जिससे काल्पनिक दुनिया वास्तविक प्रतीत होती थी। उनकी शैली में एक ऐसी विश्वसनीयता थी जो पाठक को कहानी के हर पहलू में विश्वास करने पर मजबूर करती थी।
  3. व्यंग्य की तीक्ष्णता और विडंबना: व्यंग्यपूर्ण पर्चों में, उन्होंने विडंबना और अतिशयोक्ति का कुशलता से उपयोग किया, जिससे उनके संदेश में तीखापन आता था, भले ही कभी-कभी यह गलत समझा जाता था।
  4. तर्कपूर्ण और प्रेरक गद्य: अपने आर्थिक और राजनीतिक ग्रंथों में, डेफ़ो ने तार्किक तर्क और प्रेरक गद्य का उपयोग किया। वे अपने तर्कों को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करते थे और अपने पाठकों को विशेष दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करते थे।
  5. संस्मरणों की व्यक्तिगत आवाज़: उनके उपन्यासों में (जो अक्सर संस्मरण के रूप में लिखे जाते थे), डेफ़ो ने एक अद्वितीय व्यक्तिगत आवाज़ विकसित की जो कथावाचक की व्यक्तिगत भावनाओं, विचारों और अनुभवों को दर्शाती थी। यह पाठक को चरित्र के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने में मदद करती थी।

डेफ़ो की यह विविधता और विभिन्न शैलियों में महारत उन्हें अंग्रेजी साहित्य में एक अद्वितीय स्थान दिलाती है। उन्होंने दिखाया कि गद्य लेखन एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है, जो केवल मनोरंजन ही नहीं बल्कि सामाजिक टिप्पणी, राजनीतिक हस्तक्षेप और नैतिक शिक्षा भी प्रदान कर सकता है। उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें अपने समय का एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक बुद्धिजीवी बनाया और अंग्रेजी उपन्यास के लिए एक विशाल मार्ग प्रशस्त किया।

डेनियल डेफ़ो की विरासत: आधुनिक उपन्यास के जनक (जारी)

अपने जीवन के अंतिम वर्षों में भी, डेनियल डेफ़ो एक विपुल लेखक बने रहे, लगातार नई कृतियाँ प्रकाशित करते रहे। हालांकि, उनकी प्रसिद्धि और साहित्यिक सफलता के बावजूद, उनके जीवन का अंत वित्तीय संघर्षों और कानूनी परेशानियों से घिरा हुआ था, जो उनके पूरे करियर में उनके साथ रहा।

उनके जीवन के अंतिम वर्ष (लगभग 1726-1731)

“रॉबिन्सन क्रूसो” और “मॉले फ्लैंडर्स” जैसी अपनी सबसे प्रसिद्ध कृतियों के बाद भी, डेफ़ो ने लिखना बंद नहीं किया। 1720 के दशक के अंत तक, उन्होंने इतिहास, भूगोल, नैतिकता, और व्यापार पर कई और पुस्तकें प्रकाशित कीं। उनकी उत्पादकता अविश्वसनीय थी, और उन्होंने विभिन्न प्रकार के विषयों पर अपनी गहरी अंतर्दृष्टि और व्यावहारिक सलाह देना जारी रखा।

  • उत्पादकता जारी: उन्होंने “अ कम्प्लीट इंग्लिश ट्रेड्समैन” (A Compleat English Tradesman), “अ जनरल हिस्ट्री ऑफ द पायरेट्स” (A General History of the Pyrates) (कुछ विद्वानों द्वारा उन्हें इसका लेखक माना जाता है) और “द कम्प्लीट इंग्लिश जेंटलमैन” (The Compleat English Gentleman) जैसी कृतियाँ लिखीं।
  • स्वास्थ्य में गिरावट: अपने जीवन के अंतिम कुछ वर्षों में, डेफ़ो का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। 70 वर्ष की आयु के करीब, उनकी शारीरिक शक्ति कम होती गई, लेकिन उनकी मानसिक ऊर्जा और लेखन की इच्छा बनी रही।

वित्तीय संघर्ष और कानूनी परेशानियाँ

डेफ़ो के जीवन का एक दुखद पहलू यह था कि उन्हें अपनी प्रसिद्धि के बावजूद, अपने अंतिम दिनों में भी वित्तीय अस्थिरता और कर्ज से जूझना पड़ा। यह उनके जीवन भर का एक चक्र था, जो उनके शुरुआती दिवालिएपन (1692 और 1703) से शुरू हुआ था।

  1. पुराने कर्ज का पीछा: उनके प्रारंभिक व्यापारिक विफलताओं से उत्पन्न हुए कर्ज का भूत कभी पूरी तरह से उनका पीछा नहीं छोड़ पाया। हालांकि उन्होंने अपने अधिकांश कर्जदारों के साथ समझौता कर लिया था और काफी हद तक भुगतान भी किया था, लेकिन कुछ पुराने कर्जदाता अभी भी मौजूद थे और उन्होंने डेफ़ो पर मुकदमा चलाना जारी रखा।
    • यह संभव है कि कुछ कानूनी मुकदमे उन बॉन्डों (bonds) से संबंधित थे जो उन्होंने अपनी युवावस्था में लिए थे और जिन्हें पूरी तरह से चुकाया नहीं गया था।
  2. कानूनी उत्पीड़न और छिपना: अपने जीवन के बिल्कुल अंतिम समय में, डेफ़ो को अपने कुछ कर्जदारों द्वारा कानूनी उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। उन्हें गिरफ्तारी से बचने के लिए अपने घर से भागना पड़ा और छिपी हुई जगह पर रहना पड़ा। यह उनके लिए एक अत्यंत दुखद स्थिति थी कि अपने जीवन के अंत में, जब वे इतने सम्मानित लेखक बन चुके थे, उन्हें फिर भी कानून से भागना पड़ रहा था।
  3. स्वास्थ्य और तनाव: इस निरंतर वित्तीय दबाव और कानूनी परेशानियों ने निस्संदेह उनके पहले से ही गिरते स्वास्थ्य को और खराब कर दिया होगा। तनाव और चिंता ने उनके अंतिम दिनों को और अधिक कठिन बना दिया।
  4. पारिवारिक बोझ: डेफ़ो का एक बड़ा परिवार था (उनकी पत्नी मैरी और उनके कई बच्चे)। इन वित्तीय संघर्षों का उनके परिवार पर भी सीधा प्रभाव पड़ा होगा, क्योंकि वे अक्सर अपने प्रियजनों की वित्तीय सुरक्षा के लिए चिंतित रहते थे।

मृत्यु:

डेनियल डेफ़ो का निधन 24 अप्रैल 1731 को लंदन में हुआ। माना जाता है कि उनकी मृत्यु रोपकर्स एले (Ropemakers’ Alley) में एक किराये के कमरे में हुई थी, जहाँ वह अपने कर्जदारों से बचने के लिए छिपे हुए थे। उनकी मृत्यु का कारण संभवतः apoplectic fit (स्ट्रोक) था, लेकिन यह भी कहा जाता है कि उनके जीवन भर के संघर्षों और अंतिम दिनों के तनाव ने इसमें योगदान दिया। उन्हें बनहिल फील्ड्स (Bunhill Fields) में दफनाया गया, जो असंतुष्टों के लिए एक प्रसिद्ध कब्रिस्तान था।

अपने असाधारण साहित्यिक योगदान और पत्रकारिता की विरासत के बावजूद, डेफ़ो का जीवन व्यक्तिगत और वित्तीय संघर्षों से भरा रहा। उनका अंतिम समय भी इस संघर्ष से अछूता नहीं रहा, जो उनके जटिल और दृढ़ चरित्र की एक मार्मिक याद दिलाता है। फिर भी, उनकी कृतियाँ अंग्रेजी साहित्य में अमर हैं और उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

डेनियल डेफ़ो की विरासत: आधुनिक उपन्यास के जनक (जारी)

डेनियल डेफ़ो (लगभग 1660-1731) एक ऐसा बहुमुखी और प्रभावशाली व्यक्तित्व थे जिन्होंने अपने युग के बौद्धिक और साहित्यिक परिदृश्य को गहराई से प्रभावित किया। उन्हें सिर्फ एक प्रसिद्ध उपन्यासकार के रूप में याद करना उनकी विरासत को सीमित करना होगा; वह एक साथ एक कुशल पत्रकार, एक पैने सामाजिक टिप्पणीकार और एक दूरदर्शी लेखक थे, जिन्होंने अंग्रेजी साहित्य और पत्रकारिता दोनों को एक नई दिशा दी।

एक उपन्यासकार के रूप में डेफ़ो

डेनियल डेफ़ो को अक्सर आधुनिक अंग्रेजी उपन्यास का जनक कहा जाता है, और यह मूल्यांकन उनकी साहित्यिक क्रांति के कारण है:

  • यथार्थवाद का अग्रणी: डेफ़ो ने काल्पनिक कथाओं को इस तरह से प्रस्तुत किया जैसे वे वास्तविक जीवन के वृत्तांत हों। उन्होंने विस्तृत, ठोस विवरणों का उपयोग किया, जिससे पाठक को यह विश्वास हो जाता था कि वे इतिहास या जीवनी पढ़ रहे हैं। यह यथार्थवादी शैली उनके पहले के रोमांस और महाकाव्यों से एक बड़ा प्रस्थान थी और इसने बाद के उपन्यासकारों के लिए मार्ग प्रशस्त किया।
  • प्रथम-पुरुष कथावाचन का प्रभाव: “रॉबिन्सन क्रूसो” और “मॉले फ्लैंडर्स” जैसे उपन्यासों में प्रथम-पुरुष कथावाचन का उनका अभिनव उपयोग पाठक और नायक के बीच एक अंतरंग संबंध बनाता है, जिससे कहानी अधिक व्यक्तिगत और विश्वसनीय लगती है।
  • मध्यमवर्गीय नायक और सामाजिक संदर्भ: उन्होंने अपने पात्रों के रूप में आम, मध्यमवर्गीय व्यक्तियों को चुना, जिनके संघर्ष और आकांक्षाएँ उनके अधिकांश पाठकों के लिए प्रासंगिक थीं। यह उस समय के सामाजिक बदलावों को दर्शाता था और दिखाता था कि साधारण लोगों के जीवन में भी गहन कहानियाँ हो सकती हैं।
  • मनुष्य और अस्तित्व का अन्वेषण: उनके उपन्यास अकेलेपन, अस्तित्व के लिए संघर्ष, नैतिक दुविधाओं और मनुष्य के लचीलेपन जैसे सार्वभौमिक विषयों पर गहराई से विचार करते हैं। उन्होंने दिखाया कि कैसे व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में विकसित होते हैं और नैतिक तथा आध्यात्मिक रूप से बदल सकते हैं।

एक पत्रकार के रूप में डेफ़ो

डेफ़ो की पत्रकारिता ने उन्हें अपने युग के सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक बुद्धिजीवियों में से एक बनाया। उन्हें आधुनिक पत्रकारिता के अग्रदूतों में से एक माना जाता है:

  • “द रिव्यू” का संस्थापक: उन्होंने अपनी पत्रिका “द रिव्यू” को लगभग एक दशक तक अकेले लिखा और संपादित किया, जो नियमित संपादकीय, समाचार विश्लेषण और राय प्रस्तुत करने का एक नया मॉडल था। इसने सूचना और विचार के बीच एक सेतु का काम किया।
  • जनमत निर्माता: डेफ़ो ने अपनी कलम का उपयोग जनमत को प्रभावित करने और सार्वजनिक बहस को आकार देने के लिए किया। उन्होंने जटिल राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों को आम जनता के लिए सुलभ बनाया, जिससे वे सार्वजनिक प्रवचन में सक्रिय रूप से भाग ले सकें।
  • विविध विषयों पर लेखन: उनकी पत्रकारिता केवल राजनीति तक सीमित नहीं थी; उन्होंने व्यापार, अर्थशास्त्र, नैतिकता और सामाजिक सुधारों पर भी लिखा, जिससे उनकी पहुंच और प्रभाव व्यापक हुए।

एक सामाजिक टिप्पणीकार के रूप में डेफ़ो

डेफ़ो एक पैने अवलोकनकर्ता थे जिन्होंने अपने समाज की बारीकियों और कमियों पर टिप्पणी करने में संकोच नहीं किया:

  • सामाजिक यथार्थ का चित्रण: उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों, जिसमें अपराधी, व्यापारी, गरीब और महिलाएं शामिल थीं, के जीवन का यथार्थवादी और अक्सर कठोर चित्रण किया। उन्होंने सामाजिक असमानताओं और गरीबी के दबाव में लोगों द्वारा किए गए नैतिक चुनावों को उजागर किया।
  • आर्थिक और नैतिक अंतर्दृष्टि: एक व्यापारी के रूप में अपने स्वयं के अनुभवों के कारण, उन्होंने आर्थिक व्यवहार, कर्ज और धन की खोज की नैतिक जटिलताओं पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की। उन्होंने अक्सर ईमानदारी, परिश्रम और विवेक जैसे गुणों पर जोर दिया।
  • धार्मिक और नैतिक बहस में भागीदारी: अपनी असंतुष्ट पृष्ठभूमि के कारण, डेफ़ो ने धार्मिक सहिष्णुता और व्यक्तिगत विवेक की स्वतंत्रता की वकालत की। उन्होंने पाखंड और कट्टरता की आलोचना की, जिससे समाज को नैतिक रूप से आत्म-चिंतन करने के लिए प्रेरित किया।

समग्र मूल्यांकन

डेनियल डेफ़ो का समग्र मूल्यांकन उन्हें एक ऐसे असाधारण प्रतिभा के व्यक्ति के रूप में स्थापित करता है जिन्होंने सीमाओं को तोड़ा और नवाचार किया। वह अपने समय के उत्पाद थे, जिसकी सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल ने उनके लेखन को आकार दिया, लेकिन उन्होंने स्वयं इन उथल-पुथल पर अपनी कलम से गहरा प्रभाव डाला।

उनके जीवन के व्यक्तिगत संघर्ष – बार-बार दिवालिया होना, जेल जाना, और राजनीतिक विवादों में फंसना – ने उनके लेखन को एक अनूठी प्रामाणिकता और गहराई प्रदान की। उन्होंने अपने अनुभवों को साहित्यिक सोने में बदल दिया, जिससे उनके पात्रों के संघर्ष और दृढ़ता को एक भरोसेमंद आधार मिला।

डेनियल डेफ़ो एक ऐसे बहुआयामी लेखक थे जिन्होंने अंग्रेजी साहित्य और पत्रकारिता दोनों को हमेशा के लिए बदल दिया। उन्होंने उपन्यास को एक नया रूप दिया, पत्रकारिता को एक विश्वसनीय आवाज़ दी, और अपने समाज के नैतिक और भौतिक पहलुओं पर तीखी टिप्पणी की। उनकी विरासत आज भी जीवित है, जो उनकी कालातीत कहानियों, उनके यथार्थवादी दृष्टिकोण और मानव स्वभाव की उनकी गहरी समझ में परिलक्षित होती है।

डेनियल डेफ़ो की विरासत: आधुनिक उपन्यास के जनक (जारी)

डेनियल डेफ़ो का अंग्रेजी साहित्य में सबसे महत्वपूर्ण और स्थायी योगदान अंग्रेजी उपन्यास के विकास में उनकी भूमिका और यथार्थवाद (Realism) के अग्रणी के रूप में उनकी पहचान है। उन्होंने एक ऐसी साहित्यिक विधा को आकार दिया जो उनके बाद की शताब्दियों के लिए केंद्रीय बन गई।

अंग्रेजी उपन्यास के विकास में उनका योगदान

18वीं शताब्दी की शुरुआत में, उपन्यास एक नवजात साहित्यिक विधा थी। इससे पहले की लंबी गद्य कथाएँ (जैसे रोमांस, महाकाव्य, या वीरगाथाएँ) अक्सर आदर्शवादी, अतिरंजित या कल्पनाशील होती थीं, जिनमें पात्र अक्सर अलौकिक या असाधारण होते थे। डेफ़ो ने इस परंपरा से हटकर उपन्यास को एक नया रूप और उद्देश्य दिया:

  1. “आधुनिक उपन्यास” की नींव: डेफ़ो को अक्सर “आधुनिक अंग्रेजी उपन्यास का जनक” माना जाता है, खासकर “रॉबिन्सन क्रूसो” के साथ। उन्होंने एक कथात्मक शैली विकसित की जो अपने समय के लिए क्रांतिकारी थी:
    • व्यक्तिगत अनुभव पर केंद्रित: उन्होंने कहानियों को एक व्यक्ति के आंतरिक जीवन, उसके विचारों, भावनाओं और मनोवैज्ञानिक विकास पर केंद्रित किया।
    • मध्यमवर्गीय नायक: उनके नायक अक्सर समाज के आम, मध्यमवर्गीय व्यक्ति होते थे, न कि राजा या अभिजात वर्ग। इससे पाठक उनके अनुभवों से आसानी से जुड़ पाते थे।
    • साहसिक कथानक और संघर्ष: उनके उपन्यासों में रोमांच, यात्रा और अस्तित्व के लिए संघर्ष जैसे तत्व थे, जो पाठकों को आकर्षित करते थे।
  2. प्रथम-पुरुष कथावाचन को लोकप्रिय बनाना: डेफ़ो ने अपने अधिकांश उपन्यासों में प्रथम-पुरुष कथावाचक (First-Person Narrator) का प्रभावी ढंग से उपयोग किया। रॉबिन्सन क्रूसो, मॉले फ्लैंडर्स, और कर्नल जैक सभी अपनी कहानियाँ अपनी ही ज़ुबानी सुनाते हैं (“मैं” के रूप में)।
    • यह दृष्टिकोण कहानी को अविश्वसनीय रूप से व्यक्तिगत और विश्वसनीय बनाता है। पाठक को ऐसा महसूस होता है जैसे वे सीधे नायक के अनुभवों और विचारों को सुन रहे हैं।
    • इसने उपन्यास में मनोवैज्ञानिक गहराई जोड़ी, क्योंकि पात्रों को अपने स्वयं के कार्यों और प्रेरणाओं पर आत्म-चिंतन करने का अवसर मिलता था।
  3. कथानक में यथार्थवाद और तार्किक प्रगति: उनके उपन्यासों का कथानक अक्सर वास्तविक घटनाओं से प्रेरित होता था (जैसे सेल्किर्क की कहानी या लंदन प्लेग)। उन्होंने घटनाओं को एक तार्किक और समयबद्ध क्रम में प्रस्तुत किया, जिससे कहानी में यथार्थवाद का आभास हुआ। यह कहानियों को अधिक विश्वसनीय और पाठक के लिए सुलभ बनाता था।
  4. सामाजिक और नैतिक अन्वेषण का माध्यम: डेफ़ो ने उपन्यास को केवल मनोरंजन के बजाय सामाजिक टिप्पणियों और नैतिक अन्वेषण के लिए एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया। उन्होंने समाज की वास्तविकताओं (जैसे गरीबी, अपराध, महिलाओं की स्थिति, व्यापारिक नैतिकता) को दर्शाया और मानव स्वभाव की जटिलताओं पर विचार किया।

यथार्थवाद के अग्रणी के रूप में उनकी भूमिका

डेफ़ो को अंग्रेजी साहित्य में यथार्थवाद के अग्रणी (Pioneer of Realism) के रूप में विशेष दर्जा प्राप्त है। उन्होंने उस समय के रोमांटिक और आदर्शवादी कथाओं से हटकर एक नई दिशा दिखाई:

  1. “सच्ची कहानी” का भ्रम (Illusion of Truth): यह डेफ़ो के यथार्थवाद की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता थी। उन्होंने अपनी काल्पनिक कहानियों को इस तरह से प्रस्तुत किया जैसे वे वास्तविक जीवन के वृत्तांत या संस्मरण हों। उन्होंने अक्सर दावा किया कि उनके उपन्यास वास्तविक व्यक्तियों की डायरियों या पत्रों पर आधारित थे। इससे पाठकों को कहानी की प्रामाणिकता पर विश्वास हो जाता था। “रॉबिन्सन क्रूसो” का पूरा शीर्षक स्वयं इसकी एक “सच्ची कहानी” होने का दावा करता है।
  2. विस्तृत और ठोस विवरण (Detailed and Concrete Descriptions): डेफ़ो ने अपने लेखन में अत्यधिक विशिष्ट और ठोस विवरण का उपयोग किया। चाहे वह जहाज के मलबे से बचाए गए औजारों का विवरण हो, द्वीप पर खेती करने का तरीका हो, या प्लेग से पीड़ित लंदन की सड़कों का वर्णन हो, उनके विवरण इतने बारीक थे कि वे वास्तविक प्रतीत होते थे। यह विवरण पाठक को कहानी में डूबने में मदद करता था और उसे एक वास्तविक अनुभव का एहसास कराता था।
  3. रोजमर्रा की जिंदगी पर ध्यान (Focus on Everyday Life): उनके उपन्यास महान नायकों या अलौकिक घटनाओं के बजाय आम लोगों के रोजमर्रा के जीवन, उनके संघर्षों और उनकी व्यावहारिक चिंताओं पर केंद्रित थे। उन्होंने दिखाया कि कैसे साधारण लोग असामान्य परिस्थितियों में जीवित रहते हैं और कैसे वे अपने परिवेश के साथ बातचीत करते हैं। यह उस समय के लिए एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण था।
  4. भौतिक और आर्थिक वास्तविकताओं का चित्रण: डेफ़ो के यथार्थवाद में भौतिक और आर्थिक वास्तविकताओं का महत्वपूर्ण स्थान था। उनके पात्र अक्सर वित्तीय कठिनाइयों, व्यापारिक जोखिमों और संसाधनों के प्रबंधन से जूझते थे। “रॉबिन्सन क्रूसो” में द्वीप पर क्रूसो का आर्थिक मॉडल बनाना या “मॉले फ्लैंडर्स” में पैसे के लिए संघर्ष, ये सभी उस समय की आर्थिक वास्तविकताओं का प्रतिबिंब थे।
  5. साधारण भाषा का उपयोग: यथार्थवाद को बढ़ावा देने के लिए, डेफ़ो ने सीधी, स्पष्ट और बोलचाल की भाषा का उपयोग किया। उन्होंने अलंकारिक भाषा या जटिल वाक्य-विन्यास से परहेज किया, जिससे उनकी कहानियाँ आम पाठक के लिए आसानी से समझ में आने वाली और विश्वसनीय बन गईं। यह उनकी पत्रकारिता की पृष्ठभूमि से आया था।

डेनियल डेफ़ो ने अंग्रेजी उपन्यास को एक नया आकार दिया, उसे एक मनोरंजन के साधन से एक गंभीर साहित्यिक रूप में परिवर्तित किया जो मानव अनुभव की जटिलताओं को यथार्थवादी और विश्वसनीय तरीके से दर्शा सकता था। यथार्थवाद के अग्रणी के रूप में उनकी भूमिका ने बाद के उपन्यासकारों के लिए एक मानदंड स्थापित किया और अंग्रेजी साहित्य के विकास में एक स्थायी छाप छोड़ी।

डेनियल डेफ़ो की विरासत: आधुनिक उपन्यास के जनक (जारी)

डेनियल डेफ़ो का “रॉबिन्सन क्रूसो” केवल एक रोमांचक कहानी नहीं है; यह एक साहित्यिक और सांस्कृतिक घटना है जिसका स्थायी प्रभाव सदियों से महसूस किया जा रहा है। इसका महत्व आज भी बरकरार है, क्योंकि यह उन सार्वभौमिक मानवीय अनुभवों और विचारों को छूता है जो आधुनिक दुनिया में भी प्रासंगिक हैं।


साहित्य और संस्कृति पर “रॉबिन्सन क्रूसो” का स्थायी प्रभाव

“रॉबिन्सन क्रूसो” ने प्रकाशन के तुरंत बाद से ही साहित्य और व्यापक संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला:

  1. “रॉबिन्सनेड” शैली का जन्म: उपन्यास की अपार लोकप्रियता के परिणामस्वरूप एक पूरी नई साहित्यिक उप-विधा का जन्म हुआ जिसे “रॉबिन्सनेड” (Robinsonade) कहा जाता है। इसमें ऐसे सभी उपन्यास शामिल हैं जहाँ एक या अधिक पात्र एक निर्जन या अलग-थलग जगह पर फंस जाते हैं और उन्हें जीवित रहने और खुद को बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। विलियम गोल्डिंग का “लॉर्ड ऑफ द फ्लाइज”, जोहान डेविड वाइस का “द स्विस फैमिली रॉबिन्सन”, और एंडी वियर का “द मार्टियन” जैसे आधुनिक कार्य इस परंपरा को जारी रखते हैं।
  2. उपन्यास विधा का मानकीकरण और विकास: “रॉबिन्सन क्रूसो” ने आधुनिक अंग्रेजी उपन्यास के लिए एक खाका तैयार किया। इसने साबित किया कि एक व्यक्ति के आंतरिक जीवन, उसके यथार्थवादी अनुभवों और उसके नैतिक विकास पर केंद्रित गद्य कथाएँ व्यावसायिक रूप से सफल और कलात्मक रूप से महत्वपूर्ण हो सकती हैं। इसने हेनरी फील्डिंग और सैमुअल रिचर्डसन जैसे बाद के उपन्यासकारों को अपनी कृतियों में यथार्थवाद, चरित्र-चित्रण और सामाजिक टिप्पणियों को विकसित करने के लिए प्रेरित किया।
  3. बच्चों के साहित्य पर प्रभाव: “रॉबिन्सन क्रूसो” जल्द ही बच्चों के लिए एक क्लासिक बन गया। इसकी रोमांचक कहानी, आत्मनिर्भरता का संदेश और रचनात्मकता ने इसे युवा पाठकों के बीच लोकप्रिय बनाया। इसके अनगिनत अनुकूलन, सरलीकृत संस्करण और चित्र-पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, जिससे यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी बच्चों की कल्पना का हिस्सा रहा है।
  4. लोकप्रिय संस्कृति में मुहावरा: “रेगिस्तानी द्वीप पर फंसे हुए” (stranded on a desert island) होने का विचार स्वयं एक सांस्कृतिक मुहावरा बन गया है। यह अलगाव, अस्तित्व और विपरीत परिस्थितियों में जुझारूपन के लिए एक सामान्य रूपक है। “मैन फ्राइडे” (Man Friday) वाक्यांश भी उपन्यास से आया है, जो एक वफादार सहायक को संदर्भित करता है।
  5. दार्शनिक और आर्थिक चिंतन: उपन्यास ने जॉन लॉक और जीन-जैक्स रूसो जैसे दार्शनिकों को भी प्रभावित किया, जिन्होंने मानव स्वभाव, प्राकृतिक अवस्था और समाज के निर्माण पर विचार किया। क्रूसो का द्वीप पर एक मिनी-समाज बनाना, संपत्ति अर्जित करना, और श्रम के माध्यम से मूल्य पैदा करना आर्थिक विचारों को भी दर्शाता है जो पूंजीवाद और उपनिवेशवाद के शुरुआती चरणों से संबंधित थे।

क्यों “रॉबिन्सन क्रूसो” आज भी प्रासंगिक है

प्रकाशन के 300 से अधिक वर्षों बाद भी, “रॉबिन्सन क्रूसो” कई कारणों से आज भी प्रासंगिक बना हुआ है:

  1. मानव लचीलेपन और अस्तित्व की कहानी: आज भी, मनुष्य को अप्रत्याशित चुनौतियों और संकटों का सामना करना पड़ता है – चाहे वह व्यक्तिगत त्रासदी हो, प्राकृतिक आपदा हो, या वैश्विक महामारी हो। क्रूसो की कहानी हमें सिखाती है कि कैसे अदम्य इच्छाशक्ति, साधन संपन्नता और अनुकूलनशीलता के साथ जीवित रहना और प्रतिकूल परिस्थितियों से उबरना संभव है। यह मानव भावना की अदम्य क्षमता का एक शाश्वत अनुस्मारक है।
  2. आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भरता का महत्व: आधुनिक दुनिया में, जहां हम अक्सर प्रौद्योगिकी और सामाजिक प्रणालियों पर अत्यधिक निर्भर रहते हैं, क्रूसो की आत्मनिर्भरता की कहानी एक शक्तिशाली संदेश देती है। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपने दम पर जीवित रह सकते हैं, बुनियादी जरूरतों को कैसे पूरा कर सकते हैं, और कैसे रचनात्मकता के माध्यम से समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। यह हमें अपनी क्षमताओं पर भरोसा करने और आत्म-विश्वास विकसित करने के लिए प्रेरित करता है।
  3. अकेलेपन और मानवीय संबंध की आवश्यकता: डिजिटल युग में भी, जहां कनेक्टिविटी का भ्रम है, अकेलेपन की भावना एक व्यापक मानवीय अनुभव है। क्रूसो का द्वीप पर अकेलापन और मानवीय संगति के लिए उसकी लालसा इस बात पर जोर देती है कि मानव संबंध हमारी भलाई के लिए कितने मौलिक हैं। फ्राइडे के आगमन के साथ उसकी दुनिया का बदलना यह दर्शाता है कि मानव संपर्क कितना परिवर्तनकारी हो सकता है।
  4. पर्यावरण के साथ संबंध: उपन्यास मनुष्य और प्रकृति के बीच के संबंध पर विचार करने का अवसर प्रदान करता है। क्रूसो को जीवित रहने के लिए अपने प्राकृतिक परिवेश को समझना और उससे तालमेल बिठाना पड़ता है। आज, पर्यावरण संबंधी चिंताओं के बढ़ते हुए दौर में, यह कहानी हमें प्रकृति के साथ हमारे संबंध और संसाधनों के प्रबंधन पर सोचने के लिए प्रेरित करती है।
  5. नैतिक और आध्यात्मिक खोज: क्रूसो की आध्यात्मिक यात्रा – पाप से पश्चाताप तक, और ईश्वर में विश्वास की पुनः खोज तक – आधुनिक पाठकों के लिए भी प्रासंगिक है जो जीवन के अर्थ और उद्देश्य पर विचार करते हैं। यह उपन्यास धर्म, नैतिकता और व्यक्तिगत मोचन के गहरे प्रश्नों पर विचार करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
  6. औपनिवेशिक विरासत पर चिंतन: हालांकि उपन्यास में उपनिवेशवाद के कुछ विवादित पहलू (जैसे फ्राइडे का “सभ्यकरण”) शामिल हैं, यह हमें साम्राज्यवादी मानसिकता और विभिन्न संस्कृतियों पर उसके प्रभावों पर महत्वपूर्ण बातचीत शुरू करने का अवसर भी देता है। आज भी, ये विषय प्रासंगिक बने हुए हैं क्योंकि समाज उपनिवेशवाद के इतिहास और उसके परिणामों से जूझ रहा है।

“रॉबिन्सन क्रूसो” एक क्लासिक बना हुआ है क्योंकि यह केवल एक पुरानी साहसिक कहानी नहीं है। यह मानव अस्तित्व की चुनौतियों, व्यक्तिगत विकास की यात्रा और समाज में हमारे स्थान पर एक गहन टिप्पणी है। इसकी स्थायी शक्ति इसकी क्षमता में निहित है कि यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी पाठकों से जुड़ता है और उन्हें मनुष्य होने के सबसे मौलिक पहलुओं पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है।

Daniel Defoe

Daniel Defoe

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